प्रदेश के 500 गांव को वन्यप्राणी बहुल वनक्षेत्र से किए जाएंगे बाहर

भोपाल.
मध्य प्रदेश के जंगलों में वन्यजीवों के बीच मानव दखल न हो, इसके लिए राज्य सरकार पांच सौ गांवों को वन्यप्राणी बहुल वनक्षेत्र से बाहर करेगी। इसके लिए वन विभाग ने विकसित भारत 2047 विजन डाक्यूमेंट में अपना एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके तहत वन विभाग राज्य के समस्त संरक्षित वन क्षेत्रों एवं वन्यप्राणी बहुल क्षेत्रों में बसे 500 गांवों को उनकी सहमति से विस्थापित करेगा। इसके अलावा, संरक्षित वन क्षेत्रों को आपस में जोड़कर वन्यप्राणी कारिडोर बनाया जाएगा।

आधुनिक उपकरणों एवं तकनीक के उपयोग
विकसित भारत के विजन डाक्यूमेंट के अनुसार आधुनिक उपकरणों एवं तकनीक के उपयोग से वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। इसके तहत रेंज अधिकारी आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित होंगे। रेंज अधिकारियों को ड्रोन तथा आधुनिक शस्त्रों, वाहनों से सुसज्जित किया जाएगा, जिससे अवैध कटाई एवं चराई, अतिक्रमण, अवैध खनन एवं वन अग्नि पर पूर्ण नियंत्रण हो सकेगा। प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों में सक्रिय प्रबंधन के माध्यम से वन्यजीवों का पुनर्स्थापन एवं प्रबंधन किया जाएगा।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • 500 गांवों का विस्थापन, वन्यप्राणी सुरक्षा
  • वन्यप्राणी कारिडोर निर्माण, संरक्षित क्षेत्र जोड़ना
  • आधुनिक तकनीक, ड्रोन, शस्त्रों से सुरक्षा
  • 500 ईको टूरिज्म स्थल, स्थानीय रोजगार सृजन
  • विदेशी पर्यटन बढ़ाने के लिए प्रचार-प्रसार

ईको टूरिज्म के चिन्हित स्थलों को किया जाएगा विकसित
वर्ष 2047 तक ईको टूरिज्म के कम से कम 500 गंतव्य स्थलों को चिन्हित कर उन्हें विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के आसपास के गंतव्य स्थलों में कम से कम 500 होम स्टे की व्यवस्था की जाएगी जिससे स्थानीय वन वासियों का रोजगार सृजन हो सके। इसे ग्लोबल स्तर पर प्रचारित किया जाएगा, जिससे मप्र में विदेशी पर्यटन बढ़े।

India Edge News Desk

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