पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दिव्य दरबार
भोपाल की महिला बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर से बोली- आप बहुत क्यूट, नजर न लग जाए...
भोपाल : भोपाल के करोंद में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दिव्य दरबार के दौरान भोपाल की एक महिला ने उनसे कहा- आप बहुत क्यूट हैं, आपकी नजर न लग जाए। ऐसा लगता है बार-बार आपकी नजर उतारूं। धीरेंद्र शास्त्री ने भी मुस्कुराते हुए महिला से धन्यवाद कहा। इससे पहले दरबार शुरू करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- कलियुग में धर्म विरोधियों के मुंह पर झन्नाटेदार तमाचा मारने के लिए ही बागेश्वर बालाजी का दरबार लगता है। यही कलियुग में हनुमान जी के चरणों का प्रताप है। जो कहते थे दिव्य शक्तिया नहीं होती ये सब कपोल कल्पना है, उनकी ठठरी बंध गई।
उन्होंने कहा, उन्होंने कहा, मैं भी इंसान हूं। आपकी तरह साधारण इंसान हूं। कुछ नहीं कर सकता पर्चे से चमत्कार नहीं होता। जो होता है वो भगवान बालाजी की कृपा से चमत्कार होता है। बालाजी महाराज बड़े कृपालु हैं, जो भी नियम का पालन करेगा। उनकी मन की कामना पूरी होगी। अंधविश्वास पर भरोसा नहीं करें। जो देखा-पूछा और जो पर्चे पर लिखा है उसे ही सत्य मानें। जिनकी अर्जी लगे उन्हें मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज का त्याग करना होगा। एक दो महीने में पेशी के लिए बागेश्वर धाम आना होगा।
अब पढ़िए, भोपाल की महिला और धीरेंद्र शास्त्री के बीच क्या बातचीत हुई :
- धीरेंद्र शास्त्री – आओ, माइक उठा लो बहना
- महिला – सीता राम
- धीरेंद्र शास्त्री- कहां से आई
- महिला- मेरी जन्मभूमि कुरुक्षेत्र है, भोपाल में रहती हूं। एक बात बोलना चाहती हूं आपसे, 30 साल की हो चुकी हूं, 30 साल में कभी भी ऐसा नहीं लगा किसी की नजर उतारूं। कल मैंने पहली बार आपको देखा। तब से मुझे बार-बार ऐसा लग रहा है कि मैं आपकी नजर उतारूं।
- धीरेंद्र शास्त्री- धन्यवाद
- महिला- मैंने पापा और हसबैंड को बोला वो इतने क्यूट हैं ऐसा लग रहा था बार-बार नजर उतारती रहूं।
- धीरेंद्र शास्त्री- धन्यवाद, नजर लगा न देना, हमारी मां देख रही होंगी।
(इस बातचीत के बाद धीरेंद्र शास्त्री ने महिला से उसकी फैमिली के बारे में पूछा। धीरेंद्र शास्त्री ने सवाल बताया कि आपका प्रेम विवाह है। आपको शंका है कि पारिवारिक जीवन सही से चलेगा या नहीं। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- बिलकुल चलेगा आपको अपने वाणी पर अंकुश रखना है। आपके परिवार में तीन अकाल मृत्यु हो चुकी हैं। इस पर महिला ने इसे सही बताया। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- आपने मुझे चैलेंज दिया था इसलिए मैंने आपको बुलाया। आपने वहां खड़े होकर कहा था- आप मन की बात जानते हो, अगर इस पंडाल में हनुमानजी और ये मूर्ति सही और इनके पास (धीरेंद्र शास्त्री) हनुमान जी हैं तो हमें बुलाएं। )
हनुमानजी पर सब कुछ छोड़ दो :
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि या तो आज से ही मंदिर जाना छोड़ दो या फिर आज से अभी से बागेश्वर हनुमानजी पर सब कुछ छोड़ दो। इसकी तीन शर्ते हैं। पहली ये की आज से हमारे चक्कर में नहीं पड़ना। दूसरी शर्त- मांस मदिरा छोड़कर महीने में एक बार बागेश्वर धाम की पेशी शुरू कर दो। तीसरी शर्त ये है कि घर पर ही ऊं बागेश्वर नम: का जाप शुरू कर देना। इसके बाद किसी पर्चे की जरूरत नहीं है। अगर जीवन में संकट आएंगे तो बालाजी आपके सामने आकर खड़े हो जाएंगे।
गुना से आई महिला से कहा- कॉस्मेटिक की दुकान शुरू करें :
दरबार में पहली अर्जी गुना जिले के चाचौड़ा से आईं वंदना राठौर की निकली। मंच पर पहुंची वंदना ने अपने दोनों बच्चों की अच्छी परवरिश के बारे में पूछा। महिला से धीरेंद्र शास्त्री ने उन्हें उनके पति की अकाल मृत्यु के बारे में बताते हुए पूजा-पाठ कराने का कहा। वंदना राठौर से ये भी कहा कि वे कॉस्मेटिक की दुकान शुरू करें। इसके साथ ही उन्होंने बच्चों की अच्छे जीवन औऱ शिक्षा की बात कही। धीरेंद्र शास्त्री ने महिला से कुछ मंत्रों का जप करने भी कहा।
सागर से आए युवक को बच्चा होने की डेट बताई :
सागर के बिलुउआ गांव से आए शिवम रजक ने अपने घर की परेशानी बताई। संतान नहीं होने की बात कही। धीरेंद्र शास्त्री ने शिवम को अपने पास बुलाया और पर्चे में लिखी गई लाइन पढ़ने कहा। शिवम ने वही पढ़ा जो धीरेंद्र शास्त्री ने कहीं थी। इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, 2025 की सात नवंबर को संतान का योग। घर में परेशानी ज्यादा है। इसलिए घर की मिट्टी लेकर आना।
गुना से आए युवक से किया मार्च 2024 तक का दावा :
गुना से आए युवक ने अपनी शारीरिक परेशानी बताई। धीरेंद्र शासत्री ने कुछ पूजा-पाठ करने कहा। दावा किया कि 9 मार्च 2024 तक तुम्हारी पूरी दिक्कतें खत्म हो जाएंगी। ये दस साल की समस्या खत्म हो जाएगी।
निंदा उसी की होती है जो जिंदा है :
श्री हनुमत कथा के अंतिम दिन पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, जहां कुछ भी न हो सिर्फ हवा(पवन) है। इसका मतलब है वहां हनुमानजी हैं। निंदा करने वालों को तुम्हारे काम से नहीं नाम से परेशानी होती है। लेकिन, निंदा उसी की होती है, जो जिंदा है। मुर्दों की कौन निंदा करता है। किसी की निंदा से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि ये समझना चाहिए तुम्हारा जमीर उसके अंदर जिंदा है।
जिसका चरित्र सुंदर, उसका जीवन सुंदर :
उन्होंने कहा, जिसका चरित्र सुंदर होता है, उसका जीवन भी सुंदर होता है। जिस तरह से तीनों लोकों पर हनुमान जी का अधिकार है। ठीक इसी तरह तीनों काल- भूत, भविष्य और वर्तमान पर हनुमान जी का अधिकार है। सभी सुख प्राप्त करने के दो ही उपाय है। पहला अपने गुरुदेव के चरण पकड़ो। दूसरा हनुमान जी का आचरण अपनाओ। हनुमान जी ने भगवान राम के काज को संभाला था। आपने उनका सदुपयोग किया तो चारों युगों में हनुमान जी की तरह पूजे जाओगे। इससे यह भी सीख सकते हैं कि भगवान की कृपा से मनुष्य को संसार की समस्त प्रकार की वस्तुएं मिलती हैं। उनका सदुपयोग करेंगे तो हम भी हनुमान जी की तरह पूछे जाएंगे। उन्होंने कहा, धन्य हैं वीर बजरंगबली। वो कहते हैं हमें भगवान श्रीराम के काज के अलावा विश्राम ही नहीं, और हम लोगों को विश्राम के अलावा कोई काम नहीं। हनुमान जी के चरित्र से हमें एक-एक अंग की सदुपयोगिता सीखनी चाहिए।
अगर हमने हनुमान जी की शरण ले ली तो हनुमानजी सदा हमारे साथ रहेंगे। जब चलने लगेंगे तो हनुमान चालीसा की चौपाई- ‘सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना’ सिद्ध हो जाएगी।