डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा प्लान, 10 लाख फिलिस्तीनियों को लीबिया में बसाने की तैयारी

वाशिंगटन

गाजा को लेकर अमेरिका का एक चौंकाने वाला प्लान सामने आया है। अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार युद्धग्रस्त गाजा पट्टी से करीब 10 लाख फिलिस्तीनियों को स्थायी रूप से लीबिया भेजने की योजना बना रही है। ट्रंप प्रशासन इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है और इस संबंध में लीबिया के नेतृत्व के साथ चर्चा भी कर चुका है। इस योजना के तहत, लीबिया को उन अरबों डॉलर की धनराशि को जारी करने का प्रस्ताव दिया गया है, जो अमेरिका ने एक दशक से अधिक समय पहले फ्रीज कर दी थी।

एनबीसी न्यूज ने पांच सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस योजना पर पिछले कुछ समय से अमेरिका तथा लीबिया की लीडरशिप के बीच बातचीत चल रही है। इन चर्चाओं की जानकारी रखने वाले दो व्यक्तियों और एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने NBC को बताया कि इस प्रस्ताव के तहत अमेरिका लीबिया की अरबों डॉलर की संपत्ति को वापस देने पर विचार कर रहा है। हालांकि, अमेरिकी सरकार के एक प्रवक्ता ने इन रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए कहा, “ये रिपोर्टें असत्य हैं। जमीन पर हालात ऐसे किसी प्लान के अनुकूल नहीं हैं। ऐसी कोई योजना चर्चा में नहीं रही और इसका कोई तर्क नहीं बनता।”

लीबिया में दो प्रतिस्पर्धी प्रशासनों का शासन

नाटो समर्थित विद्रोह के बाद 2011 में लीबिया में अराजकता फैल गई थी, जिसमें लंबे समय से शासन कर रहे तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से हटा दिया गया और उनकी हत्या कर दी गई. देश विभाजित हो गया, और इसके पूर्वी और पश्चिमी हिस्से पर दो प्रतिद्वंद्वी मिलिशिया समूहों ने नियं​त्रण कर लिया. लीबिया में वर्तमान में दो प्रतिस्पर्धी प्रशासनों का शासन है: अब्दुल हामिद दबीबेह के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एकता सरकार (Government of National Unity), और प्रतिनिधि सभा समर्थित राष्ट्रीय स्थिरता सरकार (Government of National Stability), जिसका नेतृत्व लीबियाई नेशनल आर्मी और उसके कमांडर खलीफा हफ्तार के वास्तविक शासन के तहत ओसामा हम्माद द्वारा किया जाता है. जीएनयू त्रिपोली में स्थित है और देश के पश्चिमी हिस्से को नियंत्रित करता है, जबकि जीएनएस पूर्वी और मध्य क्षेत्र में काम करता है. इस विभाजन ने लीबिया में सत्ता के दो केंद्र स्थापित कर दिए हैं, जिसमें दोनों सरकारें वैधता और देश पर नियंत्रण के लिए होड़ कर रही हैं.

कई सालों से अस्थिरता से जूझ रहा लीबिया

2011 में मुअम्मर गद्दाफी की हत्या और शासन के पतन के बाद से लीबिया लगातार अस्थिरता का सामना कर रहा है। देश पूर्व और पश्चिम में दो भागों में विभाजित हो गया है, जहां विभिन्न सशस्त्र गुट सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में फिलिस्तीनी नागरिकों को वहां पुनर्वासित करना एक व्यवहारिक और मानवीय चुनौती बन सकती है।
गाजा में भीषण हमले, 100 से अधिक की मौत

इधर, इजरायल ने शुक्रवार को गाजा में दर्जनों हवाई हमले किए, जिनमें स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार 108 लोगों की मौत हो गई, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इजरायल का कहना है कि ये हमले हमास पर दबाव बनाने और बंधकों की रिहाई के लिए युद्ध को अगले चरण में ले जाने की तैयारी का हिस्सा हैं। इजरायल ने यमन के दो बंदरगाहों पर भी हमले किए, जिनके बारे में उसका दावा है कि वहां से हूती विद्रोही हथियारों को ट्रांसफर कर रहे थे। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इन हमलों में एक व्यक्ति की मौत हो गई और नौ घायल हो गए।

ट्रंप की फिलिस्तीनियों को अन्य अरब देशों में बसाने की इच्छा

जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वे चाहते हैं कि जॉर्डन, मिस्र और अन्य अरब देश गाजा से फिलिस्तीनी शरणार्थियों को अधिक संख्या में स्वीकार करें, ताकि "इस तबाह हो चुके इलाके को साफ किया जा सके और एक नया शुरुआत दी जा सके।" उन्होंने कहा था, “यह लगभग एक ध्वस्त इलाका है। लगभग सब कुछ नष्ट हो गया है, लोग मर रहे हैं। मैं चाहूंगा कि कुछ अरब देशों के साथ मिलकर कहीं और मकान बनाएं, जहां ये लोग शायद शांति से रह सकें।”
हमास ने बंधक सौदे के बदले युद्ध रोकने का प्रस्ताव दिया

हमास के गाजा प्रमुख और इजरायल के साथ अप्रत्यक्ष वार्ताओं में शामिल खलील अल-हय्या ने टेलीविजन पर दिए एक भाषण में कहा कि उनका संगठन सभी बंधकों के बदले इजरायली जेलों में बंद फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के लिए तत्पर है- बशर्ते युद्ध को पूरी तरह समाप्त किया जाए। उन्होंने अंतरिम संघर्षविराम के किसी भी प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

इजराइल ने गाजा और यमन में हमले बढ़ाए

इस बीच, इजरायल ने शुक्रवार को गाजा में दर्जनों हवाई हमले किए, जिसमें स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि 108 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. इजरायली अधिकारियों ने इसे हमास पर बंधकों को रिहा करने के लिए दबाव बनाने के अभियान की शुरुआत बताया. इजराइल ने यमन में दो बंदरगाहों पर भी हमला किया, जिसके बारे में उसने कहा कि हूती उग्रवादी समूह द्वारा हथियारों को स्थानांतरित करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता था.

स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और नौ घायल हो गए. इस बीच हमास के गाजा प्रमुख ने कहा कि समूह सभी बंधकों को इजरायल द्वारा जेल में बंद फिलिस्तीनियों की एक निश्चित संख्या के साथ बदलने के लिए तत्काल बातचीत करने के लिए तैयार है, जिससे इस क्षेत्र में युद्ध समाप्त हो जाएगा. इजरायल के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता के लिए हमास वार्ता दल का नेतृत्व करने वाले खलील अल-हय्या ने टेलीविजन पर दिए भाषण में कहा कि समूह अंतरिम युद्धविराम समझौते से इनकार करता है.
 

India Edge News Desk

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