डेंगू के इलाज में फर्जीवाड़ा: जांच रिपोर्ट में खुलासा, निजी अस्पतालों ने डेंगू की पुष्टि के लिए नहीं कराया एलाइजा टेस्ट
राजधानी में डेंगू मरीजों के इलाज में लापरवाही बरती जा रही है. निजी अस्पतालों में भर्ती डेंगू मरीजों की एलाइजा जांच के लिए न तो सीरम भेजा गया है और न ही मच्छरदानी का प्रयोग किया गया है।
रायपुर. राजधानी में डेंगू के मरीजों के इलाज में लापरवाही बरती गई है. निजी अस्पतालों में भर्ती डेंगू मरीजों की एलाइजा जांच के लिए न तो सीरम भेजा गया है और न ही मच्छरदानी का प्रयोग किया गया है। इसका खुलासा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) द्वारा स्वास्थ्य विभाग को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पिछले 12 दिनों में 25 अस्पतालों का निरीक्षण और जांच की है
अभी भी करीब 20 अस्पतालों की जांच बाकी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लापरवाह अस्पतालों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. संतोषजनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, मामला यह है कि सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा आयुष्मान और डॉ. खूबचंद बघेल योजना के तहत 327 डेंगू मरीजों का इलाज करने का दावा किया गया था, जबकि रायपुर जिले से केवल आठ मरीज ही स्वास्थ्य विभाग को बताए गए थे। योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर सीएमएचओ ने तीन-तीन सदस्यों की पांच टीमें गठित कर जांच के निर्देश दिए थे। प्रदेश में अब तक डेंगू के 500 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं, जिनमें रायपुर के 20 मरीज शामिल हैं।
मच्छरदानी का उपयोग नहीं करने वाले अस्पताल
1- मेडिसिन हास्पिटल
2- स्वास्थम हास्पिटल
3- श्री लक्ष्मी नारायण हास्पिटल
4- आरोग्य हास्पिटल
5- श्रीयांश मल्टी सुपरस्पेशिलटी हास्पिटल
6- विहान हास्पिटल
7- नवकार हास्पिटल
सीरम नहीं भेजने वाले अस्पताल
1- विद्या हास्पिटल
2- स्वास्थम हास्पिटल
3- स्वप्निल नर्सिंग होम
4- छत्तीसगढ़ डेंटल हास्पिटल
5- पाण्डेय नर्सिंग होम
6- एकता चाइल्ड हास्पिटल
7- विहान हास्पिटल
8- नवकार हास्पिटल
स्वास्थ्य विभाग को जानकारी देना जरूरी
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थानों को डेंगू मरीजों की जानकारी देनी होती है, जिसमें लापरवाही बरती गयी है. डेंगू की पुष्टि के लिए तीन तरह के टेस्ट होते हैं। इसमें रैपिड के अलावा एंटीजन ब्लड और एलाइजा टेस्ट किया जाता है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, अगर एंटीजन या रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आता है तो एलिसा टेस्ट जरूरी है।
एलिसा टेस्ट के बाद ही डेंगू को पॉजिटिव या नेगेटिव माना जाता है। इस आधार पर ही दावा मान्य है. एडीज मच्छर केवल दिन में ही काटता है। इस मच्छर की खासियत यह है कि अगर यह किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट ले तो इसका कोई असर नहीं होता है, लेकिन अगर यही मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काट ले तो यह इसका वाहक बन जाता है। उसके बाद जब मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। डेंगू के मरीजों को मच्छरदानी में रखकर इलाज करना पड़ता है, ताकि दूसरे लोग संक्रमित न हो जाएं.
राज्य महामारी नियंत्रक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, सीएमएचओ ने 25 अस्पतालों की रिपोर्ट सौंपी है। लापरवाह अस्पतालों पर संज्ञान लेने और स्पष्ट जवाब न मिलने पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। सरकारी और निजी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों को मच्छरदानी में रखना पड़ रहा है। पीड़ितों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य है ताकि कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग की जा सके.
रायपुर सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने कहा,
डेंगू मरीजों के इलाज में लापरवाही बरती गई है। संबंधितों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर नर्सिंग होम एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। अस्पतालों पर जुर्माना लगाया जा सकता है और इलाज पर रोक लगाई जा सकती है. आयुष्मान योजना से भी बाहर किया जा सकता है.
जांच रिपोर्ट में मिला यह
डेंगू मरीजों का किया गया इलाज- 230
ओपीडी में जांच- 135
आरडी किट में मिले पाजिटिव- 217
एलाइजा जांच में पाजिटिव- 3
मच्छरदानी का उपयोग नहीं करने वाले अस्पताल- 7
एलाइजा जांच के लिए सिरम नहीं भेजने वाले- 8