1 अगस्‍त से यूपीआई में बार-बार नहीं कर पाएंगे ये काम

नई दिल्ली

गूगलपे, फोनपे, पेटीएम जैसे ऐप्‍स इस्‍तेमाल करने वाले करोड़ों यूजर्स के लिए काम की खबर है। 1 अगस्‍त से नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एनपीसीआई अपने एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) इस्‍तेमाल को लेकर नए नियम ला रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, यह तकनीकी बदलाव अगस्‍त से लागू होगा। आपको विषय टेक्निकल लग सकता है, लेकिन यह सीधे तौर पर आपके यूपीआई चलाने के तरीके को बदल सकता है। फाइनेंशल एक्‍सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, नया नियम लाने का मकसद यूपीआई सिस्‍टम में पड़ रहे बोझ को कम करना है। इसका असर यह होगा कि आप यूपीआई ऐप से जो बैलेंस चेक करते हैं, उस पर लिमिट लग जाएगी। जो आपने ऑटो पेमेंट सेट किए हैं, उनमें चेंज आएगा। आइए इस बारे में व‍िस्‍तार से समझते हैं।

पेमेंट बढ़ने से सिस्‍टम पर आ रहा लोड
रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई पेमेंट की संख्‍या दिनों दिन बढ़ रही है। हर महीने करीब 16 अरब ट्रांजैक्‍शन प्रोसेस किए जा रहे हैं। इतनी बढ़ी संख्‍या में ट्रांजैक्‍शंस के होने से यूपीआई सिस्‍टम पर लोड बढ़ रहा है। हाल के दिनों में बैंकों की तरफ से सिस्‍टम का गलत इस्‍तेमाल करने के मामले सामने आए थे। साथ ही कुछ तकनीकी कमजोरियां भी दिखी थीं। इनसे निपटने के लिए 1 अगस्‍त से कुछ चेंज किए जा रहे हैं।

5 घंटे तक ठप पड़ी थी सर्विस
रिपोर्ट के अनुसार, बीते दो-तीन महीनों में कई वाकये हुए जब यूपीआई पेमेंट डाउन हुआ। कहा जाता है कि 12 अप्रैल को 5 घंटे तक पेमेंट डाउन रहने से लोग काफी परेशान हुए। यह तीन साल में सबसे लंबा आउटेज था। यूपीआई की वजह से कई लोगों ने वॉलेट रखना छोड़ दिया है या फ‍िर वॉलेट में पैसे नहीं रखते। ऐसे में अगर यूपीआई ही डाउन हो जाए तो लोगों को कितनी अधिक परेशानी होगी। इसी से निपटने के लिए नियमों में बदलाव किया जा रहा है।

1 मिनट डाउन होने का मतलब 4 लाख लोग परेशान
रिपोर्ट बताती है कि यूपीआई पेमेंट का दायरा इतना बढ़ गया है कि इसमें जरा सी रुकावट लाखों की संख्‍या में यूजर्स को परेशान करती है। कहा जाता है कि हर सेकंड 7 हजार ट्रांजैक्‍शंस यूपीआई के जरिए प्रोसेस किए जा रहे हैं। अगर एक मिनट भी यूपीआई डाउन होता है यानी आपका फोनपे, पेटीएम या गूगलपे नहीं चलता तो 4 लाख लोग प्रभावित होते हैं। 10 मिनट यूपीआई डाउन होने पर 40 लाख लोग प्रभावित होते हैं। मौजूदा वक्‍त में यूपीआई पेमेंट करने वालों की संख्‍या 40 करोड़ से ज्‍यादा बताई जाती है। हाल में हुई जांच में सामने आया कि यूपीआई डाउन होने की अहम वजह बार-बार की जाने वाली एपीआई रिक्‍वेस्‍ट है, जिसकी वजह से सिस्‍टम पर लोड आ गया। 'चेक ट्रांजैक्शन' API रिक्‍वेस्‍ट अधिक आने से मार्च और अप्रैल में यूपीआई पर असर पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में बैंकों को कुछ नियमों का पालन करना था, पर उन्‍होंने ऐसा नहीं किया।

1 अगस्‍त से क्‍या बदलाव हो रहा है
NPCI ने सभी बैंकों और PSP यानी फोनपे, पेटीएम, गूगलपे आदि पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स से कहा है कि 31 जुलाई तक 10 सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल होने वाले एपीआई को कंट्रोल किया जाए। यानी अगर यूजर्स यूपीआई ऐप पर बैलेंस ज्‍यादा चेक करते हैं तो अब ऐसा नहीं कर पाएंगे। रिपोर्ट के अनुसार, यूजर अब अपने ऐप पर रोजाना 50 बार बैलेंस चेक कर सकेंगे। मोबाइल नंबर से कितने अकाउंट जुड़े हैं, यह भी रोजाना 25 बार से ज्‍यादा नहीं देखा जा सकेगा। इसके अलावा ऑटोपे पेमेंट जैसे कोई एसआईपी या नेटफ्लिक्‍स की मेंबरशिप पेमेंट नॉन पीक आवर्स में ही होगी। नॉनपीक आवर्स से मतलब सुह 10 बजे से पहले, दोपहर में 1 बजे से शाम 5 बजे तक और रात साढ़े 9 बजे के बाद है।

India Edge News Desk

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