भारत ने आईओसी के भावी मेजबान आयोग को ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के लिए पहले ही आशय पत्र सौंप दिया

नई दिल्ली
भारत ने आईओसी के भावी मेजबान आयोग को 2036 ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के लिए पहले ही आशय पत्र सौंप दिया है जो वैश्विक खेल की शीर्ष संस्था के साथ महीनों की अनौपचारिक बातचीत के बाद एक महत्वाकांक्षी योजना में पहला ठोस कदम है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष पद के दावेदार सेबेस्टियन को का मानना है कि 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत का दावा ‘मजबूत’ है लेकिन कई अन्य देशों के इस दौड़ में शामिल होने से प्रतिस्पर्धा कठिन होगी।

भारत ने आईओसी के भावी मेजबान आयोग को 2036 ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के लिए पहले ही आशय पत्र सौंप दिया है जो वैश्विक खेल की शीर्ष संस्था के साथ महीनों की अनौपचारिक बातचीत के बाद एक महत्वाकांक्षी योजना में पहला ठोस कदम है। को ने ‘पीटीआई’ से विशेष साक्षात्कार में कहा, मेरी पृष्ठभूमि को देखते हुए मेरे यह कहने से आपको हैरानी नहीं होगी कि मैं बहुत खुश हूं कि भारत वैश्विक खेल और विशेष रूप से ओलंपिक आंदोलन के लिए प्रतिबद्ध है। मुझे यह सुनकर बहुत खुशी हुई। पर यह बहुत प्रतिस्पर्धी होगा। क्योंकि इसमें सिर्फ एक ही बोलीदाता नहीं होगा, लेकिन भारत इसे बहुत मजबूत दावा बना सकता है।

पोलैंड, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, कतर, हंगरी, तुर्कीये, मैक्सिको और मिस्र उन अन्य देशों में शामिल हैं जिन्होंने 2036 ओलंपिक की मेजबानी की इच्छा व्यक्त की है। 2036 खेलों के मेजबान देश का 2026 से पहले पता नहीं चलेगा।लेकिन यह निश्चित है कि नए आईओसी प्रमुख के 20 मार्च के चुनाव के विजेता की अध्यक्षता के दौरान मेजबान का चयन किया जाएगा। आईओसी अध्यक्ष के रूप में चुनाव लड़ने वाले सात उम्मीदवारों में उन्हें सबसे आगे माना जा रहा है। 68 वर्षीय को दो बार ओलंपिक 1500 मीटर के स्वर्ण पदक विजेता हैं।

उन्होंने भारत को सलाह देते हुए कहा कि अगर उसे 2036 ओलंपिक की मेजबानी का अधिकार नहीं मिलता है तो उसे ओलंपिक आयोजित करने की अपनी महत्वाकांक्षा को खत्म नहीं करना चाहिए। को ने कहा, बहुत से शहरों ने बोली लगाई और लेकिन उनकी बोली स्वीकार नहीं हुई। दिलचस्प बात यह है कि जब लंदन ने 2005 में (2012 चरण के लिए) बोली हासिल की थी, तो उसने पेरिस को हराया था। हम सभी अभी पेरिस ओलंपिक खेलों (2024) में गए थे। रियो उन शहरों में से एक था जो 2012 की बोली के लिए शुरुआती मूल्यांकन से आगे नहीं बढ़ पाया था। और ब्रिटेन के तुरंत बाद उनके पास 2016 में बोली थी। इसलिये यह किसी भी तरह से कहानी का अंत नहीं है। और बोली लगाने से मिली विरासत भी एक बहुत मजबूत विरासत है।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button