बिल्किस मामले पर गुजरात सरकार बलात्कारियों के पक्ष में तर्क देती है : शाहनवाज़ आलम

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

लखनऊ : गुजरात सरकार द्वारा बिल्किस बानो के साथ बलात्कार और 14 अन्य लोगों की हत्या के दोषियों की रिहाई को उनके द्वारा 14 साल की सज़ा पूरा कर लेने और उनके अच्छे व्यवहार को आधार बताने वाले सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल जवाब को अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने निंदनीय और न्याय के सिद्धांत का मज़ाक बनाने वाला बताया है.जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय बलात्कार के दोषियों को रिहा न करने की गाइडलाइन अपनी वेबसाइट पर लगाता है लेकिन भाजपा की ही राज्य सरकार उसकी न सिर्फ़ अनदेखी करती है बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी इसके खिलाफ़ जाकर बलात्कारियों के पक्ष में तर्क देती है. उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ से जुड़े लोगों को मुसलमानों और दलितों का बलात्कार और हत्या अच्छा लगता है इसीलिए वो ऐसे अपराधों में शामिल लोगों का सार्वजनिक स्वागत करते हैं. लेकिन किसी राजनीतिक दल के लिए बलात्कार और हत्या जैसे अपराध के स्वीकार्य होने का मतलब यह नहीं है कि इसे न्यायालय द्वारा भी स्वीकार्य आचरण मान लिया जाए. उन्होंने उम्मीद जताई की सुप्रीम कोर्ट गुजरात सरकार के इन तर्कों को खारिज कर बिल्किस के दोषियों को दोबारा जेल भेजकर लोगों का न्यायालय पर भरोसे को पुनर्बहाल करेगा. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि 2008 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट की जज यूडी साल्वी ने अपने फैसले में बिल्किस के बयानों को निर्भिकता भरा बताया था जिससे अपराधियों की सज़ा सुनिश्चित हो पायी थी। वहीं यह भी संज्ञान में होना चाहिए कि गुजरात जनसंहार के विभिन्न मामलों में बिल्किस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने 9 क्रूरतम मामलों में से एक माना था और अपनी निगरानी में एसआईटी का गठन करवा कर इसकी जाँच करवाई थी. अगर ऐसे जघन्य अपराधी छोड़ दिये जाते हैं तो न्यायिक संघर्ष की यह पूरी प्रक्रिया व्यर्थ हो जाएगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि गुजरात सरकार का अपने जवाब में यह कहना कि पीआईएल के माध्यम से आपराधिक मामले में कोई भी तीसरा पक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता एक विधि विरुद्ध तर्क है और इसके ज़रिये वो न्याय की मांग करने वाले लोगों और संगठनों को धमकाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि किसी एक व्यक्ति के साथ अन्याय पूरे समाज के साथ अन्याय होता है इसीलिए समाज के प्रतिनिधि के बतौर राज्य स्वंय पीड़ित की तरफ से पैरवी करता है. इसलिए ऐसे किसी भी मामले में जिसका समाज पर प्रभाव पड़ता हो उसमें कोई भी तीसरा पक्ष हस्तक्षेप कर सकता है. गौरतलब है कि बिल्किस बानो के दोषियों की रिहाई के खिलाफ़ उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने 18 अगस्त से 28 अगस्त तक 10 दिनों का व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाया था।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button