चीन के हाथ लग गया है ऊर्जा का खजाना, 60,000 साल तक की बिजली की टेंशन हो जाएगी खत्म?

बीजिंग
चीन के हाथ ऐसा अकूत खजाना हाथ लगा है जिससे उसकी ऊर्जा जरूरतें हमेशा के लिए पूरी हो सकती हैं। चीन के एक राष्ट्रीय सर्वे में चीन के पास थोरियम के अथाह भंडार का पता चला है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने एक विशेषज्ञ के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यह रेडियोधर्मी धातु अकेले वैश्विक ऊर्जा उत्पादन में क्रांति ला सकती है, जिससे जीवाश्वम ईंधन पर दुनिया भर की निर्भरता खत्म हो सकती है। चीन के पास पहले ही बड़ा थोरियम भंडार मौजूद है। हालांकि, 2020 में किए गए सर्वे की क्लासीफाइड रिपोर्ट के अनुसार, यह वास्तव में पिछले अनुमानों से कई गुना अधिक हो सकते हैं।
भारत के पास सबसे बड़ा भंडार

जनवरी में चीनी पत्रिका जियोलॉजिकल रिव्यू में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इनर मंगोलिया में एक लौह अयस्क साइट से केवल पांच साल के खनन अपशिष्ट में इतना थोरियम है कि अमेरिका की घरेलू ऊर्जा मांगों को 1000 से अधिक वर्षों तक पूरा कर सकता है। खास बात ये है कि भारत के पास भी थोरियम का बहुत बड़ा भंडार है। रिपोर्टों के अनुसार, वर्तमान में भारत का थोरियम भंडार दुनिया में सबसे बड़ा है। भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग ने देश में उपलब्ध थोरियम के विशाल भंडार को दीर्घकालिक विकल्प के रूप में इस्तेमाल की योजना बनाई है।

कुछ विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, पूरी तरह से दोहन किए जाने पर बायन ओबो खनन परिसर दस लाख टन थोरियम पैदा कर सकता है, जो चीन को 60,000 वर्षों तक ईंधन देने के लिए पर्याप्त है। बीजिंग स्थित एक भूविज्ञानी ने नाम न बताने की शर्त पर साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया कि यह पता चला है कि अंतहीन ऊर्जा स्रोत हमारे पैरों के ठीक नीचे हैं।

क्या है थोरियम?

थोरियम एक चांदी के रंग की धातु है जिसका नाम पुराने स्कैंडिनेवियन देवता थोर के नाम पर रखा गया है। यह यूरेनियम की तुलना में 200 गुना अधिक ऊर्जा पैदा करता है। यूरेनियम रिएक्टरों के विपरीत थोरियम मोल्टेन-साल्ट रिएक्टर (TMSR) छोटे होते हैं। पिघल नहीं सकते और उन्हें पानी से ठंडा करने की आवश्यकता भी नहीं होती है। इसके अलावा वे रेडियोधर्मी अपशिष्ट भी कम मात्रा में छोड़ते हैं।

पिछले साल चीन ने गोबी के रेगिस्तान में दुनिया के पहले TMSR पावर प्लांट के निर्माण को मंजूरी दी थी। 10 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता वाला यह पायलट प्रोजेक्ट 2029 तक शुरू होने की उम्मीद है।

अभी राह आसान नहीं

सर्वेक्षण के अनुसार, पूरे चीन में 233 थोरियम समृद्ध क्षेत्रों की पहचान की गई है, जो पांच प्रमुख बेल्टों में स्थित हैं। हालांकि, उम्मीद के बावजूद बाधाएं बनी हुई हैं। दुर्लभ मृदा अयस्कों से थोरियम को अलग करने के लिए भारी मात्रा में एसिड और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। 1 ग्राम थोरियम को शुद्ध करने के लिए लगभग सैकड़ों टन अपशिष्ट जल की जरूरत होती है।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button