प्रचार के दौरान भाजपा नेता और मंत्री चंद्रकांत पाटिल के एक बयान के चलते वह नाराज हैं, अजित पवार का जागा चाचा प्रेम

महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत करके बीते साल अलग राह पकड़ ली थी। अब वह भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना के साथ राज्य के डिप्टी सीएम हैं। फिर भी बारामती लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा नेता और मंत्री चंद्रकांत पाटिल के एक बयान के चलते वह नाराज हैं। यह बयान उनके चाचा शरद पवार को लेकर दिया गया था। चंद्रकांत पाटिल ने बारामती में चुनाव प्रचार में कहा था कि हम शरद पवार को हराना चाहते हैं। इसके बाद वह कैंपेन के लिए वहां नहीं गए थे। इसी को लेकर अजित पवार का कहना था कि उन्हें इसीलिए नहीं बुलाया गया था क्योंकि उन्होंने शरद पवार को हराने की बात कही थी।

अजित पवार की यह बात भाजपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को अखरी है। उन्होंने अजित पवार को गलत बताते हुए कहा कि चंद्रकांत पाटिल की कोई गलती नहीं थी। उन्होंने कहा कि चुनाव में ऐसा होता है। विपक्ष के नेता को हराने जैसी बात करने में कुछ गलत नहीं है। बावनकुले ने अहमदनगर में यह बात कही, जहां वह एनडीए के प्रत्याशी डॉ. सुजय विखे पाटिल के समर्थन में प्रचार करने आए थे। मीडिया के सवाल पूछने पर बावनकुले ने कहा कि यह बात सही नहीं है कि अजित पवार नाराज थे। या उन्होंने चंद्रकांत पाटिल को आने से मना किया था।

उन्होंने कहा कि इसमें पाटिल की कोई गलत भी नहीं थी। हम जब चुनाव में जनता से वोट मांगने जाते हैं तो विपक्षी नेता के बारे में कुछ बोलना ही होता है। यही नहीं शरद पवार के एक और बयान पर चंद्रशेखर ने खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि अब शरद पवार कह रहे हैं कि छोटे दल कांग्रेस में विलय कर सकते हैं। यह पहली बार नहीं है। शरद पवार जब भी कमजोर होते हैं तो वह किसी न किसी का हाथ थाम लेते हैं। इसके बाद जैसे ही वह थोड़ा सा मजबूत होते हैं, वह छोड़ देते हैं। अब वह जानते हैं कि बारामती समेत पश्चिम महाराष्ट्र में एनसीपी का वजूद संकट में है।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पृथ्वीराज चव्हाण सही कहते हैं कि चुनाव के बाद एनसीपी और उद्धव सेना का वजूद समाप्त हो जाएगा। उनका शायद यही मतलब था कि उद्धव सेना और शरद पवार की पार्टी का कांग्रेस में विलय हो जाएगा। उन्होंने कहा कि शरद पवार जानते हैं कि स्थिति कमजोर है तो कांग्रेस को ही पकड़ लिया जाए। वहीं उद्धव ठाकरे भी वही करते हैं, जो कांग्रेस कहती है। वह तो वोट के लिए किसी भी स्तर तक जा सकते हैं। सही बात है कि लोकसभा चुनाव के बाद शरद पवार और उद्धव ठाकरे कांग्रेस के साथ हो सकते हैं।

 

India Edge News Desk

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