राकेश टिकैत बोले- बस्तर में विकास नहीं विनाश हो रहा
आदिवासियों को जंगल से निकलकर लड़ाई लड़ने की जरूरत, दिल्ली और रायपुर में हो मार्च

बस्तर : बस्तर के अबूझमाड़ पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यहां विकास नहीं सिर्फ विनाश हो रहा है। दिल्ली दूर है इसलिए आदिवासी किसानों को अपनी आवाज बुलंद करने जंगल से निकलना पड़ेगा। रायपुर या दिल्ली पहुंचकर हक की आवाज उठानी पड़ेगी।
दिल्ली के कागजों में बस्तर नक्सली क्षेत्र है। कहा जाता है कि सुकमा, दंतेवाड़ा, कोंडागांव और बस्तर में तो नक्सली रहते हैं। यदि यहां का कोई आदिवासी अपनी जमीन बचाने हक की लड़ाई लड़ता है तो उसे नक्सली बता दिया जाता है।
2 दिन से बस्तर में ही राकेश टिकैत :
राकेश टिकैत पिछले 2 दिनों से बस्तर में ही हैं। वे बस्तर के अलग-अलग जिलों में जाकर आदिवासी किसानों से मुलाकात कर रहे हैं। नारायणपुर जिले के नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के मढ़ोनार पहुंचे। जहां पिछले सालभर से पुलिस कैंप, सड़क और खदान के विरोध में बैठे आदिवासियों से बातचीत की।
नेताओं पर कसा तंज :
जल-जंगल-जमीन में आदिवासियों का हक है। यदि इनके पहाड़ छीन रहे हैं तो ये लड़ाई लड़ेंगे। पहाड़ों में खनन हो रहा है तो इनकी भी हिस्सेदारी होनी चाहिए। नेताओं पर तंज कसते कहा कि वे इनका वोट लेकर जीत जाते हैं। फिर रायपुर और दिल्ली की चमचमाती कोठियों पर बैठकर इन्हें भूल जाते हैं।
350 बार गया हूं जेल- टिकैत :
मैं किसानों के हित में पिछले 30-35 सालों से आंदोलन कर रहा हूं। 350 बार जेल जाकर आया हूं। आंदोलन होगा तो गिरफ्तारी भी होगी। इसलिए शांतिपूर्ण तरीके से अपने असली औजारों के साथ मार्च निकालना होगा। अगर मार्च इनका होगा तो सरकारों को भी इनकी सुननी पड़ेगी।
नहीं है कोई सुविधा :
राकेश टिकैत ने कहा कि बस्तर में जंगल उजाड़े जा रहे हैं। जो सड़कें थी उखड़ी पड़ी हैं। मेडिकल फैसिलिटी नहीं है। स्कूल नहीं है। आदिवासियों के पास रोजगार नहीं है। इसलिए ये अपनी आवाज उठा रहे हैं।
ऑर्गेनिक बोर्ड का हो गठन :
किसानों के लिए MSP गारंटी कानून होना जरूरी है। यहां ऑर्गेनिक चीजें मिलती हैं। इसलिए ऑर्गेनिक बोर्ड का भी गठन होना चाहिए। देश के विभिन्न शहरों में काउंटर खुलने चाहिए। जिससे इन्हें भी फायदा मिलेगा।