यह है प्रदेश के ख़ुशहाल किसानों की कहानी

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

जांजगीर-चाम्पा : एक समय था जब किसान बारिश की दस्तक के साथ ही अपनी खेत में फसल उगाते थे। इन फसलों को बोने के साथ किसानों के मन में यहीं उम्मीदें होती थी कि धान बेचकर वे अपनी जरूरतों को पूरा करेंगे। कर्ज चुकायेंगे। फसल लेने के खातिर ऐसे कई किसान भी होते थे जो घर के आभूषणों को, मवेशियों को गिरवी रखकर, अधिक ब्याज दर पर रकम उधारी लेकर खेती किसानी करते थे। इस बीच धान को बेचने के लिए किसानों को जद्दोजहद इतनी करनी पड़ती थी कि अनेक किसान परेशान होकर धान भी नहीं बेच पाते थे। पहले धान का वह मूल्य भी नहीं मिलता था, लेकिन सिस्टम की परेशानी इतनी अधिक थी कि धान न बेच पाने से वे अपनी मेहनत के उपज को औने-पौने दाम पर कोचियों को बेच आते थे। अब ऐसा नहीं है। यह किसान भी कहते हैं। धान की कीमत भी बहुत अधिक है और धान बेचने का सिस्टम भी पारदर्शिता के साथ सहूलियतों से भरा है। किसान आसानी से अपना पंजीयन कराने के साथ टोकन प्राप्त कर निर्धारित तिथि को धान बेच पाते हैं। धान बेचने के कुछ दिन के भीतर ही किसानों के खाते में बेचे गए धान के हिसाब से पैसा भी आ जाता है। यहीं नहीं उपार्जन केंद्रों की संख्या बढ़ने के साथ उनके बैठने के लिए छाया, पेयजल की व्यवस्था भी की गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा कर्जमाफी, अधिक कीमत पर धान खरीदने, अन्य फसलों को बढ़ावा देने, आसान ऋण उपलब्ध कराने और समय पर खाद-बीज की व्यवस्था जैसी किसान हितैषी निर्णय ने किसानों को बहुत राहत पहुँचाई है।

धान उत्पादन में अग्रणी जांजगीर-चाम्पा जिले की पहचान धान और किसान से हैं। जिले के किसान पूरी मेहनत से अपने खेत में फसल उगाते हैं। इन फसलों को बेचने के लिए किसानों में एक अलग उत्साह का माहौल रहता है। ग्राम डोंगा कोहरौद, भैंसों और सेमरिया के किसान लक्ष्मीनारायण, रामकुमार ने बताया कि वह भी किसान है। लक्ष्मी नारायण ने बताया कि वह 4 एकड़ से अधिक क्षेत्र में खेती करते हैं। उन्हें 200 बोरा धान प्राप्त हुआ है। वह अपने क्षेत्र के धान उपार्जन केंद्र में धान बेच रहा है। किसान ने बताया कि उन्होंने धान बेचने पंजीयन कराया था। अब टोकन प्रणाली से उन्हें निर्धारित दिवस को ही धान बेचने की सहूलियत मिल रही है।

किसान रामकुमार ने बताया कि पहले धान बेच पाना बहुत कठिन काम होता था। कई बार धान को बेचने के लिए रात और सुबह भी हो जाती थी। बहुत मुश्किल से नंबर आता था। अब ऐसा नहीं है। पहले से टोकन मिल जाने की वजह से निर्धारित दिन को ही धान बेच पाते हैं। किसानों ने बताया कि टोकन मिलने से एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया है। धान उपार्जन स्थल पर किसानों के लिए पीने का पानी और छाया भी उपलब्ध है। उन्होंने धान बेचने के लिए किए जा रहे बदलाव की सराहना करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में राजीव गाँधी किसान न्याय योजना लागू हुई है, इससे भी किसानों को बड़ा सहारा मिल गया है। उन्हें न तो कर्ज के बोझ तले डूबना पड़ता है और न ही दर्द सहकर आत्मघाती कदम उठाने के बारे में सोचना पड़ता है। खेती किसानी कार्य के ठीक पहले न्याय योजना की राशि खाते में जमा हो जाने से उन्हें बड़ी राहत मिलती है।

किसान बसन्त साहू ने बताया कि राजीव गाँधी किसान न्याय योजना लागू कर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने किसानों को बड़ी राहत पहुचाई है। इस योजना की राशि ठीक ऐसे समय में उनके खाते में आती है, जब उन्हें खेती किसानी के लिए राशि की जरूरत होती है। बैंक खाते में राशि मिलने से वे समय पर खेती के लिए आवश्यक तैयारी कर पाते हैं। उनका कहना था कि खेती कार्य के लिए किसानों को कर्ज लेना पड़ता था। कुछ किसान अधिक ब्याज दर पर कर्ज लेकर साहूकारों के चंगुल में फस जाते थे। घर का कीमती सामान, आभूषणों तक को गिरवी रखकर खेती कार्य के लिए पैसा जुटाया जाता था। अब ऐसा नहीं है। गौरतलब है कि हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना की तीसरी किश्त के तौर पर जिले के 2 लाख 1 हजार 211 पंजीकृत किसानों के बैंक खाते में कुल 12697.72858 लाख रुपए की राशि भी अंतरित की थी।

India Edge News Desk

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