सिंहस्थ-2028 में श्रद्धालु क्षिप्रा जल से ही करेंगे पुण्य स्नान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

सिंहस्थ-2028 में श्रद्धालु क्षिप्रा जल से ही करेंगे पुण्य स्नान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री पाटिल ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को दी बधाई
सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी और कान्ह क्लोज डक्ट हैं अद्भुत परियोजनाएं
विश्व की पहली दो बड़ी नदी जोड़ो परियोजनाएं मध्यप्रदेश में
साढ़े 12 हजार बीघा में हरिद्वार की तरह होगा विकास
साधु संत, अखाड़ों को दिए जाएंगे भूखंड
उज्जैन में 614.53 लाख रूपये की सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का किया भूमि-पूजन

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में विकास कारवां निरंतर चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2028 के सिंहस्थ में श्रद्धालु क्षिप्रा जल से स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोमवार को केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल के साथ उज्जैन में 614.53 लाख रूपये की सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का भूमि-पूजन किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व की पहली दो बड़ी नदी जोड़ो परियोजनाओं की सौगात दी है। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ 2028 को दृष्टिगत रखते हुए साढ़े 12 हजार बीघा क्षेत्र में हरिद्वार की तरह विकास कार्य किये जायेंगे। सिंहस्थ-2028 साधु-संतों के लिये भी अविस्मरणीय होने वाला है, क्योंकि इस बार सरकार ने साधु-संतों और अखाड़ों को पक्के निर्माण के लिये भू-खण्ड देने का अभूतपूर्व निर्णय लिया है। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री पाटिल ने उज्जैन को मिल रही सौगातों के लिये मुख्यमंत्री डॉ. यादव को बधाई और शुभकामनाएँ दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर बहनों को सुहाग की श्रंगार सामग्री एवं साड़ियां और बच्चों को पतंगें भेंट की।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिंहस्थ-2028 में वर्ष-1967 के सिंहस्थ के बाद श्रद्धालुओं को मोक्षदायनी माँ क्षिप्रा के पवित्र जल में स्नान करने का पुण्य लाभ मिलेगा। क्षिप्रा नदी में पानी की कमी के चलते 1980 के सिंहस्थ में गंभीर का पानी लाया गया। इसी प्रकार 1992 और 2004 के सिंहस्थ में भी गंभीर का पानी क्षिप्रा में प्रवाहित किया गया। वर्ष-2016 के सिंहस्थ में मां नर्मदा का पानी क्षिप्रा में लाया गया। कुछ साधु-संतों का ऐसा कहना था कि जब हमें नर्मदा में ही स्नान करना था, तो हम ओंकारेश्वर में ही स्नान कर सकते थे। मैंने उनकी भावना को समझा और संकल्प लिया कि वर्ष- 2028 के सिंहस्थ में क्षिप्रा नदी के जल में ही सबको स्नान कराया जाएगा। बाबा महाकाल के आशीर्वाद से सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी और कान्ह क्लोज डक्ट परियोजनाओं से यह संकल्प पूरा होने जा रहा है। यह उज्जैन के इतिहास में अविस्मरणीय दिन होगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी और कान्ह क्लोज डक्ट दोनों अद्भुत परियोजनाएं हैं। सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना के अंतर्गत वर्षा ऋतु में क्षिप्रा नदी के जल को सिलारखेड़ी जलाशय में एकत्र कर पुनः आवश्यकता अनुसार क्षिप्रा नदी में प्रवाहित कर उसे निरन्तर प्रवहमान बनाया जाएगा। इस परियोजना में ग्राम सेवरखेड़ी में 1.45 मिलियन घन मीटर क्षमता का बैराज निर्माण कर, यहाँ से 3 मीटर व्यास की 6.50 कि.मी. लंबी पाइप लाईन द्वारा क्षिप्रा नदी का जल सिलारखेड़ी जलाशय में संचित किया जावेगा। इस हेतु सिलारखेड़ी जलाशय की क्षमता को 51 मिलियन घन मीटर तक बढ़ाया जावेगा। सिलारखेड़ी जलाशय में संचित जल 1.80 मीटर व्यास की 7.00 किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन द्वारा पुनः क्षिप्रा नदी में ग्राम कुंवारिया के समीप आवश्यकता अनुसार छोड़ा जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कान्ह क्लोज डक्ट योजना का कार्य प्रगति पर है। इसके अंतर्गत कान्ह नदी को डायवर्ट कर 30 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन से, मार्ग में जल को स्वच्छ कर, उज्जैन शहर की सीमा से बाहर गंभीर नदी की डाउन स्ट्रीम में छोड़ा जाएगा। सितम्बर-2027 तक यह परियोजना पूर्ण होगी। यह पाइप लाइन जमीन में 100 फीट गहराई पर जाएगी। खेतों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा और उनमें पूर्ववत खेती होती रहेगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन में माँ क्षिप्रा, बाबा महाकाल और सभी देवी-देवताओं का वास है। क्षिप्रा ग्राम उज्जैनी की पहाड़ी से निकलती है और उज्जैन की परिक्रमा करती है। मध्यप्रदेश नदियों का मायका है यहां सबसे अधिक संख्या में नदियां हैं। मध्यप्रदेश अत्यंत पुण्य भूमि है यहां भगवान श्रीराम चित्रकूट में 11 वर्षों तक रहे। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने उज्जैन में अध्ययन कर 24 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया। आदि गुरू शंकराचार्य ने यहां की भूमि पर दीक्षा प्राप्त की।

 केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री पाटिल ने पानी बचाने के लिए अभियान चलाने और अधिक से अधिक वर्षा का जल धरती में संग्रहण के लिए बड़ी संख्या में भू-जल पुनर्भरण संरचनाएं बनाने के लिए कहा। भू-जल पुनर्भरण संरचनाएं बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा जिलों को राशि भी दी जाती है। उन्होंने कहा कि जल है तो कल है, गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में रहना चाहिए। वर्षा जल को सहेजने के लिए जो भी उपाय होता हो उसे किया जाना चाहिए।

जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना से मोक्षदायिनी माँ क्षिप्रा में शुद्ध जल का सतत प्रवाह होगा। उन्होंने पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस परियोजना से सिंचाई के क्षेत्र में क्रांति आएगी। आने वाले समय में प्रदेश में 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।

प्रदर्शनी का अवलोकन

       मुख्यमंत्री डॉ. यादव और केन्द्रीय मंत्री पाटिल ने सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना पर आधारित प्रदर्शनी और मॉडल का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री पाटिल को परियोजना के बारे में विस्तार से बताया।

कौशल विकास एवं रोजगार और उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, राज्य सभा सांसद बालयोगी उमेशनाथ जी महाराज, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालूहेडा, जितेन्द्र पण्ड्या, डॉ. तेजबहादुर सिंह चौहान व सतीश मालवीय, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कमला कुँवर, उपाध्यक्ष श्रीमती शिवानी कुँवर, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, पूर्व विधायक बहादुर सिंह चौहान, महंत रामेश्वर दास, संजय अग्रवाल, बहादुर सिंह बोरमुण्डला, विवेक जोशी, विशाल राजोरिया, सनवर पटेल, अपर मुख्य सचिव जल संसाधन डॉ. राजेश राजौरा, संभागायुक्त संजय गुप्ता, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा सहित जन-प्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी एवं बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

 

India Edge News Desk

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