Ambikapur News: सरगुजा जिले में एक मासूम बच्चे ने नारियल का टुकड़ा मुंह में निगलने की कोशिश की और गले में फंस जाने के कारण उसकी हालत बिगड़ गई.
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में लापरवाही से घर में नारियल का टुकड़ा फेंकने से आठ माह के मासूम बच्चे की जान चली गई.
अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में एक आठ महीने के बच्चे की जान उसके घर में लापरवाही से फेंके गए नारियल के कारण खतरे में पड़ गई. बच्चे ने नारियल का टुकड़ा मुंह में लेकर निगलने की कोशिश की और गले में फंस जाने के कारण उसकी हालत गंभीर हो गई. . अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद चिमटी की मदद से मासूम के गले से नारियल का टुकड़ा निकाला गया। इसके लिए मासूम बच्चे को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन देना पड़ा. डॉक्टरों के मुताबिक अगर मासूम बच्चे को अस्पताल लाने में थोड़ा और समय लग जाता।
प्रभारी अस्पताल अधीक्षक डॉ. जेके रेलवानी ने बताया कि जयनगर निवासी रामदेव के आठ माह के बेटे आदित्य ने
29 दिसंबर की सुबह खेलते समय नारियल का टुकड़ा निगल लिया था. टुकड़े के कारण मासूम को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. उसके गले में अटक रहा है. परिजन आनन-फानन में आदित्य को शहर के दो निजी अस्पतालों में ले गए, लेकिन जब उन्होंने छोटे बच्चे का ऑपरेशन करने से मना कर दिया तो वे मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे। शाम को आपातकालीन विभाग में दिखाने के बाद डॉक्टरों ने ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बीआर सिंह से संपर्क किया।
होश में लाना भी एक चुनौती
डॉ. बीआर सिंह तुरंत अस्पताल पहुंचे और बच्चे का एक्स-रे कराने के बाद रात में ही ऑपरेशन करने का फैसला किया। उनके साथ डॉ. उषा, डॉ. अनुपम मिंज, डॉ. प्रिंसी, एनेस्थीसिया से डॉ. शिवांगी और सर्जरी विभाग के डॉक्टर की मदद ली गई। आठ महीने के बच्चे के गले में नारियल या कोई अन्य चीज फंसने का संभवत: यह पहला मामला है और डॉक्टरों ने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए पहली बार ऐसे मामले को संभाला और बच्चे की जान बचाई।
करीब ढाई घंटे तक चला ऑपरेशन
डॉ. बीआर सिंह ने बताया कि आदित्य आठ माह का था और जब तक उसे पूरी तरह से बेहोश नहीं किया जाता, ऑपरेशन करना संभव नहीं था. उन्होंने बताया कि एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. शिवांगी की मदद से मासूम आदित्य को पूरी तरह से बेहोश कर दिया गया और करीब ढाई घंटे तक ऑपरेशन कर उसे वापस होश में लाना एक चुनौती थी. टीम वर्क की मदद से मासूम बच्चे को होश में लाया गया और डॉक्टरों की निगरानी में आईसीयू में शिफ्ट किया गया। उन्होंने बताया कि एक जनवरी को मासूम बच्ची पूरी तरह स्वस्थ थी.