बौद्ध कूटनीति के सहारे एशियाई देशों के साथ संबंधों को बेहतर करने में लगा हुआ है भारत

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद से भारत की विदेश नीति में बौद्ध विरासत को काफी महत्व दिया जा रहा है और इस वजह से एशिया के ज्यादातर देशों से भारत के साथ संबंधों में मजबूती आ रही है। यही वजह है कि भारत बौद्ध कूटनीति के सहारे एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने में लगा हुआ है। जानकारी के अनुसार दुनियाभर की 97 प्रतिशत बौद्ध आबादी एशिया के देशों में रहती है और भारत बौद्ध धर्म का अहम तीर्थ स्थल है। ऐसे में पिछले कुछ सालों में दुनिया के 39 देशों में भारत ने इसी बौद्ध नीति के सहारे अपने संबंधों को नई दिशा दी है।
भारतीय विदेश नीति में लुक ईस्ट और एक्ट ईस्ट एशिया की कामयाबी में बौद्ध नीति अहम स्थान बनता जा रहा है. देखा जाए तो चीन लगातार दुनिया के देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। चीन अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए दुनिया के कई देशों को लोन मुहैया करा रहा है। साथ ही मिलिट्री, इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी चीनी कंपनियां बड़ी संख्या में इंवेस्टमेंट कर रही हैं, जिसकी वजह से चीन के कर्ज मायाजाल में भी कई देश फंस कर बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
हाल ही में जिस तरह से श्रीलंका, पाकिस्तान और अफ्रीका के कुछ देशों में चीन के कर्ज का असर हुआ, उसे लेकर दुनिया के कई देश चीन की नीतियों पर सशंकित हैं। चीन से उलट भारत सॉफ्ट पावर के दम पर एशिया के ज्यादातर देशों से जुड़ रहा है, जिसकी वजह से भारत के प्रति इन देशों में काफी सम्मान है। भारत ने एक्ट ईस्ट एशिया के तहत अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए 3-C यानि कल्चर, कनेक्टिविटी एंड कामर्स के विकास पर जोर दे रही है। डा. डॉ डमेंदा पोरागे जो कि श्रीलंका से हैं और IBC में उप सचिव प्रमुख हैं ने कहा कि मोदी सरकार ने बुद्ध धर्म के लिए काफी कुछ किया है।
प्रधानमंत्री मोदी कई बार श्रीलंका जा चुके हैं। उन्होंने जब भी बात की भगवान बुद्ध के संदेशों का जिक्र किया। श्रीलंका में कई बुद्ध धर्म के अनुयायी ऐसा मानते है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बुद्ध धर्म के लिए काफी काम हुआ है। दुनिया के अलग-अलग देशों में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) ने इस साल 5 नवंबर को दस साल पूरे होने पर दिल्ली में एक बड़ा कार्यक्रम किया, जिसमें दुनियाभर से आए बुद्ध धर्म के अनुयायी, विद्वान और राजदूत शामिल हुए।
(जी.एन.एस)