इंदिरा रसोई योजना : केवल 8 रुपये में मिलती है गरीब को थाली

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
कोविड काल में लोगों को बहुत सी परेशानियां हुई, रोज कमाने, रोज खाने वालों के सामने तो बहुत बडा संकट खडा हो गया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस बात का अहसास था कि एक बहुत बडा तबका दिहाडी मजदूरों का है, लॉकडाउन के चलते उनके सामने भूखे सोने की नौबत आ सकती है। मुख्यमंत्री ने पूरे सरकारी अमले को इस काम पर लगा दिया कि कोई भूखा ना सोये, यह बात यकीन से कही जा सकती है कि कोरोना काल में राजस्थान का एक भी व्यक्ति भूखा नहीं सोया।
कोविड काल की स्थितियों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने ठान लिया कि प्रदेश का कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोना चाहिए। उन्होंने अगले बजट में ही इंदिरा रसोई योजना की घोषणा की और आज प्रदेश में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो भूखा सोता हो। प्रतिवर्ष 250 करोड रूपये के बजट प्रावधान से 20 अगस्त, 2020 को 213 नगरीय निकायों में 358 स्थाई रसोइयों के साथ इस योजना को लागू किया गया। अब इन रसोइयों की संख्या बढकर 1000 हो गई है जिनको 500 से अधिक स्थानीय सेवाभावी संस्थाओं व अलाभकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित की जा रही है। ऐसी जगह जहां ज्यादा से ज्यादा लोगों की आवाजाही हो, जहां दिहाडी मजदूर जमा होते हों या जहां जरूरतमंद लोग जमा होते हों, चिन्हित किए गए और वहां इंदिरा रसोई शुरू की गई। पहले जहां लाइन लगाकर खाना दिया जाता था वहीं यह तय किया गया कि आने वाले को सम्मानपूर्वक भोजन कराया जाए।
इंदिरा रसोई में जो भोजन दिया जा रहा है उसमें पौष्टिकता का भी पूरा ख्याल रखा गया है। अभी जो भोजन दिया जा रहा है उसमें प्रति थाली 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती और अचार दिया जा रहा है। इस थाली की कीमत केवल 8 रूपये रखी गई है। किसी साधारण आदमी के लिए भी आठ रूपये देना कोई मुश्किल काम नहीं है, इतने रूपये तो गरीब से गरीब आदमी भी दे सकता है। पूरे देश में कहीं भी 8 रूपये में सम्मानपूर्वक, पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, लेकिन राजस्थान में यह संभव है। इस थाली में मौसम के अनुसार सब्जी होती है और स्वाद ऐसा कि मध्यम आय वर्ग के लोग भी इसके खाने का लुत्फ उठा रहे हैं। सचिवालय के पास स्थित इंदिरा रसोई पर लंच टाईम में सरकारी कर्मचारियों की भीड इस बात का प्रमाण है खाना कितना अच्छा होगा। अब तक 8 करोड 23 लाख लोग इसका स्वाद ले चुके हैं, हर कोई कहता है इतने कम दामों में इतना स्वादिष्ट भोजन नहीं मिल सकता। इस संख्या को बढा कर 9 करोड 21 लाख थाली तक करने का लक्ष्य रखा गया है। रसोई सुबह 8.30 बजे तैयार हो जाती है और 2 बजे तक भोजन परोसा जाता है। शाम का भोजन 5 बजे शुरू हो जाता है जो 8 बजे तक उपलब्ध रहता है।
इस योजना में समाज का भी सहयोग लिया जा रहा है। कोई भी दानदाता या व्यक्ति परिजनों की याद में, अपने बच्चे के जन्मदिन या अन्य मांगलिक अवसर पर भोजन प्रायोजित कर सकता है। इसका फायदा यह हुआ कि अब तक 36 हजार 55 भामाशाहों ने अलग अलग अवसरों पर भोजन की व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से इनको अभिनंदन पत्र भी भिजवाए जा रहे हैं।
प्रदेश के 10 नगर निगम में 87 रसोई शुरू की गई जिनको बढाकर 174 कर दिया, अब इनकी संख्या 261 हो जाएगी। इसी प्रकार 36 नगरपरिषद में 311 और 194 नगरपालिका में 428 रसाइयां संचालित की जा रही है। नगर निगम में प्रतिदिन दोपहर व रात्रिकालीन भोजन में 200 थाली का लक्ष्य रखा गया है तो नगर परिषद व नगर पालिका क्षेत्र में 100 थाली प्रतिदिन सुबह शाम की तय की गई है।
कोरोना काल में जो काम शुरू हुआ वह अब बहुत बढ गया है। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों, प्रतियोगी परीक्षाओं, विभिन्न भर्तियों, धार्मिक, सामाजिक मेलों, जिला या राज्यस्तरीय खेल प्रतियोगिताओं व अन्य अवसरों पर इन रसोइयों के माध्यम से पौष्टिक एवं स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था की जा रही है। इन रसोइयों की व्यवस्था को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर के संगठन इसका अध्ययन करने आ रहे हैं साथ ही ‘स्कॉच‘ अवार्ड के लिए भी इसका नामांकन किया गया है।