मार्च तक लोगों को सताती रहेगी महंगाई : शक्तिकांत दास

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 6 अप्रैल को शुरू हुई थी। इसके बाद RBI की तरफ से रेपो रेट को लेकर बड़ा ऐलान किया गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान किया। MPC ने पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार है। एमएसएफ रेट और बैंक रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4.25% रहेगा। रिवर्स रेपो रेट में 0.40% की बढ़ोतरी की गई है। अब यह बढ़कर 3.75% हो गया है हालांकि आरबीआई गवर्नर ने महंगाई को लेकर चिंता जरूर व्यक्त की।

रिजर्व बैंक गर्वनर ने कहा कि मार्च तक महंगाई लोगों को सताती रहेगी। इसके बाद कीमतों में गिरावट आ सकती है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022 के लिए 5.3 प्रतिशत महंगाई का अनुमान, वहीं 2023 में 5 प्रतिशत महंगाई का अनुमान लगाया गया है। आरबीआई ने लगातार 11वीं बार प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले, रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को रेपो रेट में बदलाव किया था।आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले अलग रास्ते पर चल रहा है। आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में साल-दर-साल सबसे तेज गति से बढ़ने की ओर अग्रसर है। यह रिकवरी बड़े पैमाने पर टीकाकरण और निरंतर वित्तीय और मौद्रिक सहायता के चलते प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.8% अनुमानित है।

रेपो रेट को आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।

रेपो रेट से उलट होता है। बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। जब भी बाजारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें। इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

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