एमएसएमई ऊर्जा दक्षता उपाय अपनाकर खर्च में 37 करोड़ रुपये तक की कर सकते हैं कटौती, रिपोर्ट में दावा

नई दिल्ली
 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 31%, निर्यात में लगभग 50% और विनिर्माण क्षेत्रों में सभी रोजगार में 57% का योगदान करते हैं। ये अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं लेकिन अत्यधिक ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन भी करते हैं। एमएसएमई ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि के प्रति भी संवेदनशील हैं और उनकी कुल विनिर्माण लागत में ऊर्जा की लागत काफी अधिक है। अब एक अध्ययन में सामने आया है कि यदि ये एमएसएमई अनुशंसित ऊर्जा दक्षता (ईई) उपायों पर काम करें तो अपनी ऊर्जा लागत में 37 करोड़ रुपये की बचत कर सकते हैं।

औद्योगिक क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन की निर्भरता कम करने की जरूरत
औद्योगिक क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन निर्भरता को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को आगे बढ़ाने के लिए एमएसएमई का डीकार्बोनाइजेशन (कार्बन उत्सर्जन में कमी) होना आवश्यक है। कई बड़े पैमाने के उद्योगों ने ऊर्जा दक्षता और संरक्षण उपायों को लागू किया है, पर एमएसएमई उद्योग इस मामले में पिछड़ रहे हैं।

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (सीएसटीईपी) ने 'एमएसएमई विनिर्माण क्षेत्र में डीप डीकार्बोनाइजेशन की गुंजाइश' शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। दो वर्षों में तैयार किए किए गए इस अध्ययन में एमएसएमई विनिर्माण क्षेत्रों में डीकार्बोनाइजेशन और ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने की क्षमता का मूल्यांकन किया गया।

इस अध्ययन में पांच ऊर्जा और उत्सर्जन के मामले में गहन क्षेत्रों से कुल 66 एमएसएमई इकाइयों को कवर करने वाले सात क्लस्टर शामिल किए गए। अध्ययन के दौरान डीकार्बोनाइजेशन प्रौद्योगिकियों (जैसे विद्युतीकरण प्रक्रिया और ईंधन स्विचिंग) की व्यवहार्यता का मूल्यांकन करने के लिए एक विस्तृत तकनीकी-आर्थिक विश्लेषण किया गया।

अध्ययन में इन सात कलस्टर को शामिल किया गया

दिल्ली-एनसीआर क्लस्टर (एल्यूमीनियम डाई-कास्टिंग; 10 इकाइयां)
बेंगलूरु क्लस्टर (एल्यूमीनियम डाई-कास्टिंग; 10 इकाइयां)
लुधियाना क्लस्टर (कपड़ा; 12 इकाइयां)
तिरुपुर क्लस्टर (कपड़ा; 10 इकाइयां)
अलाथुर क्लस्टर (फार्मास्यूटिकल्स; 10 इकाइयां)
आसनसोल-चिरकुंडा क्लस्टर (रेफ्रेक्ट्रीज; 8 इकाइयां)
कोयंबटूर क्लस्टर (बेकरी; 6 इकाइयां)
अध्ययन में सामने आई ये बातें

अध्ययन में पाया गया कि अनुशंसित ऊर्जा दक्षता (ईई) उपायों, नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) समाधान और उन्नत प्रौद्योगिकियों के संयोजन के कार्यान्वयन से 1,36,581 टीसीओ2 का उत्सर्जन तो कम किया ही जा सकता है साथ ही, 3,85,383 जीजे के ऊर्जा उपयोग में संभावित बचत भी हो सकती है। ऐसा होने से ऊर्जा लागत में 37 करोड़ रुपये (आसनसोल-चिरकुंडा समूहों को छोड़कर) कमी की जा सकती है। ऐसा होने से समूहों की ऊर्जा लागत में भी कमी आ सकती है। एल्यूमीनियम डाई-कास्टिंग क्लस्टर के लिए, पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी) से चलने वाली भट्टियों की तुलना में विद्युत प्रतिरोध भट्टी एक कुशल और लागत प्रभावी विकल्प है, जो कम जीएचजी उत्सर्जन करती है। इलेक्ट्रिक बॉयलर अपनी उच्च पूंजी लागत और कम उपयोग के कारण फार्मास्युटिकल क्लस्टर के लिए वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं हैं। हालांकि इलेक्ट्रिक भट्टी रिफ्रैक्टरीज़ क्षेत्र के लिए उत्सर्जन में 29% की कमी कर सकती है, लेकिन अधिक पूंजी लागत के कारण इसकी वित्तीय व्यवहार्यता बाधित होती है।

बायोडीजल मिश्रण एमएसएमई के लिए एक व्यवहार्य ईंधन विकल्प हो सकता है
अध्ययन के अनुसार जैव-संपीड़ित प्राकृतिक गैस एक प्रारंभिक विकास चरण में है, पर यह एक व्यवहार्य विकल्प है जिसका उपयोग एल्यूमीनियम डाई-कास्टिंग क्लस्टर में पीएनजी-फायर भट्टियों में किया जा सकता है। डीजल जनरेटर सेट और डीजल बॉयलर में 80% डीजल के साथ बायोडीजल मिश्रण एमएसएमई क्षेत्र के लिए एक और व्यवहार्य ईंधन विकल्प हो सकता है। बॉयलरों को हरित हाइड्रोजन में परिवर्तित करने की उत्सर्जन में कमी की क्षमता के बावजूद, उच्च ईंधन लागत और हाइड्रोजन बॉयलरों को अपनाने की लागत इसके व्यापक रूप से अपनाने में बाधा डालती है।

फार्मास्युटिकल क्षेत्र में इलेक्ट्रिक ड्राइव और हीटिंग वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी) उपकरण के लिए ईई उपाय, कपड़ा क्षेत्र में बॉयलर और थर्मिक तरल हीटर, एल्यूमीनियम डाई-कास्टिंग क्षेत्र में भट्टियां और डाई-कास्टिंग मशीनें,और बेकरी क्षेत्र में ओवन उच्चतम ऊर्जा बचत क्षमता प्रदान कर सकते हैं।

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (सीएसटीईपी) भारत के अग्रणी थिंक टैंक में से एक है, जो देश के सामने आने वाली बड़ी चुनौतियों को हल करने में शामिल है। इनमें सतत और सुरक्षित भविष्य, भारत का हरित ऊर्जा परिवर्तन, सभी के लिए स्वच्छ वायु और डिजिटल परिवर्तन जैसी चुनौतियां शामिल हैं शामिल हैं।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button