सीजफायर के लिए चौतरफा दबाव में इजरायल, अपने ही घर में घिरे नेतन्याहू अब क्या करेंगे?

गाजा

इजरायल अपने इतिहास के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है. एक तरफ उस पर गाजा में युद्धविराम के लिए भारी अंतरराष्ट्रीय दबाब है, दूसरी तरफ हमास की कैद से बंधकों की रिहाई के लिए इजरायली शहरों में लगतार विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं. शनिवार को हजारों लोग तेल अवीव की सड़कों पर उतर आए और मार्च निकाला. इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने गाजा में तुरंत सीजफायर की मांग की, ताकि बंधकों की सुरक्षित रिहाई हो सके.

हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों के परिजनों और दोस्तों को डर है कि यदि इजरायल सीजफायर के लिए राजी नहीं होता तो युद्ध लंबा खिंचेगा और ज्यादा बंधक मारे जाएंगे. प्रदर्शन में शामिल लोगों ने इजरायल की सरकार से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से युद्धविराम के लिए दिए गए प्रस्ताव को मानने की भी अपील की है. गाजा में करीब आठ महीने से जारी जंग को खत्म करने के लिए अमेरिका ने इजरायल और हमास के सामने नया शांति प्रस्ताव रखा है.  

इस प्रस्ताव में इजरायली बंधकों कि रिहाई और गाजा के रिहायशी इलाकों का पुनर्निर्माण करने की बात कही गई है. शुक्रवार को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बताया था कि नए शांति प्रस्ताव के तीन चरण है. इसमें पहले चरण में 6 सप्ताह के लिए सीजफायक लागू किया जाएगा. इस दौरान इजरायली सैनिक गाजा के आबादी वाले इलाके से हट जाएंगे. इसके साथ ही फिलिस्तीनी कैदियों के बदले हमास बुजुर्गों और महिला इजरायली बंधकों को छोड़ेगा.

दूसरे चरण में इजरायल और हमास टकराव को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए बातचीत करेंगे. इस दौरान सीजफायर लागू रहेंगे. तीसरे और आखिरी चरण में गाजा के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया जाएगा. व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि हर कोई जो शांति चाहता है. अब समय आ गया है कि इस जंग को खत्म कर दिया जाए. उन्होंने दोनों पक्षों के नेताओं से इस मौके का फायदा उठाए की अपील की है.

बाइडेन ने कहा था, ''यह एक स्थायी युद्ध विराम और सभी बंधकों की रिहाई का रोडमैप है. यह प्रस्ताव कतर द्वारा हमास को भेजा गया है. मैं अमेरिकी नागरिकों और दुनिया के लिए उचित शर्तें रखना चाहता हूं. इस नए प्रस्ताव के तीन चरण हैं.'' इससे पहले हमास ने भी इजरायल को शांति प्रस्ताव दिया था, जिसे उसने मानने से इनकार कर दिया था. हमास के प्रस्ताव में इजरायली सैनिकों की गाजा से तुरंत वापसी के बदले बंधकों को छोड़ने की बात कही गई थी.

गाजा में संघर्ष विराम के लिए मिस्र में बातचीत भी हुई थी, जो कि बेनतीजा रही थी. मिस्र में भी शांति प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पाई थी. उस वक्त हमास पूर्ण संघर्ष विराम की मांग कर रहा था. वो चाहता था कि स्थायी संघर्ष विराम के साथ गाजा में युद्ध पूरी तरह समाप्त हो और इजरायली सेना वापस लौट जाएं. वहीं, इजरायल कुछ समय के लिए लड़ाई रोकने पर जोर दे रहा था. इसी बीच इजरायली सेना ने फिलाडेल्फी कॉरिडोर को कब्जे में लेने का दावा किया है.

रणनीतिक रूप से अहम माने जाने वाले गाजा और मिस्र की सीमा से लगने वाले इस गलियारे को 'फिलाडेल्फी कॉरिडोर' कहा जाता है. इसे बफर जोन का जाता है, क्योंकि ये मिस्र और गाजा के बीच का तटस्थ इलाका है. वहीं इस गलियारे पर कब्जे के बाद अब गाजा की पूरी ज़मीनी सीमा इजरायल के नियंत्रण में आ गया है. आईडीएफ ने बताया कि यहां उसे 20 सुरंगों का भी पता चला है. इसका इस्तेमाल हथियारों की तस्करी के लिए किया जाता था.

आईडीएफ प्रवक्ता डेविड मेन्सर ने कहा था, ''मैं इस रिपोर्ट की पुष्टि कर सकता हूं कि हमारे सैनिकों ने फिलाडेल्फी कॉरिडोर पर कब्जा कर लिया है. जो मिस्र और रफाह के बीच का संकीर्ण सीमा गलियारा है.'' वहीं मिस्र ने फिलाडेल्फी कॉरिडोर में सुरंग मिलने के इजरायल के इस दावे को खारिज कर दिया है. उसका कहना है कि दक्षिणी गाजा के रफाह शहर में इजरायल अपनी सैन्य कार्रवाई को वाजिब ठहराने की कोशिश के लिए झूठा दावा कर रहा है.

 

India Edge News Desk

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