एक दशक तक बच्ची का यौन शोषण करने के आरोपी को जमानत देने से बॉम्बे हाईकोर्ट ने इनकार

मुंबई

करीब एक दशक तक बच्ची का यौन शोषण करने के आरोपी को जमानत देने से बॉम्बे हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में पीड़िता की लिखी हुई नोटबुक का भी जिक्र किया गया है, जिसमें उसके साथ हुए शोषण के बारे में लिखा गया था। अदालत का कहना था कि पीड़िता की मानसिक और शारीरिक स्थिति को बताने के लिए शब्द भी कम पड़ रहे हैं। अदालत ने कहा कि सदमे के चलते पीड़िता संभोग की आदि भी हो गई थी।

उच्च न्यायालय ने 9 सालों तक लगातार यौन शोषण को 'भयानक' अपराध करार दिया है, जिसके सदमे में बच्ची निम्फोमैनिएक हो गई है। दरअसल, निम्फोमैनिएक का अर्थ ऐसी महिला से है, जिसका अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं रहता हो। मामले की सुनवाई जस्टिस पृथ्वीराज के चव्हाण कर रहे थे।

पीड़िता ने 27 पन्नों में अपने साथ हुई हैवानियत का जिक्र किया था। इसमें 8 साल की उम्र में कक्षा 4 में पढ़ने के दौरान पड़ोसी की तरफ से यौन उत्पीड़न और धमकियां जैसी बातें लिखी गई थीं। इसमें पीड़िता ने शर्म, आत्महत्या की कोशिश और सेक्स का लती होने और वासना को नियंत्रित करने के लिए धूम्रपान की बात भी कही थी।

कोर्ट ने कहा, 'पूरे पढ़ने के बाद, मुझे नहीं लगता कि कहने के लिए कुछ भी बचा है। पीड़िता की मानसिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्थिति और आवेदक के हाथों हुई दरिंदगी के असर को समझाने में शब्द भी कम पड़ जाएंगे। आवेदक का किया कथित अपराध अंतरात्मा को झकझोर देने वाला है। ऐसा घृणित अपराध के चलते पीड़िता निम्फोमैनिएक बन गई।'

क्या था मामला
मई 2021 में पीड़िता के पिता ने मुंबई के अंबोली पुलिस स्टेशन में 17 वर्षीय बेटी के एक लड़के के साथ भागने की रिपोर्ट लिखवाई थी। पीड़िता के कमरे में तलाशी के दौरान परिवार को उसकी नोटबुक मिली, जिसमें बलात्कार, अप्राकृतिक सेक्स समेत बार-बार यौन शोषण की बात लिखी गई थीं। साथ ही आवेदक की तरफ से धमकाने की बात भी थी, जब वह 4थी कक्षा में थी।

मार्च 2020 में पीड़िता ने मां को यौन उत्पीड़न और उत्तेजना बढ़ाने वाले पदार्थ खिलाने वाले आरोपी के बारे में बताया था। इन घटनाओं के बारे में जानने के बावजूद पीड़िता का परिवार पुलिस को यह बताने से बचता रहा। परिवार को आरोपी का डर था, जिसके कई रिश्तेदार उस बिल्डिंग में रहते थे। बाद में आवेदक और उसकी पत्नी को गिरफ्तार किया गया और चार्जशीट दाखिल की गई। स्पेशल कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत आवेदक की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उसने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया।

कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान, मेडिकल जांच और मनोचिकित्सीय मूल्यांकन से सालों तक हुए शोषण के सबूत मिलते हैं। आरोपी ने कथित तौर पर पीड़िता को ओरल और वजाइनल इंटरकोर्स समेत कई यौन गतिविधियों के लिए मजबूर किया और उसकी पत्नी ने कथित तौर पर इस काम में उसका सहयोग किया।

इसके अलावा जबरन वसूली और निजी वीडियो जारी करने की धमकियों के भी आरोप हैं। मेडिकल जांच पीड़िता के बयान की पुष्टि करते हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया आवेदक ने पॉक्सो एक्ट की धारा 3(ए), 7 और 11 के तहत यौन हिंसा की है। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि बच्चे आसान टारगेट होते हैं, क्योंकि उन्हें आसानी से डरा दिया जाता है। साथ ही आरोपियों को ये आशंका भी कम होती है कि वे शोषण के बारे में किसी को बोलेंगे।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button