जैश ने सांबा सेक्टर में एक्टिवेट किया OGW प्लान,बॉर्डर के पार ‘मसरूर बड़ा भाई’ बना लान्चिंग पैड!

जम्मू

पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के अलग-अलग इलाकों में आतंकवादी हमले हो रहे हैं. सोमवार को कठुआ में हुए आतंकी हमले में सेना के 5 जवानों के शहीद हुए हैं. अब सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि जम्मू में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए जैश गुट OGW (ओवर ग्राउंड वर्कर्स) प्लान के तहत काम कर रहा है. इस प्लान के तहत लोकल सपोर्ट लेकर भारतीय सुरक्षा बलों पर 'सरप्राइज अटैक' किया जा रहा है.

खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी में सामने आया है कि जैश ने सुरक्षा बलों के मूवमेंट की जानकारी, हथियारों और बाकी लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए मुखबिरों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स को एक्टिव करने का फरमान दिया था.

कहां-कहां एक्टिव हैं जैश के आतंकी?

साउथ पीर पंजाल जम्मू का इलाका है, जहां जैश के आतंकी सबसे ज्यादा है एक्टिव हैं. इंटरनेशनल बॉर्डर के उस पार "मसरूर बड़ा भाई" है, जो जैश का सबसे बड़ा लॉन्च पैड है.

कुछ महीने पहले इस इलाके से घुसपैठ हुई थी. आतंकी कठुआ, सांबा और हीरानगर के इलाके में मौजूद 'चोर गली' का इस्तेमाल इनफिल्ट्रेशन के लिए करते हैं. 'चोर गली' इंटरनेशल बॉर्डर पर मौजूद एक जगह है, जो जंगलों और नदी-नालों से घिरी हुई है. इस इलाके में ISI और पाक रेंजर्स की शह पर आतंकियों की घुसपैट होती है.

सूत्रों के मुताबिक कठुआ, सांबा, आरएसपुरा, अरनिया और अब्दुलिया सेक्टर के सामने पाकिस्तान की सीमा के उस पार जैश का सबसे बड़ा लॉंचिंग पैड 'मसरूर बड़ा भाई' मौजूद है. इसके अलावा 'सुकमल', 'चपराल' और लूनी में मौजूद लॉन्चिंग पैड के आस-पास सीमा पार आतंकियों का मूवमेंट पिछले कुछ दिनों में सुरक्षा बलों ने नोटिस किया गया था.

नेशनल हाइवे से भाग निकलते हैं आतंकी

सुरक्षा महकमे के सूत्रों के मुताबिक, ये सारे घुसपैठ के अड्डे इंटरनेशनल बॉर्डर (IB) के काफी नजदीक हैं. आतंकी इस इलाके से घुसपैठ करने की कोशिश इसलिए करते हैं क्योंकि यहां से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद नेशनल हाइवे का इस्तेमाल करके कहीं भी भाग सकते हैं. इसके साथ ही इन रास्तों के इस्तेमाल करके सरप्राइज अटैक करने के बाद जंगलों छिपा जा सकता है.

कहां है 'मसरूर बड़ा भाई' ?

यह जगह सांबा रीजन के कठुआ-हीरानगर सेक्टर में पहारपुर के पास बीएसएफ की बॉर्डर आउटपोस्ट (BOP) के दूसरी तरफ स्थित है. इस इलाके में लंबे वक्त से आतंकी घुसपैठ हो रही है. यह जगह इंटरनेशनल बॉर्डर से सिर्फ 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

जम्मू-कश्मीर में कई चीजें बदलती दिख रही हैं. धारा 370 हटाने के बाद काफी समय तक यहां शांति रही, लेकिन हाल के महीनों में मामला अलग हुआ. कश्मीर तो फिर भी शांत है, लेकिन जम्मू दहशतगर्दों का नया ठौर बनता दिख रहा है. वे नागरिकों, तीर्थयात्रियों समेत सेना पर भी घात लगाकर हमले कर रहे हैं. ताजा हमला कठुआ में हुआ. ये वही इलाका है, जो कश्मीर के सबसे अस्थिर दौर में आतंकियों की पनाहगाह बना हुआ था. लेकिन ऐसा क्या हुआ है, जो आतंकी एक बार फिर जम्मू की तरफ मुड़ रहे हैं.

हमले को लेकर कई चौंकानेवाली बातें आ रही हैं. माना जा रहा है कि आतंकियों को लोकल शख्स ने ही गाइड किया होगा, वरना घटनास्थल से बचकर निकल सकना आसान नहीं. अटैक की जिम्मेदारी आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है. ये शैडो संगठन है, जो जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करता है. ये उन्हीं 7 आतंकियों का ग्रुप बताया जा रहा है जिनमें से 3 को डोडा में सुरक्षा बलों ने मार गिराया था.

कठुआ क्यों बन रहा टारगेट

नब्बे के दौरान कठुआ आतंकियों का बड़ा ठिकाना हुआ करता था, जहां से वे पूरे जम्मू-कश्मीर पर निशाना साधते. अब एक बार फिर ऐसा दिख रहा है. दरअसल इस जिले की बनावट ऐसी है कि यहां छिपना-छिपाना आसान है. जंगलों से सटे क्षेत्र में हमले के बाद आतंकी गायब हो सकते हैं, जैसा ताजा केस में दिख रहा है.

लेकिन एक बड़ी वजह और भी है, जो है इसकी जिओग्राफी. जिले के एक तरफ पाकिस्तान की सीमा सटती है, तो दूसरी तरफ हिमाचल और पंजाब हैं. कठुआ उधमपुर, सांबा और डोडा जिलों से भी लगा हुआ है. नब्बे के दशक में यहां सुरक्षा बलों का बेस भी हुआ करता था ताकि आतंक पर रोक लगाई जा सके.

क्या-क्या हो चुका जिले में

सोमवार को हुआ हमला कठुआ में दूसरा बड़ा अटैक है. 11 जून को हीरानगर के एक गांव में एक सुरक्षाकर्मी समेत दो आतंकी मारे गए थे. वहीं महीनेभर के भीतर जम्मू में यह सातवां अटैक है. इसकी शुरुआत 9 जून को हुई, जब टैररिस्ट्स ने रियासी में श्रद्धालुओं की बस को टारगेट किया था. दो दिनों के हीरानगर में हमला हुआ. 12 जून को डोडा में दो अटैक हुए थे. इसके बाद 26 जून को घटना दोहराई गई.

पिछले साल जम्मू में 40 से ज्यादा हमले

साफ दिख रहा है कि कश्मीर में तो शांति है, लेकिन आतंकवादी जम्मू को घेर रहे हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह ये है कि धारा 370 हटने के बाद से घाटी में सुरक्षाबल भारी संख्या में बना हुआ है. वहां सेंध लगाना बेहद मुश्किल है. शायद इसी वजह से पाकिस्तान स्थित आतंकी जम्मू को निशाना बनाने की कोशिश में हैं. बता दें कि साल 2023 में भी ऐसी कोशिश हुई थी, जब जम्मू में 43 टैरर अटैक दर्ज किए गए.

मॉनसून में बढ़ जाती है आतंकी गतिविधि!

बरसात में मामला और संवेदनशील हो जाता है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, तेज बारिश के दौरान मॉनिटरिंग सिस्टम पर असर होता है, जैसे फेंसिंग और इंफ्रारेड लाइट्स कमजोर या खराब हो जाती हैं. इसका फायदा आतंकी उठाते हैं और सीमा पार से आकर आतंक मचा जाते हैं.

आबादी भी हो सकती है एक वजह

कश्मीर की तुलना में जम्मू की डेमोग्राफी अलग है. यहां हिंदू-मुस्लिम प्रतिशत 60:40 का मान सकते हैं. ऐसे में टैररिस्ट जानकर जिले को निशाना बना रहे हैं ताकि सांप्रदायिक भावनाएं उकसाकर दंगों जैसे हालात पैदा कर सकें. इससे उनकी आवाजाही और आसान हो जाएगी.

होने वाले हैं विधानसभा चुनाव

आर्टिकल 370 हटने के बाद से पहली बार यहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जल्द ही इनकी तारीख फाइनल हो जाएगी. आतंकवादी गुट इसलिए भी क्षेत्र में अस्थिरता और डर पैदा करना चाह रहे हैं ताकि राजनैतिक स्ट्रक्चर के साथ-साथ आम लोगों के इमोशन्स से भी छेड़छाड़ हो सके.

जम्मू का फैलाव और बहुत जटिल स्ट्रक्चर का इस्तेमाल पहले भी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी करते रहे. वे इसके जरिए अपने लोगों को सीमा के इस-उस पार भेजते रहे. इसके लिए सुरंगों का भी उपयोग आम था. ड्रोन्स ने स्थिति और गंभीर बना दी है, जिससे हथियारों की सप्लाई भी हो रही है.

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button