क्या होता है इंडोस्कोपिक कैमरा? जिसकी मदद से सुरंग से आई मजदूरों की पहली तस्वीरें, जानें
सिलक्यारा टनल में एक बार फिर से राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है. वहां के मजदूरों एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरे की मदद से हेल्प की जा रही है

उत्तराखंड : उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में बीते 9 दिनों से 41 मजदूर फंसे हुए हैं. उनको सकुशल वापस निकालने के लिए सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है. इसी सिलसिले में सोमवार (21 नवंबर 2023) को देर शाम एक पाइप से सरकार पहली बार उनको ठोस खाना पहुंचाने में सफल रही. इसके साथ ही उन्होंने इंडोस्कोपिक कैमरे के जरिए मजदूरों की हालत देखने की कोशिश की।
सिलक्यारा में फंसे मजदूरों को खिचड़ी भेजने के बाद जो वीडियो रिकॉर्ड किया गया उसके मुताबिक 41 श्रमिकों तक छह इंच की पाइपलाइन के जरिए खिचड़ी भेजने के कुछ घंटों बाद बचावकर्मियों ने मंगलवार तड़के उन तक एक कैमरा (एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा) भेजा और उनके सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया।
इंडोस्कोपिक कैमरा क्या होता है
1. इंडोस्कोपिक कैमरे का इस्तेमाल मानव शरीर में जटिल और सूक्ष्म रोगों या अंगो की जांच करने में किया जाता है. एंडोस्कोपिक कैमरा तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण उपकरणों में से एक होता है।
2. पेशेवर डॉक्टर बिमारियों के उचित निदान और ठीक उपचार के लिए शरीर के अंदर के अंगों, जोड़ों और गुहाओं का निरीक्षण करने के लिए इस उपकरण का उपयोग करते हैं।
3. सबसे आधुनिक एंडोस्कोपिक कैमरा ‘चिप-ऑन-टिप’ तकनीक का उपयोग करता है जहां तस्वीरों को डिवाइस के अंतिम भाग से जुड़े एक सॉफ्ट पैकेज के जरिए कैप्चर किया जाता है।
4. इस कैमरे के ठीक ऊपर एक एलईडी लाइट लगी होती है जिससे कि उस जगह पर भी यह कैमरा पिक्चर क्लिक कर सकता है जहां पर अंधेरा हो।
5. उत्तराखंड में बन रही सुरंग में अधिकारियों ने एक फ्लेक्सी कैमरे का उपयोग किया था जिससे उसमें लगा वायर पाइप के साथ मुड़ सकने में सक्षम था और वीडियो रिकॉर्ड कर सकने में सक्षम था।
6. अधिकारियों ने इसके छोटे आकार और आकार के कारण एंडोस्कोपिक कैमरे का उपयोग किया, जिससे उनको एक छोटे छेद की पाइपलाइन में कैमरा भेज सकने में सफलता मिली।
अभी कहां तक पहुंचा बचाव अभियान?
बचाव अभियान में जुटे सुरक्षा कर्मचारी निपू कुमार ने कहा कि संचार स्थापित करने के लिए पाइप लाइन में एक वॉकी-टॉकी और दो चार्जर भी भेजे गए हैं.श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए कई दिशाओं से किए जा रहे प्रयासों के तहत भारतीय वायुसेना ने एक सी-17 और दो सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान से 36 टन वजनी मशीनें पहुंचा दी हैं।
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि सिलक्यारा सुरंग की ओर से अमेरिकन ऑगर मशीन से ‘निकलने का रास्ता’ बनाने का कार्य फिर शुरू होने वाला है. दिल्ली से आई इंजीयनियरिंग टीम ने किसी कठोर सतह से टकराने के बाद रुकी इस मशीन के कलपुर्जे बदल दिए हैं।