भू-दृश्य बहाली पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम : मंत्री श्री पटेल

भोपाल
पंचायत एवं ग्रामीण विकास, श्रम मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि भू-दृश्य बहाली पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है । यदि इसे व्यापक रूप से अपनाया जाए, तो यह न केवल पर्यावरणीय संतुलन बहाल करेगा बल्कि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करेगा। यह पर्यावरण संरक्षण तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक विकास के अवसर भी पैदा करती है। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है, जल संसाधनों का संरक्षण होता है और स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलते हैं। मंत्री श्री पटेल ने शुक्रवार को निवास कार्यालय में "मध्यप्रदेश में भू-दृश्य बहाली का विस्तार" विषय पर बैठक में विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री मलय श्रीवास्तव सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से जल, जंगल और जमीन संरक्षण के कार्य को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन संरक्षण मानव अस्तित्व के लिये आवश्यक है। हम संरक्षण कार्य को आजीविका के साथ जोड़कर दूरगामी परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने जमीन संरक्षण के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि कृषकों को जैविक उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया जाए, साथ ही उनके उत्पादों के विपणन के लिये समुचित व्यवस्था की जाए, जिससे कृषकों को निश्चित आय हो सके।

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि जिन जिलों में भू-दृश्य बहाली के लिये कार्य किये गये है, उनकी विस्तृत इंपैक्ट रिपोर्ट तैयार की जायें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बदलते भू-दृश्य पर हमें कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के कुछ जिलों का चयन किया गया है, आगामी समय में सभी जिलों में यह कार्य किया जाएगा। बैठक में बताया गया कि सीधी और बड़वानी जिले में भूदृश्य बहाली के लिए कई कार्य किये गये हैं। प्रदेश में वर्तमान मे 10 जिलों में इस परियोजना का विस्तार किया जा रहा है।

भू-दृश्य बहाली (लैंडस्केप रिस्टोरेशन) आज के समय में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विषय है। जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण और जैव विविधता की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए विश्व में इस दिशा में कई प्रयास हो रहे हैं। भू-दृश्य बहाली का उद्देश्य क्षतिग्रस्त और परित्यक्त क्षेत्रों को उनके प्राकृतिक स्वरूप में पुनः स्थापित करना है, ताकि वे फिर से पर्यावरणीय और आर्थिक गतिविधियों के लिए उपयोगी बन सकें। इस प्रक्रिया में जंगलों की पुनर्स्थापना, मिट्टी के कटाव को रोकना, जैव विविधता का संरक्षण और स्थायी कृषि प्रणालियों का विकास शामिल है। मध्यप्रदेश में वनीकरण और मिट्टी संरक्षण के लिए कई परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button