बांस संसाधन में मध्यप्रदेश देश में प्रथम, बांस शिल्पियों को मदद

भोपाल
देश में सबसे ज्यादा बांस संसाधन मध्यप्रदेश में है। भारतीय वन सर्वेक्षण 2021 की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 18,394 वर्ग किलोमीटर में बांस क्षेत्र है जो देश में सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर अरुणाचल प्रदेश और तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है। देश में बांस क्षेत्र 15.0 मिलियन हेक्टेयर है। मध्यप्रदेश में 1.84 मिलियन हेक्टेयर है। मध्यप्रदेश में शुद्ध बांस क्षेत्र 847 वर्ग किलोमीटर, घना क्षेत्र 4046 वर्ग किलोमीटर, विरल क्षेत्र 8327 वर्ग किलोमीट और पुन:उत्पादन 3245 वर्ग किलोमीटर में है जो देश में सबसे ज्यादा है।

मध्यप्रदेश राज्य में बाँस मिशन के माध्यम से बाँस की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। बाँस आधारित उद्योगों को विकसित किया जा रहा है, जिससे रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा किये जा सकें। बाँस की खेती में नई तकनीकों और प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा रहा है। साथ ही बाँस आधारित उद्योगों के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे का विकास किया जा रहा है। प्रदेश में 25090 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में बाँस-रोपण कराया गया है।

बांस रोपण करने वाले कृषकों को 5566.50 लाख का अनुदान
किसानों को प्रोत्साहित करने और बाँस-रोपण को बढ़ावा देने के बांस मिशन योजना में कृषि क्षेत्र में बांस रोपण को बढ़ावा दिया गया है। प्रदेश में कुल रकबा 25090 हेक्टेयर में बांस रोपण किया गया है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा विगत पाँच वर्षों में 14 हजार 670 कृषकों को 5566.50 का रोपण अनुदान दिया गया है। किसानों को कृषि क्षेत्र में बांस रोपण के लिये 120 रूपये प्रति पौधा अनुदान दिया जाता है, जो 3 वर्षों में 50:30:20 के अनुपात में दिया जाता है। बाँस की खेती से किसानों की आय में वृद्धि हो रही है और पर्यावरण संरक्षण तथा वनस्पती वृद्धि में बाँस की भूमिका को बढ़ावा दिया जा रहा है। निजी क्षेत्र में बांस रोपण को प्रोत्साहन करने के लिये 25 से 50 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान है। बाँस मिशन के तहत विभिन्न योजनाएँ और कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जिनमें बाँस की खेती के लिये अनुदान, बाँस आधारित उद्योगों के लिये ऋण और प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। प्रदेश के परम्परागत बाँस शिल्पकारों को बाँस उत्पाद निर्माण एवं कौशल उन्नयन के लिये बाँस हस्तशिल्प, बाँस्केटरी, बाँस आभूषण, बाँस फर्नीचर, टर्निंग प्रोडक्ट, बाँस वास्तु-कला एवं यूटिलिटी हस्तशिल्प आयटम इत्यादि विधाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा है।

बांस शिल्पियों को मदद
मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद एमपीसीएसटी, औबेदुल्लागंज में दो दिवसीय बाँस अपशिष्ट प्रबंधन आधारित प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें 27 प्रशिक्षणार्थी शिल्पकार शामिल हुए। योजना एवं वास्तु-कला विद्यालय एसपीए भोपाल में 5 दिवसीय बाँस डिजाइन प्रशिक्षण कार्यशाला में 24 प्रशिक्षणार्थी शिल्पकार शामिल हुए। इसी प्रकार वन मण्डल स्तर पर आयोजित बाँस खेती पर कृषकों के लिये कार्यशाला का भी आयोजन किया गया, जिसमें 422 प्रशिक्षणार्थी कृषक शामिल हुए।

मध्यप्रदेश राज्य बांस मिशन द्वारा प्रदेश के बाँस शिल्पियों को उत्पाद के प्रदर्शन एवं उसके विक्रय के अवसर प्रदान करने के लिये मध्यप्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा भोपाल हाट में आयोजित खादी उत्सव, म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा आयोजित विज्ञान मेला-2023, वन विहार भोपाल में आयोजित वन्य-प्राणी सप्ताह, जी20 समिट, नई दिल्ली, केरला बेम्बू फेस्ट, कोच्ची, म.प्र. राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय वन मेला भोपाल, संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित लोकरंग भोपाल और TRIFED द्वारा आयोजित आदि महोत्सव में बाजार उपलब्ध कराया गया।

कृषकों को लाभ दिलाने के उद्देश्य से बाँस मिशन द्वारा बाँस पोल्स के उपयोग के लिये विभिन्न बाँस इकाइयों द्वारा 8 लाख 14 हजार बाँस पोल्स विक्रय किये जा चुके हैं। सतना एवं सीधी में स्थित बाँस FPOs द्वारा अम्लई पेपर मिल, शहडोल को 983.34 टन बाँस सप्लाई किया गया, जिसका सीधा लाभ स्थानीय कृषकों को प्राप्त हुआ। मध्यप्रदेश राज्य बाँस मिशन बाँस क्षेत्र के विकास के लिये सोशल मीडिया का भी उपयोग कर रहा है। बाँस क्षेत्र से संबंधित गतिविधियों को प्रमोट करने के लिये वेब एप्लीकेशन के साथ व्हाट्स-अप एप ग्रुप के माध्यम से डायरेक्ट लिंकेज स्थापित किये जा रहे हैं।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button