स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद आर्थिक रुप से सशक्त हुई ममता

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
बूंदी : बूंदी जिले के ब्लॉक केशोरायपाटन निवासी ममता मीना की शादी बुडिया गांव के एक किसान परिवार में हुई। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए ममता अपने पति के साथ खेती में हाथ बटाती थी। इसके बावजूद भी उसे घर चलाने में बहुत परेशानी होती थी। एक बार ममता को गांव में कुछ महिलाओं से राजीविका के बारे में पता चला तो राजीविका केन्द्र जाकर उसने समूह के बारे में जानकारी प्राप्त की।
समूह की जानकारी एकत्र कर वर्ष 2015 में ममता कंकाली स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई और कुछ समय बाद ममता को कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) द्वारा समूह सखी बना दिया गया। समूह से जुड़ने के बाद रिसोर्स फंड (आर एफ) से जो राशि प्राप्त हुई ममता ने उस राशि में से पांच हजार रूपए का ऋण लेकर अपने घर खर्चों में व्यय किया। करीब 7 माह बाद ममता को इमर्शन पर भेजा गया, इमर्शन से आने के बाद ममता ने समूह की देखरेख करनी शुरु कर दी। जिस के लिए ममता को प्रतिमाह 2 हज़ार 250 रुपए की एक निश्चित राशि प्राप्त होने लगी। इससे परिवार की छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करते हुए, ममता अपने पति की भी मदद करने लगी।
समूह सखी के रुप में एक साल पूरा होने के बाद ममता की मेहनत और लगन को देखकर उसे डाटा एंट्री सखी के रूप में सेलेक्ट कर लिया गया, उसके बाद ममता को प्रशिक्षण के लिए जयपुर भेजा गया। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं होने के कारण ममता सिर्फ दसवीं तक ही पढ़ाई कर पाई थी। ममता ने डाटा एंट्री सखी के रूप में चयन होने से पहले कभी कंप्यूटर नहीं देखा था, लेकिन कुछ करने की ललक से ही ममता यहां तक पहुंची। प्रशिक्षण के बाद ममता कंप्यूटर से संबंधित सभी कामों को सीख कर सफलता से कार्य करने लगी और वर्ष 2017 से ममता डाटा एंट्री के क्लस्टर का पूरा कार्य कर रही हैं। जिसकी मदद से अब ममता को लगभग 8 हजार रुपए प्रतिमाह आय हो रही है। ममता अपने पति का खेती में बराबर सहयोग करने के साथ अपने परिवार का पालन पोषण भी अच्छे से कर रही है।
ममता बताती है कि पहले मेरा जीवन घर से खेत और खेत से घर तक ही सीमित था, लेकिन समूह से जुड़ने के बाद मेरा आत्मबल मजबूत होने के साथ ही मैं आर्थिक रुप से भी सशक्त हुई हूं। मेरे परिवार के लोग मेरी इस उपलब्धि से खुश हैं और उनके सहयोग से आज मैं अपना कार्य पूरी मेहनत एवं लगन के साथ कर पा रही हूं।