जैन धर्मावलंबियों का आह्वान : मधुबन के मंदिर क्षेत्र को शाकाहारी पवित्र धार्मिक जैन तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाए

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली : झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित श्री सम्मेद शिखर जी, जिसे पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्म का अनादि निधन, सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र है, जहां से 24 में से 20 तीर्थंकरों के साथ कोड़ा-कोड़ी महामुनिराज भी सिद्धालय गए हैं। इस तीर्थ क्षेत्र का कण-कण इतना पवित्र है कि कहा जाता है जो यहां निर्मल भावों से एक बार वंदना कर लेता है, उसको कभी नरक त्रियंच गति का बंध नहीं होता। ऐसे पवित्र पावन तीर्थ पर कुछ समय से लगातार अप्रिय घटनाओं के होने से श्री सम्मेद शिखरजी तीर्थ क्षेत्र की सुरक्षा व पवित्रता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है। इसका प्रमुख कारण रहा जब सब लोगों ने चैनल महालक्ष्मी के माध्यम से, वहां पर बनी पवित्र टोंके (मंदिर रूप जहां से तीर्थंकर मोक्ष गए) पर हजारों लोग घूमने मस्ती करने की भावना से चढ़ते हुए, जूते –चप्पल उन चरणों पर लेकर खड़े होकर, फोटो शूट कराते दिखे, वही चरण, जिन पर मस्तक रखकर हर व्यक्ति अपने को धन्य समझता है।

साथ ही वहां पर पवित्र पारसनाथ की तलहटी में मंदिरों के बीच मांस पकाते भी फुटेज में कैद हुए। ऐसे पवित्र तीर्थ पर मांस मदिरा जहां बिल्कुल निषेध होनी चाहिए, वहां सार्वजनिक रूप से खरीदी बेची जाती है।

इसी तरह जब झारखंड अलग राज्य नहीं बना था तब तत्कालीन बिहार सरकार ने इसे वन्य जीवन अभ्यारण ( Wildlife Sanctuary ) आधिकारिक गजट दिनांक 21 अगस्त , 1983 से घोषित कर दिया, जिस तीर्थ क्षेत्र को पवित्र अहिंसक शाकाहार क्षेत्र घोषित करना चाहिए था, उसी गजट को आधार बनाकर 2 अगस्त 2019 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसे इको सेंसेटिव जोन की परिधि में ला दिया। इससे पूर्व 2016 में भी इस सम्मेद शिखरजी क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था

जैनों के इस सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र को इन तीन गज़ट की गई आधिकारिक सूचनाएं, इस तीर्थ की पावनता, पवित्रता व सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही हैं जैसा आप सभी जानते हैं जैनों का ही एक और बड़ा तीर्थ गुजरात में स्थित “पालीताणा”, देश का सबसे पहला शाकाहार क्षेत्र घोषित किया गया। उसके बाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या, काशी, मथुरा क्षेत्र पवित्र को तीर्थ घोषित किया गया। जैन समाज लगातार, अहिंसा -शाकाहार का पूरे विश्व में उद्घोष करने वाले श्री सम्मेद शिखरजी को पवित्रतम जैन तीर्थ क्षेत्र रूप से घोषित किया जाए।

साथ ही प्रशासन द्वारा इसकी पवित्रता को बरकरार रखने के लिए उचित कदम उठाएं जिससे अज्ञानता वश भी कोई मंदिर स्वरूप टोंक के ऊपर कोई जूते चप्पल आदि चमड़े की वस्तुएं नहीं ले जा सके। मांस मदिरा के खरीदने – बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध हो। वर्तमान में यह पर्यटक स्थल का रूप लेता जा रहा है जिससे इसकी पवित्रता पूरी तरह नष्ट में हो रही है। जैन समाज यही मांग रखता है कि श्री सम्मेद शिखरजी की 48 किलोमीटर की परिक्रमा परिधि तथा तलेटी पर मधुबन के मंदिर क्षेत्र को पूर्व तक शाकाहारी पवित्र धार्मिक जैन तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाए।

राष्ट्र संत महायोगी श्रमण श्री 108 विहर्ष सागर जी गुरुदेव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए स्पष्ट कहा कि श्री सम्मेद शिखरजी जैनों का अनादि निधन पवित्र क्षेत्र है और इसके संरक्षण, सुरक्षा के लिए आज पूरा समाज एकजुट है । झारखंड सरकार व केंद्र सरकार से यह पुरजोर अपील की जाती है कि इस तीर्थ को अहिंसक, शाकाहार, पवित्र जैन तीर्थ घोषित किया जाए, जिसके बारे में झारखंड सरकार के अपर सचिव ने 22 अक्टूबर 2018 को कार्यालय ज्ञाप भी दिया था, जिसमें उन्होंने लिखा कि पारसनाथ सम्मेद शिखरजी पर्वत सदियों से जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है। इसकी पवित्रता रखने हेतु सरकार कटिबद्ध है। इसी को गजट करके सरकार जैन समाज को हित कर सकती है। श्री सम्मेद शिखरजी पर्यटन के रूप में या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के रूप में समाज को कतई स्वीकार्य नहीं है। जैन समाज नहीं चाहता कि यहां पर पर्यटन रूपी सुविधाओं की शुरुआत की जाए। अतीत में कई बार पर्यटक टोंकों पर जूते चप्पल ले जाकर उसकी पवित्रता को भंग करते हैं, वहीं कुछ पर्यटक के रूप में यहां आकर मांस आदि बनाकर उसका भक्षण तक करते हैं, जो कि इस तीर्थ की पवित्रता को तार-तार करता है। जैन समाज इस तरह की अपवित्रता का घोर विरोध करता है तथा इसको पवित्र धार्मिक जैन तीर्थ क्षेत्र घोषित करने का आह्वान करता है । जैन समाज यहां की बुनियादी सुविधाओं के बदले इसे पर्यटन में बदलना कभी स्वीकार नहीं कर सकता और इसकी धार्मिक पृष्ठभूमि को कभी भी दूसरे रूप में नहीं बदला जाए, इसकी पुरजोर मांग करता है।

जैन समाज इस बारे में देशभर में हस्ताक्षर अभियान चला रहा है और आगामी 18 दिसंबर रविवार 2022 को राजधानी दिल्ली के लाल किला मैदान पर सभी संतों के आशीर्वाद से तथा राष्ट्रसंत मुनि श्री विहर्ष सागर जी ससंघ के परम सानिध्य में, जिन शासक तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी जी के 2550वें मोक्ष कल्याणक वर्ष के पूर्व एक विशाल महा अर्चना सम्मेद शिखरजी सहित सभी तीर्थों की सुरक्षा पावनता व संरक्षण के लिए आयोजित की जा रही है। इस राष्ट्रीय आयोजन में देशभर के 50 हजार से ज्यादा जैन बंधुओं को पहुंचने की संभावना है । आयोजन में कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ, झारखंड सरकार के मंत्रियों के पहुंचने की संभावनाएं हैं। कितना अजीब संयोग है कि जहां विभिन्न समाज सरकारों से सुविधाओं की मांग करते हैं , वही जैन समाज सरकार से विनम्र अपील करता है कि उसे सुविधाओं का पिटारा नहीं चाहिए, बल्कि तीर्थ की पवित्रता भंग नहीं होनी चाहिए।

पत्रकारों से वार्ता करते हुए राष्ट्रसंत महायोगी श्रमण श्री विहर्ष सागर जी गुरुदेव तथा मुनि श्री विजयेश सागर जी ससंघ के साथ इस भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव महाअर्चना समिति के सभी पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button