गांवों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलने का काम किया है मनरेगा ने

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
गांवों से शहरों की ओर पलायन अब नहीं होता, विकास का काम अब केवल शहरों तक नहीं रुकता क्योंकि अब गांवों में भी विकास की बयार बह रही है और इस बयार का जरिया बनी है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम। इस योजना से ना केवल गांवों में विकास का सपना साकार हो रहा है बल्कि गांव के बाशिंदों को आजीविका का पुख्ता जरिया भी मिल गया है।
मनरेगा से बदली ग्राम पंचायत टसकोला की तस्वीर
मनरेगा ने गांवों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलने का काम किया है। जयपुर के पावटा पंचायत समिति में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम के तहत ग्राम पंचायत टसकोला में 10 लाख रुपये की लागत से जोहड़ डिस्लिटिंग का कार्य कराया गया। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत मनरेगा योजना में इस कार्य का निर्माण हुआ तो ग्रामीणों ने इसे अमृत सरोवर नाम दिया। इसी तरह योजनार्न्तगत जून, 2022 में जोहड़ी पर श्रमिकों ने नीम, पीपल और बरगद के 35 पौधे लगाये और इन पौधों के रखरखाव का संकल्प लिया। कार्य होने के बाद जोहड़ में धीरे धीरे पानी की आवक बढ़ी और जोहड़ मेें 13 हजार घर मीटर से ज्यादा पानी की आवक हुई जिससे क्षेत्र के भू जल स्तर में भी काफी सुधार हुआ है।
जोहड़ावाली ढाणी में मनरेगा से छाई हरियाली
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ने जयपुर की पंचायत समिति विराटनगर के ग्राम पंचायत तालवा में मिसाल पेश की है। क्षेत्र के जोहडावाली ढाणी में 13 लाख 37 हजार की लागत से वर्षा जल संचयन का काम किया गया। मनरेगा की वार्षिक कार्ययोजना में ग्राम सभा द्वारा पारित कर जोहड़ खुदाई कार्य किया गया। जून, 2022 में श्रमिकों ने 100 पौधे लगाये और उनके रखरखाव का संकल्प लिया। काम पूरा होने के बाद मानसून के दौरान जोहड़ में 10 हजार घर मीटर से ज्यादा पानी की आवक है जिससे इलाके के जलस्तर में भी इजाफा हुआ।
मनरेगा से गांवों में बुनियादी सुविधाएं विकसित हो रही है, पर्यावरण को भी संबल मिल रहा है और सबसे बड़ी बात ग्रामीणों को रोजगार के लिए अपना घर गांव नहीं छोड़ना पड़ता। गांव में ही घर के नजदीक उन्हें अपनी आजीविका कमाने के अवसर मिल जाते है। यही कारण है कि मनरेगा से खुश है ग्रामीण और खुशहाल हो रहे हैं गांव।