मध्य प्रदेश के जबलपुर में बनेगी राष्ट्रीय वायरोलॉजी लैब, बर्ड फ्लू सहित वायरस से होने वाली खतरनाक बीमारियों की होगी जांच

जबलपुर
खतरनाक वायरस से होने वाली बीमारियों की पहचान के लिए मध्य भारत में बड़ी सुविधा शुरू करने की घोषणा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में की है।मध्य प्रदेश के जबलपुर में सेंट्रल इंडिया का पहला नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (एनआईवी) स्थापित किया जाएगा। यह देश के एकमात्र एनआईवी पुणे की तरह होगा। मंत्री ने बताया है कि जबलपुर के साथ बेंगलुरु, डिब्रूगढ़ और जम्मू में इसी तरह की लैब स्थापित की जाएंगी।
एमपी में होने लगेगी जांच
जबलपुर में यह लैब बनने के बाद घातक वायरसों की भी जांच मध्य प्रदेश में होने लगेगी। लैब प्रारंभ होने में दो से तीन वर्ष लग सकते हैं। हर वर्ष वायरस से होने वाली एक या दो नई बीमारियों का संक्रमण देश-दुनिया में फैलता है।
इनकी जांच की सुविधा सिर्फ एनआईवी पुणे में होने से वहां बहुत अधिक मात्रा में देश से सैंपल पहुंचने के कारण बहुत अधिक दबाव रहता है, इस कारण देश के अलग-अलग क्षेत्र में चार और लैब बनाई जा रही हैं।
बीसीएल सेफ्टी मानक होता है
दरअसल, खतरनाक और बहुत ज्यादा संक्रामक वायरस की जांच के लिए बायोलॉजिकल सेफ्टी लेवल-4 (बीएसएल) लैब की आवश्यकता होती है। बीएसएल सेफ्टी मानक होता है। यह लैब इस तरह से तैयार की जाती हैं कि उनसे संक्रमण फैलने की गुंजाइश न रहे।
मध्य प्रदेश के कुछ मेडिकल कालेजों में अभी बीएसएल- 2 स्तर की वायरोलॉजी लैब हैं, इस कारण खतरनाक वायरस की जांच नहीं हो पाती। स्टाफ भी उस तरह से प्रशिक्षित नहीं रहता।
लैब में इन बीमारियों की हो सकेगी जांच
यह लैब बनने पर जानवरों से इंसान में आने वाली (जूनोटिक) बीमारियां जैसे प्लेग, निपाह वायरस, इबोला, जीका, हंपी वायरस, इबोला, सार्स, एंथ्रेक्स, रिफ्ट वैली फीवर, मंकी पाक्स, काऊ पाक्स आदि की जांच हो सकेगी।
वायरोलॉजी लैब में वायरस से होने वाली बीमारियों की ही जांच होती है, पर एनआईवी में ऐसे बैक्टीरियां की जांच और शोध भी किया जा सकता है जिनका उपयोग जैविक आतंकवाद में हो सकता है।
साथ ही वायरस की नई-नई बीमारियों पर शोध भी हो सकेगा, जिससे उन्हें फैलने से रोका जा सके। छतरपुर में हनुखेड़ा के जंगल में पुलिस ने बदमाश लक्खू राजपूत को शॉर्ट एनकाउंटर में पकड़ा। बदमाश के पैर में लगी है गोली।