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साइंस कॉलेज में छह माह से नो क्लास, सेमेस्टर एग्जाम के रिजल्ट में फेल हुए छात्र ने लिया कोर्ट का सहारा

प्रथम सेमेस्टर परीक्षा परिणाम खराब होने से कुछ छात्र-छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी

रायपुर : प्रदेश के सबसे बड़े और ऐतिहासिक शासकीय नागार्जुन स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय (साइंस कॉलेज) में बीएससी सेकेंड सेमेस्टर के 756 छात्र-छात्राओं की छह माह से न क्लास लगी और न परीक्षा हो रही है। इनमें सबसे ज्यादा हताश वे युवा हैं जो दूसरे जिलों से यहां आकर हॉस्टल और किराए के रूम में रह रहे हैं। इसकी मुख्य वजह प्रथम सेमेस्टर परीक्षा परिणाम खराब होने से कुछ छात्र-छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।

हाईकोर्ट ने कॉलेज में बीएससी सेकेंड सेमेस्टर में नई शिक्षा नीति लागू करने पर अंतरिम रूप से रोक लगा दी। इसके चलते जो छात्र-छात्राएं फर्स्ट सेमेस्टर से पास होकर सेकंड सेमेस्टर में पहुंचे थे, उनकी भी क्लास बंद हो गई। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर को पूरी हो चुकी है। जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब छात्र-छात्राएं बड़ी बेसब्री से फैसले का इंतजार है।

यह है मामला

बीएससी स्नातक प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में 756 छात्र शामिल हुए थे। 15 अप्रैल को घोषित परीक्षा परिणाम में 324 छात्र पास, 277 को एटीकेटी और 157 फेल हो गए थे। छात्रों का कहना है कि पास होने के लिए 33 अंक लाने के बावजूद फेल कर दिया गया। जबकि कॉलेज प्रबंधन का दावा है कि न्यू एजूकेशन पॉलिसी लागू होने से 40 अंक लाना जरूरी है।

हाईकोर्ट गए छात्रों का कहना है कि कॉलेज में परीक्षा परिणाम जारी करने से ठीक पहले नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई। इसकी जानकारी छात्रों को एडमिशन और परीक्षा के दौरान नहीं दी गई। मामले में 14 बार सुनवाई की तारीख तय हुई, जिसमें 4 बार न्यायाधीश पार्थ प्रीतम साहू ने सुनवाई की। 30 अक्टूबर को फाइनल सुनवाई हुई, जिसमें दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने मामला सुरक्षित रख लिया है।

थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहे होते

छात्र-छात्राओं का कहना है कि ऐसा तो कोरोनाकाल भी नहीं गुजरा। तब कम से कम ऑनलाइन पढ़ाई तो होती थी। तय समय पर सब होता तो आज थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहे होते। इनमें सबसे ज्यादा वे छात्र-छात्राएं रहे हैं, जो पास तो हो गए लेकिन क्लास नहीं लग रही है।

फैसला आते ही करेंगे कोर्स पूरा

साइंस कॉलेज के प्राचार्य पीके चौबे का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है कि फेल छात्र हाईकोर्ट गए हैं। सुनवाई पूरी हो चुकी है। जज साहब के फैसले का इंतजार हैं। वे जो फैसला देंगे, उनका पालन किया जाएगा। फैसले की लिखित कॉपी मिलते ही सेमेस्टर परीक्षा और कोर्स की पढ़ाई शुरू करवा दी जाएगी। जरूरत पड़ी तो एक्स्ट्रा क्लास लगाई जाएगी, ताकि बच्चों का नुकसान न हो।

 

 

India Edge News Desk

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