स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं! रिफाइंड तेलों और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड पर सख्त कानून जरूरी” – नवीन जिंदल

रायपुर.
सांसद नवीन जिंदल ने आज संसद में रिफाइंड तेलों और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से जुड़े गंभीर स्वास्थ्य खतरों का मुद्दा उठाया। उन्होंने सख्त नियमन, पारदर्शिता, और उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि जनता को स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार मिले।
नवीन जिंदल द्वारा उठाए गए प्रमुख बिंदु
- रिफाइंड बीज तेलों के दुष्प्रभाव: कई अध्ययनों से पता चला है कि बार-बार किए गए रिफाइनिंग प्रोसेस के कारण पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और हानिकारक ट्रांस फैट उत्पन्न होते हैं, जिससे हृदय रोग, डायबिटीज और मोटापा जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का खतरा: इन खाद्य उत्पादों में अत्यधिक कैमिकल प्रिसरवेटिव, और हानिकारक फैट होते हैं, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देते हैं।
- स्पष्ट लेबलिंग की कमी: उपभोक्ता अक्सर भ्रामक पैकेजिंग और लेबलिंग के कारण यह समझ ही नहीं पाते कि वे क्या खा रहे हैं।
कानूनों को और सख्त करना जरूरी
- स्पष्ट खाद्य लेबलिंग अनिवार्य की जाए: जिंदल ने सरकार से आग्रह किया कि खाद्य उत्पादों पर स्पष्ट रूप से बताया जाए कि वे रिफाइंड तेलों का उपयोग करते हैं या अल्ट्रा प्रोसेस्ड श्रेणी में आते हैं।
- ‘White Paper’ जारी करने की मांग: उन्होंने सरकार से रिफाइंड तेल और अल्ट्रा प्रोसेस्ड पदार्थों के स्वास्थ्य पर प्रभावों को लेकर एक वाईट पेपर प्रकाशित करने की मांग की, ताकि इस विषय पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गहन अध्ययन हो सके।
- स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा: पारंपरिक और कोल्ड-प्रेस्ड तेलों, प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
नवीन जिंदल ने कहा कि ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नागरिकों का स्वस्थ होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सरकार से उपभोक्ताओं को छिपे हुए स्वास्थ्य खतरों से बचाने और एक प्रभावी खाद्य नियामक ढांचा तैयार करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की।