अबला को सबला बनाने के लिए योगी सरकार की अलग-अलग योजनाएं

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

लखनऊ : 17 दिसंबर को पीएसी का स्थापना दिवस था। लखनऊ स्थित 35वीं वाहिनी में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था लखनऊ, गोरखपुर एवं बदायूं में पीएसी की महिला बटालियनों का गठन प्रक्रिया में है। इसके अलावा तीन और ऐसी ही बटालियन के गठन के बाबत सरकार सहमति दे चुकी है।

यह सामान्य खबर नहीं है। दरअसल योगी 1.0 कार्यकाल में महिलाओं में सुरक्षा का भाव जगाने के लिए मुख्यमंत्री की पहल पर जिस एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन हुआ था, यह उसी की कड़ी है। अलबत्ता अबला को सबला बनाने के लिए अब इसमें सरकार की अलग-अलग योजनाओं के दायरे में सुरक्षा के साथ सशक्तिकरण एवं स्वावलंबन भी शामिल हो गया है। इन सारी योजनाओं के नतीजे भी जमीन पर दिख रहे हैं। दरअसल मुख्यमंत्री का यह काम अपनी परंपरा, संस्कृति, संस्कार एवं इतिहास का सम्मान है।

सरकार की योजनाएं महिलाओं के स्वावलंबन का प्रमाण
उल्लेखनीय है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति जितनी ही प्राचीन है अपने देश में नारियों को सम्मान देने की परंपरा। डबल इंजन (मोदी और योगी) की सरकार इसी परंपरा को लगातार आगे बढ़ा रही है। मिशन शक्ति, स्वयं सहायता समूहों का सशक्तिकरण, निराश्रित महिला पेंशन की पात्रता के लिए उम्र की सीमा खत्म करने के साथ धनराशि में वृद्धि, कन्या सुमंगला जैसी योजनाएं इसका प्रमाण हैं। इसमें से “मिशन शक्ति” सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। दो साल पहले शारदीय नवरात्रि में मुख्यमंत्री ने इसकी शुरुआत की थी। अब तो इसका तीसरा चरण चल रहा है। मिशन शक्ति के प्रथम चरण की शुरुआत (नवरात्रि) और इसके लिए चयनित स्थान देवीपाटन (देश के शक्तिपीठों में से एक प्रमुख) खुद में संदेश था।

नारियों के शैक्षिक पुनर्जागरण का अलख जगा रहा गोरक्षपीठ
दरअसल योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं, उसमें नारियों का बेहद सम्मान रहा है। लिहाजा उनके लिए मुख्यमंत्री बनने के बहुत पहले से ही अबला को सबला बनाना महज नारा नहीं, संकल्प रहा है। हर साल दोनों नवरात्रि (चैत्र व शारदीय) में पीठ में इसका जीवंत स्वरूप भी दिखता है। रोज की खास पूजा के बाद नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन से इसका समापन होता है। खुद पीठाधीश्वर के रूप में मुख्यमंत्री कन्याओं का पांव पखारते हैं। उन्हें भोजन कराते हैं और दक्षिणा देकर विदा करते हैं। यह खुद में नारियों के प्रति सम्मान का बड़ा संदेश है।

इसके अलावा महिलाओं की शिक्षा और स्वालंबन पर भी पीठ का खासा फोकस रहा है। पीठ की ओर से संचालित शैक्षिक प्रकल्प महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद कई दशकों से आधी आबादी के शैक्षिक पुनर्जागरण और आर्थिक स्वावलंबन का अलग-अलग तरीकों से पूरे पूर्वांचल में अलख जगा रहा है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शिक्षण संस्थाओं में से कई में बालिकाओं के लिए सह शिक्षा (को-एजूकेशन) की व्यवस्था है। आठ ऐसे शिक्षण संस्थान हैं, जो विशेष तौर पर बालिकाओं की शिक्षा और उनके स्वावलंबन के लिए ही समर्पित हैं।

नारी को सबला बनाने में शिद्दत से जुटे रहते है योगी
महाराणा प्रताप बालिका इंटर कॉलेज, महाराणा प्रताप महिला पीजी कॉलेज, महाराणा प्रताप टेलरिंग कॉलेज, दिग्विजयनाथ बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय, महाराणा प्रताप मीराबाई महिला छात्रावास, दिग्विजयनाथ महिला छात्रावास, गुरु श्रीगोरक्षनाथ स्कूल ऑफ नर्सिंग, योगीराज बाबा गंभीरनाथ निशुल्क सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र जैसे संस्थानों से प्रतिवर्ष हजारों बालिकाएं अपने जीवन पथ पर ससम्मान आगे बढ़ रही हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी पीठ की परंपरा के अनुसार विभिन्न योजनाओं के जरिये अबला कही जाने वाली नारी को वह सबला बनाने को पूरी शिद्दत से जुटे हैं।

India Edge News Desk

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