अब मध्य प्रदेश को कोई बिमारू नहीं कहता, यह शिवराज चौहान का ही योगदान : अमित शाह
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
भोपाल : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि अंग्रेजों के जमाने की डंडे वाली पुलिस का युग समाप्त हो गया है। अब नॉलेज बेस्ड, एविडेंस बेस्ड और तर्क के आधार पर पुलिसिंग करना होगी। पुलिस के विज्ञान को बदलने की आवश्यकता है। मंत्री श्री शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि शहरों में रहवासी संघों, नगर निगमों, मार्केट एसोसिएशन द्वारा अलग-अलग सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाए गए हैं, पर यह पुलिस व्यवस्था से संबद्ध नहीं है। इनको समन्वित कर मितव्ययता के साथ बेहतर निगरानी व्यवस्था स्थापित की जा सकती है। बीट, परेड की व्यवस्था और खबरी प्रणाली को पुनर्जीवित कर सशक्त करना होगा। पुलिस की उपस्थिति से कानून-व्यवस्था में सुधार आता है। बीट की पेट्रोलिंग महत्वपूर्ण है, यह जनता के बीच सुरक्षा और संतोष का भाव लाती है। सफलता के लिए सही प्रोसेस और परफेक्शन आवश्यक है। सफलता पेशन से आती है, पुलिस बल में पेशन का जज्बा निर्मित करना हम सबका दायित्व है। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री शाह केंद्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी, भोपाल में 48वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य से निकालकर विकासशील राज्य बनाने में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का विशेष योगदान रहा है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री चौहान तथा गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा उपस्थित थे। कार्यक्रम के पहले केंद्रीय मंत्री श्री शाह तथा मुख्यमंत्री श्री चौहान ने केंद्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी भोपाल के परिसर में शहीद स्मारक पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की तथा माल्यार्पण किया। परिसर में सर्वधर्म स्थल पर पौध-रोपण भी गया, साथ ही अकादमी में अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के अवसर पर नवीन उपकरणों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री शाह तथा मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पाँच पुस्तकों का विमोचन किया। इनमें अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस पर केंद्रित कॅम्पेंडियम, पुलिस विज्ञान पत्रिका के 45वें अंक, डाटा ऑन पुलिस ऑर्गेनाइजेशन 2021, बेस्ट प्रेक्टिसेज ऑन स्मार्ट पुलिसिंग तथा नेशनल सिलेबस फॉर डायरेक्टली रिक्रूटेड सब इन्स्पेक्टर्स, पुस्तक सम्मिलित हैं।
केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि पिछले वर्षों में देश और दुनिया ने भीषण बीमारी का सामना किया। कोरोना के समय देश में पुलिस के लगभग चार लाख अधिकारी-कर्मचारी संक्रमित हुए और 2700 से अधिक पुलिस-कर्मियों की मृत्यु हुई। इस कालखंड में देश की जनता ने पुलिस का मानवीय चेहरा और आपदा के समय पुलिस का व्यवहार देखा। इस आदर्श व्यवहार और सेवा के लिए समस्त पुलिस फोर्स का अभिनंदन है। देश के हर कोने से कोरोना काल में पुलिस द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा सुनने को मिली। गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री शाह ने कोरोना काल में कर्त्तव्य निर्वहन के दौरान मृत 2712 पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनके परिवार के सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस का पुलिस व्यवस्था में दो कारणों से महत्वपूर्ण योगदान है। संवैधानिक व्यवस्था में पुलिस और आंतरिक सुरक्षा को राज्यों का विषय माना गया है। संविधान निर्माण से अब तक अपराध के स्वरूप में आए बदलाव ने पुलिस के सामने अलग प्रकार की चुनौतियाँ खड़ी की हैं। कुछ इस प्रकार की प्रवृत्तियाँ उभर कर आयी हैं, जिन पर नियंत्रण के लिए राज्यों की पुलिस तथा देशभर की पुलिस को परस्पर समन्वय और एकरूपता के साथ कार्य करना होगा, अन्यथा हम चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएंगे।
केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने उत्तर-पूर्वी राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये आठ राज्य हैं, सभी राज्यों की पुलिस इकाइयाँ अलग-अलग हैं, पर एक समान चुनौती है। इसलिए समन्वय और एक नीति की आवश्यकता है। देश के पूर्वी क्षेत्र में घुसपैठ और देश के पश्चिमी राज्यों में जहाँ-जहाँ पड़ोसी देश से सीमा लगती है, वहाँ चुनौतियाँ एक समान है। यदि राज्यों की पुलिस आयसोलेशन में कार्य करती रहेगी तो हम इन चुनौतियों का सामना प्रभावी रूप से नहीं कर सकेंगे। इस परिस्थिति में संविधान को बदलने की जरूरत नहीं है, परंतु अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस और डी.जी. कॉन्फ्रेंस जैसे आयोजनों के माध्यम से कुछ राज्य मिलकर अपने क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा कर सकते हैं और समस्याओं के संबंध में समान नीति बना सकते हैं।
केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि देश के सामने ड्रग्स, हवाला ट्रांजेक्शन, सायबर फ्राड जैसी चुनौतियाँ हैं। एक राज्य में बैठा व्यक्ति किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति से सायबर फ्राड कर सकता है। ऐसे प्रकरणों का सामना करने के लिए साझा रणनीति नहीं है। ऐसे प्रकरणों के निदान के लिए संवाद का माध्यम क्या हो ? इन स्थितियों के लिए पुलिस विज्ञान कांग्रेस आदर्श व्यवस्था है। बी.पी.आर.एण्ड डी समान प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए देशभर की पुलिस को एक प्लेटफार्म पर लाकर समाधान निकालने के लिए आवश्यक है। अत: यह जरूरी है कि पुलिस विज्ञान कांग्रेस में समान प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक समान रणनीति निर्धारित करने पर भी विशेष सत्र में चर्चा हो।
केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि अपराधी दुनियाभर की अद्यतन तकनीक से लैस होते जा रहे हैं। यह आवश्यक है कि पुलिस अपराधी से दो कदम आगे रहे। इसके लिए पुलिस को टेक्नोसेवी बनना होगा और प्रत्येक बीट, हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल स्तर पर तकनीक के उपयोग में सिद्धहस्त होना होगा, अन्यथा हम नए प्रकार के अपराधों पर नियंत्रण प्राप्त नहीं कर सकेंगे। इसके लिए बी.पी.आर. एण्ड डी ने एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है। विभिन्न प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से पिछले दस साल में इस दिशा में कार्य हो रहा है। देश की आंतरिक चुनौतियों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस महत्वपूर्ण है और इस प्रकार के आयोजन आवश्यक है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में कश्मीर की समस्या, वामपंथियों के उग्रवाद की समस्या और उत्तर-पूर्व क्षेत्र के नशीले पदार्थों व हथियारों की समस्या का वैज्ञानिक तरीके से सामना करते हुए, इनके नियंत्रण में सफलता प्राप्त की गई है। यह स्थिति इन समस्याओं का विश्लेषण कर उपायों पर निर्णय लेने और उनके क्रियान्वयन में एकरूपता के परिणाम स्वरूप संभव हुई है।
केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि सभी पुलिस इकाइयों को दस साल की रणनीति विकसित कर उसकी निरंतर समीक्षा की व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि अधिकारी बदलते रहें, परंतु समस्या के प्रति पुलिस की रणनीति में कोई बदलाव न हो। वर्तमान में कई अपराध ऐसे आ रहे हैं, जिन पर पुलिस के आधुनिकीकरण, आवश्यक प्रशिक्षण, अन्य राज्यों और इकाइयों के साथ समन्वय और आधुनिकतम तकनीक के कुशल उपयोग के बिना नियंत्रण पाना संभव नहीं है। नार्कोटिक्स, नकली करेंसी, हवाला, सायबर क्राइम, हथियारों की तस्करी आदि का समाधान, रणनीति की एकरूपता से ही संभव होगा।
केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पुलिस टेक्नोलॉजी मिशन की घोषणा की है। इससे एक ही प्रकार के वायरलैस सिस्टम, सी.सी.टी.वी. कैमरा, विश्लेषण करने वाले सॉफ्टवेयर आदि में एकरूपता आएगी और सूचनाओं के आदान-प्रदान में सहायता मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि आज जिन पुस्तकों का विमोचन हुआ है, उनका अध्ययन सभी राज्यों में पुलिस अधिकारी करें। इनकी संक्षेपिका, प्रदेश के एस.पी. स्तर के प्रत्येक अधिकारी को उपलब्ध कराई जाए। पुस्तकों में समाहित विभिन्न अध्ययनों के निष्कर्षों को पुलिस के प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी तक पहुँचाना आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि डाटा नया विज्ञान है और बिग डाटा में सभी समस्याओं का समाधान है। भारत सरकार ने सभी थाने सी.सी.टी.एन.एस. व्यवस्था से जोड़े हैं। पर्याप्त डाटा उपलब्ध है। इसके उपयोग और विश्लेषण की दिशा में प्रयास करना आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि पुलिस में त्वरित क्रिया ‘जस्ट एक्शन’ की संस्कृति विकसित करना आवश्यक है। यह तभी संभव होगा, जब व्यवस्था व्यक्ति पर निर्भर न हो अपितु व्यक्ति व्यवस्था पर निर्भर हो। इससे पुलिसिंग में सकारात्मक बदलाव संभव होगा।
केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि पुलिस-विज्ञान के दो पहलू हैं, पहला ‘साईंस फॉर पुलिस’ और दूसरा ‘साईंस ऑफ पुलिस’। देश के सामने आ रही चुनौतियों का सामना करने के लिए इन दोनों विषयों पर गंभीरता से विचार आवश्यक है। देश की आंतरिक सुरक्षा को सशक्त करने के लिए पुलिस का आधुनिकीकरण, पुलिस को सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण, अद्यतन तकनीक की उपलब्धता और पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए आवश्यक व्यवस्था विकसित करनी होगी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्मार्ट पुलिसिंग की जो अवधारणा दी है, वह तभी चरितार्थ होगी। हमारे 16 हजार से अधिक पुलिस स्टेशन ऑनलाईन हो चुके हैं। एनसीआरबी में सी.सी.टी.एन.एस. द्वारा राज्य स्तर पर 09 सेवाओं को उपलब्ध कराया गया है। इन सेवाओं के संबंध में पुलिस के साथ-साथ जनता को भी जागरूक करने की आवश्यकता है। व्हीकल एनओसी, मिसिंग पर्सनस सर्च ईंजन, फिंगर प्रिंट सर्च के लिए नफीस सॉफ्टवेयर आदि जैसी डिजिटल व्यवस्थाओं का थाना स्तर तक प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए। आतंकवादी, नार्कोटिक्स, बम विस्फोट, विमान अपहरण के मामलों में डाटाबेस का उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। राज्य स्तर पर इनके अध्ययन के लिए निश्चित व्यवस्था स्थापित की जाए। सी.सी.टी.एन.एस. की जितनी भी सेवाएँ हैं, उन्हें थाना स्तर तक पहुँचाने का कार्य देश की सभी पुलिस इकाइयों को करना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि साईंस ऑफ पुलिस में मेडिकल साईंस, फॉरेंसिक साईंस, मैनेजमेंट साईंस, आर्म साईंस और कम्युनिकेशन साईंस का उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में दो विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। फॉरेंसिक साईंस लेबोरेट्री स्थापित की गई है। भोपाल में भी यह स्थापित होने वाली है। हमें इसके उपयोग को प्रोत्साहित करना होगा। आईपीसी, सीआरपीसी के संशोधनों के अंतर्गत 06 वर्ष से अधिक सजा के प्रकरणों में फॉरेंसिक साक्ष्य को अनिवार्य किया जा रहा है। इस प्रकार की व्यवस्था के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन आवश्यक हैं। इसी उद्देश्य से अग्रिम व्यवस्था करते हुए फॉरेंसिक साईंस लेब की स्थापना की जा रही है। रक्षा-शक्ति विश्वविद्यालय में विशेषज्ञ विकसित होंगे। मंत्री श्री अमित शाह ने सभी राज्यों के महानिदेशकों से कहा कि अपने-अपने राज्यों में दोनों विश्वविद्यालय के केन्द्र विकसित करें। उन्होंने ‘डायरेक्ट्रेट ऑफ प्रोसीक्यूशन’ को भी सशक्त करने की आवश्यकता बताई।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 48वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के शुभारंभ अवसर पर पधारे केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह का प्रदेशवासियों की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि यह सौभाग्य का विषय है कि अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस भोपाल में हो रही है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में वैभवशाली, समृद्ध, संपन्न और सशक्त भारत के निर्माण की प्रक्रिया जारी है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गीता के श्लोक “परित्राणाय साधुनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्” के अनुरूप सज्जन पुरुषों की रक्षा और दुष्टों का दमन पुलिस का कर्त्तव्य है। कोविड-19 में पुलिस ने सेवा के अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किए। नशा मुक्ति अभियान, बेटियों की सुरक्षा, सायबर अपराध पर नियंत्रण जैसी चुनौतियाँ पुलिस के सामने हैं। अतः पुलिस के प्रशिक्षण, वैज्ञानिक विवेचना की सुविधा, अन्वेषण के उपकरणों की उपलब्धता, फॉरेंसिक साइंस का हरसंभव उपयोग आज की आवश्यकता है। मुझे विश्वास है कि पुलिस विज्ञान कांग्रेस में सम्मिलित हो रहे पुलिस बलों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि, विभिन्न विषयों और चुनौतियों पर चर्चा करेंगे और उनका समाधान प्रस्तुत करेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विज्ञान कांग्रेस में भाग लेने आए सभी प्रतिनिधियों का प्रदेश में स्वागत किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए 21 हजार एकड़ से अधिक भूमि मुक्त कराई गई है, जिसकी लागत 12 हजार करोड़ से अधिक है। प्रदेश में पुलिस बल की संख्या वर्ष 2011 में 83 हजार 569 थी, जो आज बढ़कर 1 लाख 26 हजार से अधिक हो गई है। पुलिस में नई भर्तियों के लिए भी अभियान आरंभ किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में डायल-100 में बहुत ही कम समय में लोगों को पुलिस सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। ऊर्जा महिला डेस्क और क्राईम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम सुचारू रूप से संचालित है। एमपी. ई-कॉप एप के माध्यम से नागरिक सेवाओं की व्यवस्था को बेहतर बनाया गया है। इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम से आपराधिक न्याय व्यवस्था के समस्त स्तंभ जैसे पुलिस, ई-कोर्ट, ई-प्रिजन, एफ .एस.एल., ई-प्रॉसीक्यूशन को सफलतापूर्वक इंटीग्रेट किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्मार्ट पुलिसिंग की अवधारणा दी है। अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस स्मार्ट पुलिसिंग के प्रावधानों को व्यावहारिक रूप देने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगी और इसका लाभ देश को मिलेगा।
प्रारंभ में महानिदेशक ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट (बीपीआरएण्डडी) श्री बालाजी श्रीवास्तव ने अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के उद्देश्यों, प्रतिभागियों और चर्चा में आने वाले विषयों की जानकारी देते हुए बताया कि आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारतीय पुलिस के लिए सामयिक विषयों पर विचार-विमर्श करना और चुनौतियों के संबंध में रणनीति विकसित करना है। यह सम्मेलन जमीनी स्तर की व्यवस्थाओं को समझने और भविष्य में आने वाली चुनौतियों की दिशा में चर्चा के लिए साझा मंच प्रदान करता है। सम्मेलन में देशभर से 90 प्रतिभागी जुड़े हैं और 620 अधिकारी एवं पुलिसकर्मी वेबकास्ट के माध्यम से भाग ले रहे हैं। दो दिवसीय आयोजन में 06 विषयों पर विचार-विमर्श होगा।
कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री निसिथ प्रमाणिक, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री अजय मिश्रा, अतिरिक्त महानिदेशक बी.पी.आर. एण्ड डी श्री नीरज सिन्हा विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन बैंड पर प्रस्तुत राष्ट्र गान के साथ हुआ।