नक्सलियों के गढ़ में अब जवानों का चल रहा सिक्का, अबूझमाड़ के जंगल अब नहीं है नक्सलियों का स्वर्ग

रायपुर
 छत्तीसगढ़ में 16 घंटे तक चली भीषण मुठभेड़ में 60 लाख रुपये से अधिक के नकद इनाम वाले दस नक्सलियों के मारे गए। इसके एक दिन बाद, बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने कहा कि मढ़ को नक्सलियों का अभेद्य गढ़ माना जाता था, इस मिथ को सुरक्षाबलों ने तोड़ दिया है। उन्होंने बताया कि मारे गए लोगों में एक विशेष जोनल कमेटी सदस्य (एसजेडसीएम), दो डिवीजनल कमेटी सदस्य (डीवीसीएम) और दो एरिया कमेटी सदस्य (एसीएम) शामिल हैं, जो मुख्य रूप से अबूझमाड़ और गढ़चिरौली डिवीजन में सक्रिय थे।

जोगन्ना पर था 25 लाख रुपए का इनाम

मारे गए नक्सलियों में सबसे महत्वपूर्ण कैडर एसजेडसीएम जोगन्ना था, जिस पर 25 लाख रुपए का नकद इनाम था। उसके खिलाफ 196 आपराधिक मामले दर्ज थे। अन्य में कंपनी नंबर 10 के डीवीसीएम मल्लेश मदकम शामिल था। मल्लेश मदकम पर 43 मामले दर्ज थे और आठ लाख रुपए का इनाम था। डीवीसीएम विनय के खिलाफ गढ़चिरौली में आठ मामले दर्ज थे और उन पर 8 लाख रुपये का नकद इनाम था। इसके अलावा, जोगन्ना की पत्नी और एसीएम दलम डॉक्टर संगीता डोगे आत्राम के सिर पर 5 लाख रुपये और सुरेश के सिर पर 8 लाख रुपये का इनाम था। पुलिस ने बताया कि बाकी पांच कैडर पर 9 लाख रुपये का इनाम था।

सभी पर 70 लाख रुपए का था इनाम

एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि कुल मिलाकर इन उग्रवादियों पर एक राज्य में 70 लाख रुपये का इनाम था, जबकि विभिन्न राज्यों में कुल 2.5 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था। अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल से बरामद एक उत्खनन मशीन से पता चला है कि नक्सली हथियार, गोला-बारूद, राशन और विस्फोटकों के भंडारण के लिए बंकर बनाने की योजना बना रहे थे।

सोते वक्त जवानों ने बोला धावा

घटनास्थल के वीडियो और तस्वीरों से ऐसा लगता है कि नक्सली अचानक पकड़े गए क्योंकि सुरक्षा बलों ने जब उनके शिविर पर हमला किया तो वे तड़के सो रहे थे। तस्वीरों में मुठभेड़ के बाद मच्छरदानी बंधी हुई दिख रही थी और टेंट (माओवादी शिविर) बरकरार था, जिसमें राशन से भरे ड्रम और दवाओं से भरे बैग थे, जो दर्शाता है कि यह स्थान नक्सली कमांडरों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना था।

माड़ बचाओ अभियान के तहत कार्रवाई

बस्तर आईजी ने कहा कि 'माड़ बचाओ अभियान' के तहत, जिला रिजर्व गार्ड, बस्तर फाइटर्स और विशेष कार्य बल के 900 जवानों के संयुक्त बल के साथ 29 अप्रैल की रात को काकुर-टेकेमेटा अभियान शुरू किया गया, जिसमें 60 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की गई।

मढ़ अब नहीं है माओवादियों का गढ़

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जवानों ने इस मिथ को तोड़ दिया है कि माड़ माओवादियों का गढ़ है। बल्कि नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व को भी करारा झटका दिया है। इस धारणा के विपरीत कि नक्सली मढ़ में बेखौफ होकर काम कर सकते हैं, सुरक्षा बलों ने पूरे क्षेत्र में गहन तलाशी अभियान चलाया। इस अथक खोजबीन के दौरान वे नक्सली गतिविधि के केंद्र तक पहुंचे, जहां उन्होंने प्रमुख नेताओं को घेर लिया, जिससे माओवादियों में हड़कंप मच गया।

भोर में जवानों ने घेरा डाला

नारायणपुर के सोनपुर कैंप और कांकेर के छोटेबेठिया से जवान सुबह करीब 3:50 बजे टेकमेटा के जंगलों में पहुंचे और नक्सलियों को घेर लिया। उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा। लेकिन नक्सलियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया और फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने पोजीशन ली और जवाबी फायरिंग की।

16.10 घंटे तक चला ऑपरेशन

इस अभियान के दौरान 30 अप्रैल को सुबह 3:50 बजे से रात 8 बजे तक भीषण गोलीबारी हुई। आईजी ने बताया कि मारे गए लोगों में महाराष्ट्र, तेलंगाना और (बस्तर) छत्तीसगढ़ के माओवादी कमांडर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस घटना में कोई भी जवान हताहत नहीं हुआ।

10 नक्सलियों का शव मिला

वहीं, तीन महिलाओं सहित दस नक्सलियों के शवों को बेस पर लाया गया, जबकि बरामद हथियारों में एक एके-47, एक मैगजीन और 26 जिंदा राउंड, एक 5.56 इंसास राइफल, दो .303 राइफल, एक .315 राइफल, एक 12 बोर राइफल, सात जिंदा राउंड, तीन मज़ल-लोडिंग राइफल और एक बैरल ग्रेनेड लांचर, चार जिंदा ग्रेनेड शेल शामिल हैं।

विस्फोटक सामग्री भी मिले

अधिकारियों ने बताया कि अभियान के दौरान नक्सली ठिकानों पर भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री, आईईडी, प्रेशर कुकर, कोडेक्स तार, कंप्यूटर, प्रिंटर, उपग्रह संचार उपकरण, एक उत्खनन मशीन, दैनिक उपयोग की वस्तुएं, नक्सली साहित्य, सौर प्लेट और बर्तन बरामद किए गए।

इन जगहों पर लगातार जारी है ऑपरेशन

उन्होंने बताया कि टेकेमेटा और काकुर के नजदीकी इलाकों में डीआरजी नारायणपुर, कांकेर और बीएसएफ की टीमें इलाके को सुरक्षित करने के लिए लगातार एरिया डोमिनेशन कर रही हैं। पुलिस ने कहा कि इस अभियान ने नक्सल नेतृत्व के उच्च स्तर के लोगों में भय की भावना पैदा कर दी है, क्योंकि सुरक्षा बल उनके गढ़ों के करीब पहुंच रहे हैं।

पुलिस ने कहा कि नक्सलियों के बीच अविश्वास अपने चरम पर है, क्योंकि वरिष्ठ सदस्य अपने कनिष्ठों और स्थानीय समर्थकों पर संदेह करने लगे हैं। 'मढ़ बचाओ' अभियान का उद्देश्य मढ़ और उसके निवासियों को नक्सल विचारधाराओं के चंगुल से मुक्त कराना है। माओवादी सिद्धांतों के आकर्षण से आकर्षित लोगों से हिंसा का त्याग करने और मुख्यधारा के समाज को अपनाने की अपील की जाती है। इस ऑपरेशन ने माओवादियों की महाराष्ट्र सहित पड़ोसी क्षेत्रों में विस्तार की योजना को भी विफल कर दिया है।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button