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एक तरफ किसान यूरिया की कमी से जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ खाद केंद्रों से बोरियां गायब हैं

मध्य प्रदेश में यूरिया को लेकर किसान एक बार फिर परेशान दिखाई दे रहा है. किसानों ने रबी की फसल के लिए बोवनी कर दी है और अब यूरिया की किल्लत उन्हें डरा रही है

उज्जैन : रबी की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए यूरिया बहुत आवश्यक है, लेकिन इन दिनों यूरिया को लेकर किसान बेहद परेशान हैं. मध्य प्रदेश के कई जिलों में यूरिया को लेकर किसानों की सरकारी संस्थानों पर लंबी कतार देखने को मिल रही है. दूसरी तरफ यूरिया के वितरण में भी गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसी ही एक गड़बड़ी सामने आने पर रतलाम कलेक्टर ने दो समिति के कर्मचारियों को नोटिस जारी किए हैं।

रतलाम में यूरिया वितरण में गड़बड़ी 

रतलाम कलेक्टर ने धराड़ और लुनेरा समिति के कर्मचारियों को यूरिया वितरण में गड़बड़ी को लेकर नोटिस जारी किया है. दरअसल धराड़ में 10.62 मेट्रिक टन का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने पर नोटिस जारी किया गया है. यहां पर 36.45 मेट्रिक टन यूरिया भेजा गया था, जबकि कई बोरियों का हिसाब रिकॉर्ड पर नहीं मिला. इसी तरह लुनेरा सोसाइटी में भी 166 बोरी यूरिया की गायब मिलीं. यहां पर 33.57 मेट्रिक टन यूरिया भेजा गया था. यदि समिति के कर्मचारियों द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता है तो उन पर बड़ी कार्रवाई भी हो सकती है।

इन दिनों किसान को यूरिया की बेहद आवश्यकता है. मध्य प्रदेश में अभी तक 28.68 मेट्रिक टन यूरिया मिल चुका है जबकि 23.20 मेट्रिक टन से ज्यादा बांटा जा चुका है. इस बार कृषि विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो लगभग 5.35 प्रतिशत कृषि भूमि का रकबा बढ़ चुका है. किसान हरिराम चौधरी के मुताबिक रबी की फसल में यूरिया की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. यूरिया से पैदावार बढ़ जाती है. मौसम विभाग ने भी मावठा (हल्की बारिश) होने की संभावना जाता दी है. इस समय किसानों की चिंता और अधिक बढ़ गई है. किसान नरेंद्र पटेल के अनुसार इस साल किसानों को सोयाबीन की फसल में भाव नहीं होने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा है. यदि इस बार समय पर यूरिया नहीं मिलता है तो किसानों को रबी की फसल में भी आर्थिक हानि हो सकती है।

कृषि विभाग के सहायक संचालक कमलेश कुमार राठौर ने बताया कि यूरिया की कालाबाजारी रोकने के लिए फ्लाइंग स्क्वॉड बनाए गए हैं. इसमें कृषि विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन के अधिकारी भी हिस्सा ले रहे हैं. मध्य प्रदेश के उज्जैन और इंदौर में लगभग 98 फीसदी बोवनी निपट चुकी है. ऐसे में यूरिया के वितरण को लेकर भी व्यवस्थाएं बनाई गई हैं. उन्होंने बताया कि यदि कोई भी व्यक्ति यूरिया को शासन द्वारा निर्धारित की गई दर से अधिक कीमत पर बेचता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. उज्जैन के नागदा सहित कई स्थानों पर अचानक निरीक्षण भी किया गया है।

MP में 8000 से ज्यादा निजी विक्रेता

मध्य प्रदेश में सरकार की ओर से राज्य विवरण संघ और विपणन संघ समिति के माध्यम से यूरिया का वितरण कराया जाता है. यहां पर दोनों के मिलाकर 576 केंद्र हैं, वहीं निजी विक्रेताओं की संख्या की बात की जाए तो यह 8,000 से अधिक है. ऐसी स्थिति में यूरिया की कालाबाजारी होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

India Edge News Desk

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