CM सिद्धारमैया सूखा राहत राशि को लेकर फिर धरने पर बैठे, कर्नाटक के साथ केंद्र सरकार कर रही सौतेला व्यवहार

बंगलूरू/नई दिल्ली।

बंगलूरू में कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सहित कई नेताओं ने केंद्र द्वारा दिए जाने वाले सूखा राहत राशि को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा, कांग्रेस पार्टी की ओर से हमने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध किया। नरेंद्र मोदी और अमित शाह कर्नाटक के किसानों से नफरत करते हैं।

22 सितंबर को हमने केंद्र सरकार को ज्ञापन दिया। तत्पश्चात् केंद्रीय दल आया और राज्य का निरीक्षण किया। राज्य के 223 तालुके सूखे पड़े हैं। अमित शाह ने चेन्नापट्टनम आकर कहा कि राज्य सरकार ने ज्ञापन देर से जारी किया। सूखे से किसान परेशान हैं। अब तक हमने किसानों को 650 करोड़ रुपये बांटे हैं। निर्मला सीतारमण और नरेंद्र मोदी की वजह से कर्नाटक को राहत नहीं दी गई।

कांग्रेस सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, कर्नाटक के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया जा रहा है। मोदी सरकार कर्नाटक के किसानों और लोगों से बदला लेना चाह रही है। भाजपा की यह प्रतिशोध की राजनीति आज सामने आ रही है। उन्हें 18,172 करोड़ रुपये के बिना कर्नाटक की धरती पर अपना पैर रखने का अधिकार नहीं है। इसलिए, हमारे मुख्यमंत्री यहां बैठे हुए हैं। कर्नाटक के लिए न्याय करना होगा। कर्नाटक के प्रति मोदी सरकार की दुश्मनी खत्म होनी चाहिए। कर्नाटक कांग्रेस के विधायक रिजवान अरशद का कहना है, हम कोई दान नहीं मांग रहे। हम अपना अधिकार मांग रहे हैं, जो केंद्र सरकार को करों के रूप में अदा करते हैं। जब हम संकट में हों, जब हमारे किसान संकट में हों तो इसे वापस देना चाहिए। हम गंभीर सूखे की चपेट में हैं, कर्नाटक का 95 फीसदी हिस्सा गंभीर सूखे की चपेट में है। पिछले 10 महीनों से बारिश नहीं हुई। पीएम मोदी ने हमें मुआवजा क्यों नहीं दिया?

उन्होंने आगे कहा, ऐसा क्या है जो आपको कर्नाटक के खिलाफ खड़ा कर रहा है? इसलिए, हमें उच्चतम न्यायालय जाना पड़ा। अब, उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है। इसलिए, मोदी सरकार इस सप्ताह मुआवजा जारी करने पर सहमत हो गई है। क्या हमें अपने अधिकारों के लिए अदालत जाना होगा? हम धरने पर क्यों बैठे हैं? क्योंकि यह फिर से नहीं होना चाहिए। वे दक्षिण भारतीय राज्यों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते। कानून के अनुसार, हमें 17,800 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए। हम कानून के अनुसार, सूखा राहत के अनुसार इसकी मांग कर रहे हैं।

India Edge News Desk

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