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भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर इस बार कैसा होगा मुकाबला? जानें सियासी समीकरण

भानुप्रतापपुर विधानसभा उत्तर बस्तर के कांकेर जिले का एक ग्रामीण क्षेत्र एवं तहसील है। यह स्थानीय शासन संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कांकेर: भानुप्रतापपुर विधानसभा उत्तर बस्तर के कांकेर जिले का एक ग्रामीण क्षेत्र एवं तहसील है। यह स्थानीय शासन संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और अपने स्थानीय समुदाय के विकास और प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भानुप्रतापपुर तहसील का कुल क्षेत्रफल 697 वर्ग किमी है जिसमें 695.58 किमी ग्रामीण क्षेत्र और 1.32 किमी शहरी क्षेत्र शामिल है। यह सीट भी आदिवासियों के लिए आरक्षित है, नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां चुनाव प्रचार से लेकर मतदान तक कराना चुनौती भरा है |

निवासियों की मांग है कि शहर के बाहर से बायपास सड़क बनाई जाए

आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण यहां के ग्रामीणों की आय का मुख्य स्रोत वनोपज है। हालांकि शिक्षा के क्षेत्र में भानुप्रतापपुर में नारायणपुर अंतागढ़ और केशकाल विधानसभा से ज्यादा पढ़े-लिखे लोग हैं। इस विधानसभा के चारों ओर पहाड़ हैं और खनिज संपदा भी प्रचुर है। इस वजह से इस सीट पर चुनाव जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां पूरी ताकत लगाती हैं. भानुप्रतापपुर का नाम काकतीय वंश के राजा भानुप्रताप देव के नाम पर पड़ा। यह विधानसभा जंगलों से घिरा हुआ क्षेत्र हैसर्वाधिक वन संपदा यहीं पाई जाती है। इस विधानसभा में लौह अयस्क की अपार संभावनाएं हैं. प्रतिदिन हजारों टन लौह अयस्क का खनन किया जाता है, जिससे अधिकांश भारी वाहन चलते हैं। शहर से गुजरने वाले इन वाहनों के कारण कई बड़ी सड़क दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। यहां के निवासियों की मांग है कि शहर के बाहर से बायपास सड़क बनाई जाए.

भानुप्रतापपुर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास

भानुप्रतापपुर 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद से बीजेपी का गढ़ रहा है. 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी. 2013 और 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस के ही उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. 2003 से 2018 तक लगातार 4 बार इस सीट से मनोज मंडावी को कांग्रेस पार्टी से टिकट दिया गया, लेकिन 2022 में हार्ट अटैक से उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी सावित्री मंडावी ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा। और भारी वोटहालांकि, जिस तरह से उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया था और समाज के उम्मीदवार को भारी संख्या में वोट मिले थे, उससे सर्व आदिवासी समाज ने भी आगामी चुनाव में अपना दमखम आजमाना शुरू कर दिया है.

इस सभा में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक है

विधानसभा के आंकड़ेभानुप्रतापपुर तहसील की आबादी 95 हजार है। शिक्षा की बात करें तो भानुप्रतापपुर तहसील की कुल आबादी साक्षर है। जिनमें 71% पुरुष और 53% शिक्षित होते हैं। भानुप्रतापपुर विधानसभा में करीब 110 गांव हैं. कुल मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 97 हजार, जिसमें एक थर्ड जेंडर भी शामिल है. इस सभा में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक है

महिला मतदाताओं की संख्या- 1 लाख है,पुरुष मतदाताओं की संख्या- 95 हजार है.

भानुप्रतापपुर विधानसभा का जातिगत समीकरण 

अनुसूचित जनजाति- 55%
पिछड़ा वर्ग- 30 %
अन्य- 15 %

कांग्रेस प्रत्याशी मनोज मंडावी 26 हजार 693 वोटों से जीते थे

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से मनोज मंडावी को 72 हजार वोट मिले थे, बीजेपी प्रत्याशी देवलाल दुग्गा को 45 हजार  वोट मिले थे, कांग्रेस प्रत्याशी मनोज मंडावी 26 हजार वोटों से जीते थे. 2022 में भानुप्रतापपुर विधायक मनोज मंडावी की हार्ट अटैक से मौत के कारण इस विधानसभा में उपचुनाव हुआ और इस उपचुनाव में कांग्रेस से स्व. मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी चुनाव लड़ीं, जिन्हें कुल 65 हजार 479 वोट मिले. वहीं बीजेपी से ब्रम्हानंदनेताम दावेदारी कर रहे थे जिन्हें कुल 44 हजार 303 वोट प्राप्त हुए. उपचुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी सावित्री मंडावी ने कुल 21 हजार 171 मतों से बीजेपी के ब्रम्हानंद नेताम को हराया था.

विधानसभा का इतिहास छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद 2003 में भानुप्रतापपुर विधानसभा अस्तित्व में आई

2003 के चुनाव से लेकर 2023 के चुनाव तक इस विधानसभा में काफी विकास हुआ, लेकिन आज भी यह विधानसभा नक्सल प्रभावित है। चुनाव के समय यहां शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराना काफी चुनौतीपूर्ण होता है. भले ही भानुप्रतापपुर विधानसभा की तस्वीर पहले की तुलना में बदल गई है और हर गांव में विकास हुआ है, लेकिन आज भी यहां के ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं की समस्या से जूझ रहे हैं. यह सभाविधानसभा चुनाव में इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के पूरे आसार हैं. वैसे तो भानुप्रतापपुर विधानसभा शुरू से ही बीजेपी का गढ़ रही है, लेकिन पिछले दो चुनावों में इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं. ऐसे में इस विधानसभा में दो बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है. माना जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर हो सकती है और एक बार फिर दिवंगत मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी को कांग्रेस से टिकट मिल सकता है. बीजेपी केतरफ से प्रत्याशियों की लंबी लिस्ट है लेकिन ब्रह्मानंद नेताम और देवलाल दुग्गा इस लिस्ट में सबसे ऊपर है.

India Edge News Desk

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