राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्षी खेमे का राजनीतिक हिसाब-किताब शुरू
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : आगामी राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्षी खेमे का राजनीतिक हिसाब-किताब शुरू हो गया है। सभी विपक्षी दलों का मकसद सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुनकर भाजपा के खिलाफ लड़ना है। इसी सिलसिले में आम आदमी पार्टी अब कांग्रेस से अलग अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर राष्ट्रपति चुनाव की संभावित रणनीति पर विचार विमर्श करने में जुटी है। पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने तृणमूल कांग्रेस पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के नेताओं से मुलाकात कर इस चर्चा को आगे बढ़ाने का काम किया था।
तृणमूल कांग्रेस पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी ने दिल्ली पहुंचकर अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव पर सर्वसम्मति से गैर कांग्रेसी उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारने की पेशकश की थी। ममता बनर्जी के मुताबिक समाजवादी पार्टी, टीआरएस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) व अन्य कई छोटे दल कांग्रेस के खिलाफ राष्ट्रपति के उम्मीदवार में उनका सहयोग दे सकते हैं। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार (मीरा कुमार) को मैदान में उतारा गया था। गैर-कांग्रेसी उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी विपक्ष के लिए उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे।
अगर एनसीपी प्रमुख शरद पवार राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए राजी हो जाते हैं तो किसी विपक्षी दल के विरोध का सवाल ही नहीं उठता। इस दिग्गज नेता के राजनीतिक अनुभव और कद को देखते हुए आम आदमी पार्टी और टीएमसी से लेकर कांग्रेस तक सभी उनका समर्थन करेंगे। जैसा कि गैर-कांग्रेसी दल योजना बना रहे हैं लेकिन उनके न खड़े होने की सूरत में दूसरा गैर-कांग्रेसी चेहरा कौन होगा, फिलहाल आम आदमी पार्टी अन्य दलों से इस संबंध में विचार-विमर्श कर रही है।
अभी आदमी पार्टी ही कांग्रेस की सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी बनकर खड़ी हुई है। उसने न केवल पंजाब में कांग्रेस को हराया है, बल्कि हरियाणा में भी कांग्रेस का सामना करने की तैयारी कर रही है। दूसरी ओर यह सर्वविदित है कि टीएमसी कांग्रेस के उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन नहीं देना चाहती है। हालंकि इस मसले पर संजय सिंह ने कहा, अभी चुनाव में समय है। अभी इस के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। समय आने पर योजना पर विचार करेंगे। मैं इतना बता सकता हूं कि विपक्ष मजबूत टक्कर देगा।
दरअसल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। इस बीच उत्तर प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर के विधानसभा चुनावों के नतीजों से एक ओर जहां बीजेपी को खासी राहत दी है, वहीं आम आदमी पार्टी को भी अच्छी बढ़त मिली है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं की कुल वोट वैल्यू 10,98,903 है। फिलहाल जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग होने के चलते बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास 5 लाख 36 हजार से अधिक वोट वैल्यू है। इसके साथ ही बीजेपी को करीब 6 से 8 हजार वोट वैल्यू के लिए अपने सहयोगियों के साथ-साथ वायएसआर कांग्रेस और बीजेडी जैसे दलों की मदद लेनी पड़ सकती है।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए सांसदों और विधायकों के लिए वोट वैल्यू 1971 की जनगणना के आधार तय किया गया है। हर राज्य के विधायक का वोट वैल्यू वहां की जनसंख्या के चलते अलग अलग होता है। जबकि प्रत्येक लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों का वोट वैल्यू 708 निर्धारित है। उत्तर प्रदेश की आबादी सबसे अधिक होने के चलते इसके विधायकों की वैल्यू सर्वाधिक है। वहीं आम आदमी पार्टी को पंजाब में अपनी जीत और राज्यसभा में सीटें बढ़ने का फायदा होगा।
(जी.एन.एस)