श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला शुरू

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
कोलंबो : श्रीलंका में बुधवार को राष्ट्रपति प के लिए मतदान शुरू हो गया । राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला तीन उम्मीदवारों के बीच है। देश में अब तक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के बाद लोगों के सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने के बाद देश छोड़कर भागे गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव हो रहा है। संसद का सत्र सुबह दस बजे शुरू हुआ ।
कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, डलास अल्हाप्पेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को मंगलवार को सांसदों द्वारा 20 जुलाई के राष्ट्रपति चुनाव के लिए तीन उम्मीदवारों के रूप में प्रस्तावित किया गया था। एसएलपीपी के अध्यक्ष जी एल पीरिस ने मंगलवार को कहा था कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के अधिकतर सदस्य इससे अलग हुए गुट के नेता अल्हाप्पेरुमा को राष्ट्रपति पद के लिए और प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा को प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने के पक्ष में हैं।
श्रीलंका में जारी संकट के बीच आज राष्ट्रपति चुनाव में कड़ा त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। श्रीलंका की संसद 44 वर्षों में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबले में सीधे तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव करेगी जिसमें अंतिम क्षणों में राजनीतिक पैंतरेबाज़ी से कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर दुल्लास अल्हाप्पेरुमा की बढ़त का संकेत है। विपक्षी दलों के साथ-साथ उनकी मूल पार्टी के अधिकतर सांसदों का उन्हें समर्थन है। किसी भी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए देश की 225 सदस्यीय संसद में 113 से अधिक मत हासिल करना होगा।
सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के अधिकतर सदस्य अल्हाप्पेरुमा को और प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा के पक्ष में। विक्रमसिंघे (73) का मुकाबला 63 वर्षीय अल्हाप्पेरुमा और जेवीपी के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (53) से है। अल्हाप्पेरुमा सिंहली बौद्ध राष्ट्रवादी हैं और एसएलपीपी से अलग हुए धड़े के प्रमुख सदस्य हैं। श्रीलंका में 1978 के बाद से पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा गुप्त मतदान के जरिए हो रहा है। इससे पहले 1993 में कार्यकाल के बीच में ही राष्ट्रपति का पद तब खाली हुआ था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा की हत्या कर दी गयी थी। उस वक्त डी बी विजेतुंगा को संसद ने सर्वसम्मति से प्रेमदासा का कार्यकाल पूरा करने का जिम्मा सौंपा था।
(जी.एन.एस)