लॉस एंजिल्स में प्रदर्शनकारियों ने लूट लिया एप्पल स्टोर, सड़कों पर आगजनी और हिंसा, शहर में कर्फ्यू लागू

लॉस एंजिल्स 

अमेरिका के शहर लॉस एंजिल्स में चल रहे प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने एप्पल स्टोर और जॉर्डन फ्लैगशिप समेत तमाम स्टोर्स को लूट लिया। कथित तौर पर यह घटना क्रम रविवार की रात हुआ। सोशल मीडिया पर इस घटनाक्रम का वीडियो भी वायरल हो रहा है। कथित तौर पर जिस वक्त प्रदर्शनकारी एप्पल स्टोर में लूटपाट कर रहे थे उसी वक्त वहां पर स्थानीय पुलिस पहुंच गई, जिसके बाद कई लुटेरे एप्पल स्टोर के अंदर ही फंस गए।

एफपीजे की रिपोर्ट के मुताबिक लॉस एंजिल्स के डाउनटाउन में स्थित एप्पल स्टोर पर प्रदर्शनकारियों ने रविवार रात 9 जून को धावा बोल दिया। एक वायरल वीडियो में काले रंग की हुडी पहने हुए मास्क पहने हुए कई व्यक्तियों ने स्टोर पर हमला बोल दिया। इसमें से एक व्यक्ति एप्पल स्टोर से एक डिब्बा उठाते हुए और स्टोर में तोड़फोड़ करते हुए नजर आ रहा है। व्यक्ति एक सामान उठाता है और जोर से एक शीशे पर मार देता है इसके बाद उसमें दरार वीडियो में पुलिस का सायरन और गोलियों की आवाज भी सुनी जा सकती है।

इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप की आव्रजन नीति के खिलाफ लॉस एंजिल्स की सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारी उतर आए। ट्रंप ने इनको रोकने के लिए नेशनल गॉर्ड्स की तैनाती कर दी थी। लेकिन 300 नेशनल गॉर्ड्स को हजारों लोगो को संभालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लोग मास्क लगाकर कैमरों से अपनी पहचान छिपाकर, आंसू गैस और रबर की गोलियों का सामना करते हुए प्रदर्शन करते रहे। गुस्साए ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों के मास्क पहनने पर रोक लगा दी। इसके साथ ही आदेश दिया कि अगर कोई प्रदर्शनकारी मास्क लगाए दिखे तो उसे तत्काल प्रभाव से गिरफ्तार किया जाए।

ट्रंप के लॉस एंजिल्स में नेशनल गार्ड्स को तैनात करने के फैसले ने वहां के गर्वनर गेविन न्यूजम को नाराज कर दिया। गेविन ने राष्ट्रपति के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसके विरोध में मुकदमा दायर करने का ऐलान किया।

लॉस एंजिल्स में क्यों हो रही है हिंसा

बता दें कि लॉस एंजिल्स पिछले तीन दिनों से प्रदर्शन और हिंसा की चपेट में है. ये हिंसा यहां ट्रंप प्रशासन की ओर से अवैध घुसपैठियों की गिरफ्तारी शुरू किए जाने के खिलाफ हो रही है. 

अवैध प्रवासियों के खिलाफ काम कर रही अमेरिकी एजेंसी आईसीई ने कहा उसने एक जगह से  40 से अधिक संदिग्ध अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार किया है. उन्होंने आईसीई डेटा का हवाला देते हुए कहा कि शुक्रवार को ग्रेटर एल.ए. क्षेत्र में आईसीई और दूसरी एजेंसियों ने 77 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया. 

अवैध प्रवासियों के खिलाफ एक्शन ट्रंप का चुनावी वादा

अवैध प्रवासियों के खिलाफ एक्शन ट्रंप का चुनावी वादा रहा है. अब वे इस मिशन पर सख्ती से काम कर रहे हैं. यह पहली बार है जब किसी राष्ट्रपति ने दशकों में राज्य के अनुरोध के बिना किसी राज्य में सैनिकों को भेजा था. अमेरिका में ये बड़ा मुद्दा बन गया है. ट्रंप की राजनीतिक धारा के विरोधी गेविन डेमोक्रेट पार्टी के हैं जबकि ट्रंप स्वयं रिपब्लिकन हैं. 

बता दें कि लॉस एंजिल्स में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त आव्रजन नीतियों और इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) की छापेमारी के खिलाफ हो रहे हैं. 6-7 जून को शुरू हुई छापेमारी में फैशन डिस्ट्रिक्ट, कॉम्पटन और होम डिपो जैसे क्षेत्रों में 118 अवैध प्रवासियों को हिरासत में लिया गयाय इससे लैटिनो समुदाय में आक्रोश फैल गया, जिसके बाद हजारों लोग सड़कों पर उतरे. प्रदर्शनकारियों ने 101 फ्रीवे को अवरुद्ध किया, वाहनों में आग लगाई, और सरकारी भवनों पर हमला किया.

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में आंसू गैस, रबर बुलेट और फ्लैश-बैंग ग्रेनेड का उपयोग हुआ. ट्रंप प्रशासन ने स्थिति नियंत्रित करने के लिए 2,000 नेशनल गार्ड और 700 मरीन सैनिक तैनात किए, जिसे गवर्नर गैविन न्यूसम ने "भड़काऊ" कदम बताया. 

गैविन न्यूसम ने कहा कि यह सार्वजनिक सुरक्षा का मसला नहीं है, यह एक खतरनाक राष्ट्रपति के अहंकार को सहलाने के बारे में है. वहीं ट्रंप ने मेयर कैरेन बास और न्यूसम पर सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाया है. 
 

India Edge News Desk

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