मध्यप्रदेश में मिल रही सफलता देखकर राहुल गदगद

विजया पाठक

वर्तमान समय में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में चल रही है। यहां भी कार्यकर्ताओं में यात्रा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ और उनकी टीम ने यात्रा को लेकर पहले से जो तैयारियां की थी और मेहनत की है उससे यात्रा की सफलता प्रदर्शित हो रही है। यात्रा को लेकर कमलनाथ की टीम ने जो मेहनत की है वह रंग ला रही है। यात्रा में उमड़ती हजारों की भीड़ बता रही है कि प्रदेश में कांग्रेस कमलनाथ के नेतृत्‍व में मजबूत स्थिति में है। भारत जोड़ो यात्रा को मध्‍यप्रदेश में अभूतपूर्व सफलता मिल रही है, जिसका जिक्र खुद राहुल गांधी ने किया था। यात्रा की कामयाबी से यही लगता है कि कांग्रेस एक बार फिर देश में, प्रदेश में पुनजीर्वित होगी। जिस बात की चिंता अब बीजेपी नेताओं के चेहरे पर देखी जा सकती है। दूसरी तरफ यात्रा के पड़ाव में कुछ अव्‍यवस्‍थाओं को भी देखा जा रहा है। मेरा मानना है कि इस तरह ही अव्‍यवस्‍थाओं के लिए प्रदेश की शिवराज सरकार जिम्‍मेदार है। क्‍योंकि कानून व्‍यवस्‍था बनाना और यात्रा में आ रही भीड़ को कंट्रोल करने का काम प्रदेश सरकार का है। एक-दो दिन पहले देखा गया है कि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह धक्‍कामुक्‍की में गिर गए थे। दिग्विजय सिंह जैसे नेता के साथ ही धक्‍कामुक्‍की हो रही है तो सवाल उठ रहा है कि पुलिस प्रशासान क्‍या कर रहा है। क्‍या जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है?

बेहतर होगा लोगों के हित से जुड़े मुददे उठाए राहुल गांधी
अब तक हुई सभाओं में आम आदमी से जुड़े विषय के अलावा राहुल गांधी के भाषण में भाजपा पर तंज, नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियां आदि पर प्रहार देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही मेरा मानना है कि यात्रा के दौरान राहुल गांधी आम आदमी के हितों से जुड़े मुददों को भी उठाए जाने की आवश्‍यकता है। आज देश में बेरोजगारी, मंहगाई, ईंधन की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 के बाद संघर्ष कर रहे छोटे उद्योगों, किसानों के अस्तित्व की समस्या जैसे विषयों से सरकार को अवगत कराना चाहिए और जनता के लिए संघर्ष करना चाहिए। हम करीब से देखे तो राहुल के भाषण की तैयारियों में और गहराई की आवश्यकता है। यानि भाषणों के बिंदुओं में इस बात को समझना होगा कि चुनाव जनता से जुड़े मुद्दों पर जीते जाते हैं। वीर सावरकर और आरएसएस के खिलाफ बोलना और उन्हें भारत का दुश्मन बताना विपक्ष को राहुल गांधी पर हावी होने के अवसर देता है। वीर सावरकर और आरएसएस को देश के ज्‍यादातर लोग गलत नहीं मानते हैं।

यात्रा में हो रही आदिवासियों के हकों की बात
मध्‍यप्रदेश में चल रही भारत जोड़ो यात्रा का जो रूट है वह प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में है। बुरहानपुर से शुरू हुई यात्रा ज्‍यादातर आदिवासी क्षेत्रों से गुजर रही है। निश्चित ही इस यात्रा से आदिवासियों के हकों की बात की जा रही हैं। राहुल गांधी भी अपने एक भाषण में आदिवासियों को देश का असली मालिक बता चुके हैं और यात्रा के दौरान राहुल गांधी टंटया मामा, बिरसा मुंडा की मूर्तियों पर पुष्‍पां‍जलि अर्पित कर चुके हैं। साथ ही भाषणों में आदिवासियों का देश की आजादी और बलिदानों को बताना नहीं भूलते हैं। निश्चित ही यात्रा से आदिवासियों का कांग्रेस के प्रति झुकाव होगा, जो आगामी चुनाव में लाभदायक साबित होगा। इससे पहले आदिवासी अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं उन्‍हें कांग्रेस ने मान सम्‍मान दिया है।

यात्रा होगी कांग्रेस के लिए संजीवनी
एक अरसे के बाद देश की सबसे पुरानी और अभी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे देश की राजनीति को नयी दिशा मिल सकती है। साथ ही जनाधार हासिल करने के संकट से गुजर रही कांग्रेस के लिए यह संजीवनी साबित हो सकता है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मुख्य उद्देश्य कांग्रेस को एक बार फिर से पुनर्जीवित करने का है। इसके माध्यम से राहुल जमीनी स्तर पर लोगों के साथ संबंध को फिर से स्थापित करना चाहते हैं। 07 सितम्बर 2022 से कन्याकुमारी से शुरू हुई राहुल गांधी की 150 दिनों की 3570 किलोमीटर लम्बी यात्रा को कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा जनसम्पर्क अभियान कहा जा सकता है। इस यात्रा का उद्देश्य उन तमाम लोगों के बीच विश्वास पैदा करना है, जिन्होंने संकट झेला है। यात्रा के दौरान होने वाली रैलियों में अस्तित्व की समस्या पर प्रकाश डाला जा रहा है। कुल मिलाकर कांग्रेस की गिरती साख को देखते हुए भारत जोड़ो यात्रा पार्टी के लिए संजीवनी के रूप में कार्य कर सकती है। देश की राजनीतिक इतिहास में यह यात्रा कांग्रेस के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती है। राहुल की यात्रा के दोहरे उद्देश्य हो सकते हैं। पहला यह कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए राहुल पार्टी नेताओं तथा कार्यकताओं में जान फूंक सकते हैं। यह चुनाव पार्टी की किस्मत का निर्णय कर सकते हैं। दूसरा यह कि पार्टी में विद्रोह ने पार्टी कार्यकताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। ये लोग अब राहुल गांधी के नेतृत्व में अपना फिर से भरोसा जता सकते हैं।

India Edge News Desk

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