रायपुर : युक्तियुक्तकरण से मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में शिक्षा व्यवस्था को मिली नई मजबूती

रायपुर : युक्तियुक्तकरण से मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में शिक्षा व्यवस्था को मिली नई मजबूती

शिक्षक विहीन विद्यालयों की स्थिति में आया ऐतिहासिक सुधार

सूरजपुर जिले की शालाएं बनीं शिक्षक युक्त, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर ऐतिहासिक पहल

रायपुर : युक्तियुक्तकरण का असर: कोंडागांव जिले में अब एक भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं

10 पूर्णतः शिक्षकविहीन विद्यालयों को भी मिले शिक्षक

रायपुर
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित युक्तियुक्तकरण अभियान के सकारात्मक परिणाम अब धरातल पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे हैं। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। यह सुधार शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में सामने आया है।

शासन के निर्देश पर जिले में संचालित विद्यालयों की व्यापक समीक्षा की गई, जिसमें यह तथ्य सामने आया कि युक्तियुक्तकरण से पूर्व जिले में 3 प्राथमिक शालाएं और 1 हाई स्कूल पूरी तरह से शिक्षक विहीन थे। इन सभी शालाओं में त्वरित कार्रवाई करते हुए शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। अब जिले का कोई भी प्राथमिक विद्यालय या हाई स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है, जो प्रशासन की सक्रियता और शिक्षा विभाग की तत्परता को दर्शाता है।

हालांकि, जिले में अभी भी 2 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षक प्रणाली पर आधारित हैं। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन शालाओं को भी शीघ्र ही बहु-शिक्षक विद्यालयों में परिवर्तित करने की दिशा में आवश्यक प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।

मनेंद्रगढ़, चिरमिरी और भरतपुर विकासखंडों के ग्रामीण एवं वनांचल क्षेत्रों में स्थित कई विद्यालयों में पूर्व में शिक्षकों की अनुपलब्धता के कारण पठन-पाठन प्रभावित हो रहा था। अब युक्तियुक्तकरण के पश्चात इन शालाओं में नियमित कक्षाएं संचालित हो रही हैं और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिल रहा है।

शिक्षा विभाग के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि “राज्य शासन द्वारा लागू की गई युक्तियुक्तकरण नीति से शिक्षकों की तैनाती में असंतुलन को दूर किया गया है। अब हमारा प्रयास शेष एकल शिक्षकीय विद्यालयों को भी बहु-शिक्षकीय स्वरूप प्रदान करने का है, जिससे शिक्षकों का कार्यभार संतुलित हो और छात्रों को बेहतर शिक्षण वातावरण मिले।”

विभाग ने बताया कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में जिले के सभी विकासखंडों से प्राप्त आंकड़ों का सूक्ष्म विश्लेषण कर प्राथमिकता के आधार पर शिक्षकों की नवीन पदस्थापना की गई है। साथ ही, जहां आवश्यकता है, वहां त्वरित समाधान की दिशा में निरंतर कार्य जारी है।

 सूरजपुर जिले की शालाएं बनीं शिक्षक युक्त, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर ऐतिहासिक पहल

सूरजपुर जिले में बच्चों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण की गई है। इस पहल के तहत अब जिले की लगभग सभी शालाएं शिक्षक युक्त हो चुकी हैं, जिससे जिले की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक और सकारात्मक सुधार देखने को मिल रहा है।

पूर्व में जिले की 18 प्राथमिक शालाएं पूरी तरह से शिक्षकविहीन थीं, लेकिन अब ये सभी शालाएं शिक्षकयुक्त हो गई हैं। इसी तरह, पहले 281 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षक प्रणाली पर आधारित थीं, जिनकी संख्या अब घटकर केवल 47 रह गई है। इसके अतिरिक्त, दो हाई स्कूल भी शिक्षकविहीन थे, जिन्हें अब योग्य शिक्षकों से सुसज्जित कर दिया गया है। जिले के सभी पूर्व माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में भी शिक्षकों की पूर्ण उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गई है।

शासन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, 1 से 3 जून 2025 तक शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, विश्रामपुर में ओपन काउंसलिंग का आयोजन किया गया। इस प्रक्रिया में वरीयता क्रम के आधार पर सैकड़ों अतिशेष शिक्षकों की नवीन पदस्थापना की गई। इससे न केवल शिक्षकविहीन शालाओं की समस्या का समाधान हुआ, बल्कि दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों की शालाओं में भी शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

शिक्षकों के इस युक्तियुक्तकरण से जिले में शिक्षा के परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है। शासन और जिला प्रशासन की यह पहल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध हो रही है।

युक्तियुक्तकरण का असर: कोंडागांव जिले में अब एक भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं

10 पूर्णतः शिक्षकविहीन विद्यालयों को भी मिले शिक्षक

244 एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाओं सहित हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में भी हुई शिक्षक नियुक्ति, शिक्षा की गुणवत्ता में आएगा सुधार

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए लागू की गई "युक्तियुक्तकरण" नीति के सकारात्मक नतीजे अब धरातल पर स्पष्ट रूप से दिखने लगे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर संचालित इस प्रक्रिया के तहत कोंडागांव जिले के सभी शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को आवश्यकतानुसार शिक्षक मिल चुके हैं। इससे जिले में शिक्षा का नया उजाला फैला है और विद्यार्थियों का भविष्य अब अधिक सुरक्षित हुआ है।

इस पहल के तहत जिले के 10 पूरी तरह शिक्षकविहीन प्राथमिक विद्यालयों को शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं। साथ ही 244 एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाएं, दो पूर्व माध्यमिक विद्यालय, दो हाई स्कूल और एक हायर सेकेंडरी स्कूल में भी शिक्षकों की पदस्थापना कर दी गई है। अब जिले में एक भी विद्यालय ऐसा नहीं बचा है जहां शिक्षक न हो।

इन विद्यालयों को मिला सबसे अधिक लाभ

माकड़ी विकासखण्ड के प्राथमिक शाला करमरी, डोंगरीपारा क्षमतापुर और नेवरा, बड़ेराजपुर विकासखण्ड के रावसवाही, कोण्डागांव विकासखण्ड के कोरमेल, बाखरा, ज्ञान ज्योति नयापारा छोटेबंजोड़ा, एहरा और खुटडोबरा जैसे प्राथमिक विद्यालय वर्षों से शिक्षकविहीन थे। इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति से अब बच्चों की पढ़ाई सुचारु रूप से शुरू हो सकेगी।

एकल शिक्षकीय विद्यालयों में भी सुधार

फरसगांव विकासखण्ड के उच्च प्राथमिक शाला भैंसाबोड़, माध्यमिक शाला बाजारपारा फरसगांव, कोण्डागांव विकासखण्ड के हाई स्कूल डोंगरीगुड़ा और हाई स्कूल नवागांव, माकड़ी विकासखण्ड के हाई स्कूल एरला जैसे अनेक स्कूलों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। कुल मिलाकर 244 एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाओं में भी अब संतुलित शिक्षक संख्या उपलब्ध हो चुकी है।

शिक्षा व्यवस्था को मिली नई दिशा

युक्तियुक्तकरण के इस व्यापक और सुनियोजित प्रयास से जिले की शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिली है। शिक्षकों की उपलब्धता से जहां बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता आएगी, वहीं शैक्षणिक गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।

India Edge News Desk

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