विलक्षणताओं एवं विशेषताओं से ओतप्रोत है, प्रेरणादायी है श्रीराम का सम्पूर्ण जीवन

ललित गर्ग

हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुनःर्स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। श्रीरामचन्द्रजी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था। रामनवमी का त्यौहार इस वर्ष 10 अप्रैल 2022 को मनाया जायेगा। इस पर्व के साथ ही माँ दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है। हिन्दू धर्म में रामनवमी के दिन पूजा अर्चना की जाती है। रामनवमी का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक और पारंपरिक महत्व है जो हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा पूरी भक्ति, आस्था एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम का धरती पर अवतार लेने का एकमात्र उद्देश्य अधर्म का नाश कर धर्म की पुनः स्थापना करना था जिससे सामान्य मानव शांति, प्रेम एवं सुख के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सके, साथ ही भगवान की भक्ति कर सके। उन्हें किसी प्रकार का दुःख या कष्ट न सहना पड़ें।

भगवान श्रीराम अविनाशी परमात्मा हैं जो सबके सृजनहार व पालनहार हैं। दरअसल श्रीराम के लोकनायक चरित्र ने जाति, धर्म और संप्रदाय की संकीर्ण सीमाओं को लांघ कर जन-जन को अनुप्राणित किया। भारत में ही नहीं, दुनिया में श्रीराम अत्यंत पूज्यनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं। थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि कई देशों में भी श्रीराम आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं। श्रीराम केवल भारतवासियों या केवल हिन्दुओं के मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं हैं, बल्कि बहुत से देशों, जातियों के भी मर्यादा पुरुष हैं जो भारतीय नहीं। रामायण में जो मानवीय मूल्य दृष्टि सामने आई, वह देशकाल की सीमाओं से ऊपर उठ गई। वह उन तत्वों को प्रतिष्ठित करती है, जिन्हें वह केवल पढ़े-लिखे लोगों की चीज न रहकर लोक मानस का अंग बन गई। इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम राष्ट्र में नागरिक रामलीला का मंचन करते हैं तो क्या वे अपने धर्म से भ्रष्ट हो जाते हैं? इस मुस्लिम देश में रामलीलाओं का मंचन भारत से कहीं बेहतर और शास्त्रीय कलात्मकता, उच्च धार्मिक आस्था के साथ किया जाता है। ऐसा इसलिये संभव हुआ है कि श्रीराम मानवीय आत्मा की विजय के प्रतीक महापुरुष हैं, जिन्होंने धर्म एवं सत्य की स्थापना करने के लिये अधर्म एवं अत्याचार को ललकारा। इस तरह वे अंधेरों में उजालों, असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई के प्रतीक बने।

सचमुच श्रीराम न केवल भारत के लिये बल्कि दुनिया के प्रेरक है, पालनहार है। भारत के जन-जन के लिये वे एक संबल हैं, एक समाधान हैं, एक आश्वासन हैं निष्कंटक जीवन का, अंधेरों में उजालों का। भारत की संस्कृति एवं विशाल आबादी के साथ दर्जनभर देशों के लोगों में यह नाम चेतन-अचेतन अवस्था में समाया हुआ है। यह भारत जिसे आर्यावर्त भी कहा गया है, उसके ज्ञात इतिहास के श्रीराम प्रथम पुरुष एवं राष्ट्रपुरुष हैं, जिन्होंने सम्पूर्ण राष्ट्र को उत्तर से दक्षिण, पश्चिम से पूर्व तक जोड़ा था। दीन-दुखियों और सदाचारियों की दुराचारियों एवं राक्षसों से रक्षा की थी। सबल आपराधिक एवं अन्यायी ताकतों का दमन किया। सर्वाेच्च लोकनायक के रूप में उन्होंने जन-जन की आवाज को सुना और राजतंत्र एवं लोकतंत्र में जन-गण की आवाज को सर्वाेच्चता प्रदान की। श्रीराम ने ऋषि-मुनियों के स्वाभिमान एवं आध्यात्मिक स्वाधीनता की रक्षा कर उनके जीवन, साधनाक्रम एवं भविष्य को स्वावलम्बन एवं आत्म-सम्मान के प्रकाश से आलोकित किया। इस मायने में श्रीराम राष्ट्र की एकता के सूत्रधार एवं लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रेरक है, इसीलिये श्रीराम मन्दिर लोकतंत्र का भी पवित्र तीर्थ होगा।

कबीरजी आदि भक्त कवियों ने श्रीराम गुणगान करते हुए कहा है कि आदि श्रीराम वह अविनाशी परमात्मा है जो सब का सृजनहार व पालनहार है। जिसके एक इशारे पर धरती और आकाश काम करते हैं जिसकी स्तुति में तैंतीस कोटि देवी-देवता नतमस्तक रहते हैं। जो पूर्ण मोक्षदायक व स्वयंभू है।

‘एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा,
एक राम का सकल उजियारा, एक राम जगत से न्यारा’।।

श्रीराम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहां तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार, आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। श्रीराम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा प्रान जाहुं बरु बचनु न जाई की थी। श्रीराम हमारी अनंत मर्यादाओं के प्रतीक पुरुष हैं इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से पुकारा जाता है। हमारी संस्कृति में ऐसा कोई दूसरा चरित्र नहीं है जो श्रीराम के समान मर्यादित, धीर-वीर, न्यायप्रिय और प्रशांत हो। वाल्मीकि के श्रीराम लौकिक जीवन की मर्यादाओं का निर्वाह करने वाले वीर पुरुष हैं। उन्होंने लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध किया और लोक धर्म की पुनःस्थापना की। लेकिन वे नील गगन में दैदीप्यमान सूर्य के समान दाहक शक्ति से संपन्न, महासमुद्र की तरह गंभीर तथा पृथ्वी की तरह क्षमाशील भी हैं। वे दुराचारियों, यज्ञ विध्वंसक राक्षसों, अत्याचारियों का नाश कर लौकिक मर्यादाओं की स्थापना करके आदर्श समाज की संरचना के लिए ही जन्म लेते हैं। आज ऐसे ही स्वस्थ समाज निर्माण की जरूरत है।

श्रीराम हमारे कण-कण में समाये हैं, हमारी जीवनशैली का अभिन्न अंग हैं। सुबह बिस्तर से उठते ही राम। बाहर निकलते ही राम-राम, दिन भर राम नाम की अटूट श्रृंखला। फिर शाम को राम का नाम और जीवन की अंतिम यात्रा भी ‘राम नाम सत्य है’ के साथ। आखिर इसका रहस्य क्या है? घर में राम, मंदिर में राम, सुख में राम, दुख में राम। शायद यही देख कर अल्लामा इकबाल को लिखना पड़ा- ‘है राम के वजूद पर हिन्दोस्तां को नाज, अहले वतन समझते हैं, उनको इमामे हिंद।’ श्रीराम का जो विराट व्यक्तित्व भारतीय जनमानस पर अंकित है, उतने विराट व्यक्तित्व का नायक अब तक के इतिहास में कोई दूसरा नहीं हुआ। श्रीराम के जैसा दूसरा कोई पुत्र नहीं। उनके जैसा सम्पूर्ण आदर्श वाला पति, राजा, स्वामी कोई भी दूसरा नाम नहीं। श्रीराम किसी धर्म का हिस्सा नहीं, बल्कि मानवीय चरित्र का प्रेरणादायी प्रतीक है। श्रीराम सुख-दुख, पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म, शुभ-अशुभ, कर्तव्य-अकर्तव्य, ज्ञान-विज्ञान, योग-भोग, स्थूल-सूक्ष्म, जड़-चेतन, माया-ब्रह्म, लौकिक-पारलौकिक आदि का सर्वत्र समन्वय करते हुए दिखाई देते हैं। इसलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम तो हैं ही, लोकनायक एवं मानव चेतना के आदि पुरुष भी हैं। भारत के विभिन्न धार्मिक संप्रदायों और मत-मतांतरों के प्रवर्त्तक संतों ने श्रीराम की अलग-अलग कल्पना की है। इनमें हर एक के श्रीराम अलग-अलग हैं, लेकिन सभी के श्रीराम मर्यादा के प्रतिमूर्ति एवं आदर्श शासन-व्यवस्था की ऊंच रोशनी की मीनार है।

श्रीराम का सम्पूर्ण जीवन विलक्षणताओं एवं विशेषताओं से ओतप्रोत है, प्रेरणादायी है। उन्हें अपने जीवन की खुशियों से बढक़र लोक जीवन की चिंता थी, तभी उन्होंने अनेक तरह के त्याग के उदाहरण प्रस्तुत किये। राजा के इन्हीं आदर्शों के कारण ही भारत में रामराज्य की आज तक कल्पना की जाती रही है। श्रीराम के बिना भारतीय समाज की कल्पना संभव नहीं है। अब श्रीराम मन्दिर के रूप में एक शक्ति एवं सिद्धि स्थल बन रहा है, जो रामराज्य के सुदीर्घ काल के सपने को आकार देने का सशक्त एवं सकारात्मक वातावरण भी बनेगा। श्रीराम मंदिर जीवनमूल्यों की महक एवं प्रयोगशाला के रूप में उभरेगा। क्योंकि श्रीराम का चरित्र ही ऐसा है जिससे न केवल भारत बल्कि दुनिया में शांति, अहिंसा, अयुद्ध, साम्प्रदायिक सौहार्द एवं अमन का साम्राज्य स्थापित होगा। यूक्रेन एवं रूस के बीच चल रहा युद्ध एवं इस परिप्रेक्ष्य में विश्वयुद्ध की संभावनाओं को देखते हुए श्रीराम के जीवन आदर्शों को विश्व व्यापी बनाने की अपेक्षा है, ताकि दुनिया शांति एवं चैन से जी सके।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button