सुर्खियों में उभर आया है रायरंगपुर

डॉ. सुधीर सक्सेना

रायरंगपुर को ज्यादा लोग नहीं जानते, लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा राष्ट्रपति पपद के लिए द्रौपदी मुर्मू के चयन के उपरांत यह सुर्खियों में उभर आया है। ऐतिहासिक प्रसंग शहरों को शोहरत से नवाजते हैं। विभूतियों का गमन-आगमन, युद्ध और संधि, निर्माण और ध्वंस और विशिष्ट आयोजन स्थानों की ख्याति का हेतु हुआ करते हैं।

छोटा शहर है रायरंगपुर। उसे द्विचक्र या चौचक वाहन तो क्या, पैदल भी आसानी से मापा जा सकता है। शहर में आलीशान इमारतें, म्लटी और माल नहीं हैं। मुख्य मार्ग पर दुकानों, मकानों, लॉज-होटलों और रेस्तराओं की मिली-जुली गझिन कतार है। चाय के छोटे-छोटे ठीहे हैं। बिसाती की दुकानें हैं।
मंदिर है। सरकारी-गैरसरकारी दफ्तर ही सदी पहले से रायरंगपुर लियाजां का केन्द्र रहा है। वजह यह कि यहां से ओडिशा, बंगाल और झारखंड को राहें फूटती हैं। पश्चिम बंगाल , ओडिशा और झारखंड का तिराहा है रायरंगपुर। इस्पात नगरी जमशेदपुर से जो मालगाड़ी मुद्दत पहले से बादाम पहाड़ जाती है, वह इसी रायरंगपुर से होकर गुजरती है। उसका यह नसीब उसे टाटा की देन है। अल्पज्ञात सच है कि एशिया की पहली लौहखदान इस अंचल में गोरुमहिषनी में स्थित है। कितनों को पता है कि पहले फेरोबेनाडियम संयंत्र का प्रयास ब्रिटिशकाल में मयूरभंज के महाराजा ने किया था, जो सिरे नहीं चढ़ सका। वस्तुत: विलीनीकरण के पूर्व रायरंगपुर मयूरभंज स्टेट की तहसील हुआ करता था। लौह-अयस्क-समृद्ध खनिज क्षेत्र में बसाहट से रायरंगपुर के दिन बहुरे। टाटा इस्पात की मातृखदानें इसी क्षेत्र में स्थित हैं। गोरुमहिषनी, सुलीपाट और बादाम पहाड़। खारखाई डैम और निकट ही ब्लैक टाइगर के लिये मशहूर सिमिलीपाल टाइगर रिजर्व।

कभी रायरंगपुर रायरंगपुर गढ़ के नाम से जाना जाता था। इस गढ़ के स्वामी थे राजा माधवदास महापात्र। महाराज कृष्णचन्द्र भंजदेव के राजकाल में रायरंगपुर गढ़ मयूरभंज स्टेट में विलीन हो गया। सन् 1960 में नोटीफाईड होने के बाद सन् 2014 में यह 15 वार्डों की नगरपालिका के रूप में अस्तित्व में आया। 72 प्रतिशत साक्षरता के रायरंगपुर में बड़े कल-कारखाने नहीं हैं, लिहाजा प्रदूषण अत्यल्प नहीं है। कभी यहां साल के तेल का संयंत्र लगा था, जो कब का बंद हो चुका है। यह पूरा इलाका धान की खेती के लिए जाना जाता है। छाऊ मयूरभंज का प्रसिद्ध लोकनृत्य है और रथयात्रा प्रमुख पर्व।

कहने को रायरंगपुर ओडिशा में है, किन्तु उसकी नजदीकी ओडिशा के मुकाबले झारखंड से ज्यादा है। भुवनेश्वर यहां से 287 किमी है, जबकि जमशेदपुर फकत 73 किमी। बारिपदा की दूरी यहां से 82 किमी है। द्रौपदी मुर्मू सदी के शुरू में रायरंगपुर से एमएलए चुनी गयी थीं। रायरंगपुर के मतदाताओं ने जनता दल, बीजू जनता दल, कांग्रेस, बीजेपी सबको समभाव से वरा है : शैब सुशील कुमार हंसदा, श्याम चरण हंसदा, लक्ष्मण माझी, चैतन्य प्रसाद माझी, द्रौपदी मुर्मू, भवेन्द्रनाथ माझी, सिद्धलाल माझी और अर्जुन माझी। रायरंगपुर मयूरभंज संसदीय क्षेत्र में समाहित है। संप्रति, भगवा रंग में रंगा हुआ।
मुझे पांच-छह वर्ष पूर्व की वह शाम याद है, जब मैं न्यू ईयर इव पर रायरंगपुर में मौजूद था और वहां मैंने नये साल का जश्न मनाया था।

स्वाद की नगरी है रायरंगपुर। स्वादिष्ट नमकीन और मिष्टान्न। नुक्कड की चाय। सुस्वादु मूडी। मिठाइयां। यहां की मछलियों में गजब का स्वाद है। यदि आप सामिष व्यंजनों के शौकीन हैं, तो मत्स्याहार न भूलें।

पुराने ढब के होटल में सामिष भोजन पुरलुत्फ हुआ करता है। सौरव पटनायक ‘समाज’ के जरिए रायरंगपुर की खबरें दुनिया में प्रसारते रहते हैं। प्रकाश पात्रा मुंबई जाकर भी रायरंगपुर को भूल नहीं पाते।

राजेंद्र मिश्र के जरिए इसकी ख्याति साहित्य अकादेमी, दिल्ली तक पहुंची है और अब तो सारी दुनिया रायरंगपुर को जान गयी है, जो एक छोटा लेकिन खूबसूरत और धड़कता हुआ शहर है।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button