हनुमान जी क्यों लगाते पूरे शरीर पर सिंदूर, जानें ये रोचक कथा

हनुमान जी के भक्त पूरे संसार में हैं. सिंदूर वाले हनुमान जी की पूजा भी खासतौर पर की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी के पूरे शरीर पर सिंदूर लगाने का क्या महत्व है और बजरंगबली ने सबसे पहले अपने शरीर पर कब सिंदूर लगाया था और क्यों सिंदूर लगाया था. हम आपको ये पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं. इस कथा में भगवान राम, माता सीता और नारद जी के साथ हनुमान जी भी हैं. वैसे तो ये शरारत की तरह शुरू हुआ है लेकिन फिर कैसे उनकी भक्ति ने इस सिंदूर की शक्ति को भी बढ़ा दिया आइए ये सब भी जानते हैं.

हनुमान जी के सिंदूर लगाने की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार अयोध्या में भगवान राम का राज्याभिषेक हो चुका था और समस्त अयोध्या वासी राम राज्य का सुख भोग रहे थे. हनुमान जी भी भगवान राम की सेवा में सदैव उपस्थित रहते थे. एक दिन नारद मुनि ने एक चतुराई भरी योजना बनाई. उन्होंने सीता माता से कहा कि वह अपने मांगलिक सिंदूर को हनुमान जी को उपहार स्वरूप दें.

सीता माता ने नारद जी की बात मानी और हनुमान जी को सिंदूर दे दिया. हनुमान जी ने जब सीता माता से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि यह सिंदूर भगवान राम की लंबी उम्र के लिए है. हनुमान जी ने सोचा कि यदि थोड़ा सा सिंदूर भगवान राम की आयु बढ़ा सकता है, तो पूरी तरह से सिंदूर में डूब जाने से भगवान की उम्र और भी लंबी हो जाएगी.

हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर दरबार में प्रवेश किया, जिससे दरबार में सभी लोग हंसने लगे. भगवान राम ने जब इसका कारण पूछा तो हनुमान जी ने अपनी भक्ति से जुड़ी बात बताई. हनुमान जी की भक्ति से भगवान राम बेहद प्रसन्न हुए, लेकिन नारद मुनि की योजना के अनुसार, उन्होंने एक गंभीर स्वर में हनुमान जी को मृत्यु दंड सुनाया.

हनुमान जी ने भगवान राम की आज्ञा का पालन करने का निश्चय किया, लेकिन वे जानते थे कि श्रीराम केवल उनकी परीक्षा ले रहे हैं. हनुमान जी ने उस दंड को भगवान राम की कृपा मानकर सिर झुका लिया. भगवान राम ने हनुमान जी की अपार भक्ति और समर्पण को देखकर उनकी मृत्यु का दंड तुरंत वापस ले लिया और उन्हें अमरत्व का वरदान दिया.

इस कथा से यह सिद्ध होता है कि भगवान राम और हनुमान जी का रिश्ता केवल भगवान और भक्त का नहीं था, बल्कि उसमें एक गहन प्रेम और श्रद्धा का भाव समाहित था. हनुमान जी की भक्ति से प्रेरित होकर भगवान राम ने न केवल उन्हें मृत्यु दंड से मुक्त किया, बल्कि उन्हें अमरत्व का वरदान भी दिया.

India Edge News Desk

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