चौरागढ़ मंदिर के लिए 400 करोड़ की लागत से बनेगा रोपवे, मंत्री गडकरी ने रोपवे एवं वाहन पार्किंग को दी मंजूरी

पचमढ़ी
हिल स्टेशन पचमढ़ी के चौरागढ़ मंदिर जाने वाले लाखों श्रद्धालुओं का सफर जल्द आसान होने वाला है. चौरागढ़ के लिए घंटों की यात्रा मिनटों में पूरी करने के लिए 400 करोड़ की लागत से रोपवे बनाया जाएगा. रोपवे बनने से श्रद्धालुओं को 1360 सीढ़ियां पैदल चढ़नी नहीं पड़ेंगी.

शिवरात्रि सहित आम दिनों में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए चौरागढ़ आते हैं. खासतौर पर महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. लेकिन ऊंची पहाड़ी चढ़ने के कारण कई भक्तों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

नितिन गडकरी ने दी मंजूरी

नर्मदापुरम-नरसिंहपुर क्षेत्र के सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने बताया "केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नर्मदापुरम जिले में पचमढ़ी के चौरागढ़ महादेव मंदिर जाने के लिए 400 करोड़ की लागत से रोपवे एवं वाहन पार्किंग को मंजूरी दे दी है. पर्यटन का विकास हमारी प्राथमिकता है."

सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने रोपवे निर्माण के लिए स्वीकृति देने पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार जताया है. सांसद ने बताया कि इसके अलावा पिपरिया से सटे अनहोनी वन क्षेत्र को पिकनिक स्पॉट में बदलने की योजना पर भी काम किया जाएगा. इन विकास कार्यों से पचमढ़ी में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी इससे मजबूती मिलेगी.

शिवरात्रि पर आते हैं एक लाख से अधिक श्रद्धालु

पचमढ़ी नगर से करीब 12 किमी दूर सतपुड़ा के घने जंगल के बीच चौरागढ़ पर्वत है. यहां शिवरात्रि पर 6 दिनों तक का विशाल मेला लगता है, जिसमें प्रतिदिन 50 से 80 हजार तक श्रद्धालु आते हैं. शिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की संख्या 1 लाख पार कर जाती है. आम दिनों में भी बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं.

त्रिशूल चढ़ाने का खास महत्व

चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढ़ाने का खास महत्व है. मान्यता है कि चोरा बाबा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए थे. उस समय भगवान शिव अपना त्रिशूल इसी स्थान पर छोड़ कर चले गए थे. इसी मान्यता के तहत भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर त्रिशूल चढ़ाते हैं. एक किवदंती ये भी प्रचलित है कि भगवान महादेव ने भस्मासुर से बचने के लिए इसी पहाड़ी में शरण ली थी.

लंबे समय से की जा रही थी मांग

स्थानीय लोगों द्वारा लंबे समय से पचमढ़ी-चौरागढ़ रोपवे निर्माण की मांग की जा रही थी. करीब 10 वर्ष पूर्व रोपवे लगाने का सर्वे भी हुआ था लेकिन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में रोपवे निर्माण की अनुमति नहीं मिलने से मामला ठंडा पड़ गया था.

India Edge News Desk

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