ट्रंप के कारण फेल होती दिख रही रूस-यूक्रेन शांति वार्ता, पुतिन ने बनाई दूरी

अंकारा

 व्लादिमीर पुतिन ने जब हाल ही में तुर्की में वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ शांति वार्ता में शामिल होने पर अपनी सहमति दी तो दुनिया को लगा कि रूस और यूक्रेन के बीच वर्षों से जारी संघर्ष का अंत हो सकता है। लेकिन अब जो खबर सामने आ रही है वह परेशान करने वाली है। कहा जा रहा है कि पुतिन ने तुर्की में प्रस्तावित यूक्रेन-रूस शांति वार्ता में फिलहाल शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है। वहीं, जेलेंस्की ने भी अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा है कि जब तक पुतिन नहीं आते हैं तो वह भी इस वार्ता में शामिल नहीं होंगे। पुतिन के इस निर्णय के पीछे मुख्य वजह यह मानी जा रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस वार्ता में शामिल होने की कोशिश कर रहे थे। अगर दोनों देशों के बीच सहमति बनती है तो वह इसका श्रेय लेने की कोशिश करते।

सूत्रों का मानना है कि पुतिन ट्रंप को कूटनीतिक स्तर पर किसी भी तरह की बढ़त नहीं देना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने न केवल खुद को इस वार्ता से दूर रखा, बल्कि अपने वरिष्ठ राजनयिकों को भी वार्ता में शामिल नहीं होने दिया। हालांकि, डिप्टी स्तर के कुछ मंत्रियों और अधिकारियों को जरूर भेजने की बात कही है।

14 मई को क्रेमलिन द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, रूस ने शांति वार्ता के लिए अपने प्रतिनिधिमंडल की सूची जारी कर दी है। इसमें ना तो पुतिन शामिल हो रहे हैं और ना ही विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव। रूसे ने किसी वरिष्ठ अधिकारी को भी इसमें भेजना का फैसला टाल दिया है। हालांकि एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की बात जरूर कही है। जिसमें राष्ट्रपति के सलाहकार और प्रचार रणनीतिकार व्लादिमीर मेडिंस्की, उप विदेश मंत्री मिखाइल गैलुजिन, सैन्य खुफिया प्रमुख इगोर कोस्त्युकोव और उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन शामिल होंगे।

पुतिन के अलावा किसी से बात नहीं करेंगे जेलेंस्की

पुतिन के इस फैसल पर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने तुर्की में व्लादिमीर पुतिन के साथ संभावित बैठक से पहले यह कहकर दांव बढ़ा दिया कि वह राष्ट्रपति के अलावा किसी अन्य रूसी प्रतिनिधि से बातचीत नहीं करेंगे। जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पुतिन से मिलने के आग्रह के बाद ही तुर्की की यात्रा करेंगे। सीएनएन ने जब उनसे बैठक के एजेंडे के बारे में पूछा तो जेलेंस्की ने कहा कि युद्धविराम समझौते के अलावा कुछ भी विफल ही साबित होगा। ऐसे में अगर दोनों देशों के प्रमुख के बगैर यह वार्ता होती भी है तो इसका खास संदेश नहीं जाएगा।

यह भी एक कारण

हालांकि एक तर्क भी दिया जा रहा है कि पुतिन द्वारा स्वयं को वार्ता से दूर रखना इस बात का संकेत हो सकता है कि रूस फिलहाल वार्ता को केवल एक औपचारिक प्रक्रिया के रूप में देख रहा है, ना कि वास्तविक समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम है।

2022 वाली वार्ता फिर से होगी शुरू?

पुतिन ने युद्ध विराम के आह्वान को अस्वीकार करा और युद्ध विराम लागू होने से पहले शांति वार्ता शुरू करने पर दोर दिया है. वहीं जवाब में, ज़ेलेंस्की ने कहा है कि वह शांति वार्ता के लिए तुर्की जाएंगे और उन्होंने पुतिन को वहां मिलने के लिए आमंत्रित किया है. लेकिन पुतिन आज तुर्की नहीं जा रहे हैं.

रूस ने कहा है कि 15 मई की वार्ता, फरवरी 2022 में यूक्रेन के खिलाफ रूस के पूर्ण पैमाने पर युद्ध की शुरुआत के समय तुर्की में आयोजित 2022 शांति वार्ता की बहाली होगी. जिससे अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रभाव की वजह से यूक्रेन पीछे हट गया था.
क्या थी 2022 की डील?

लीक हुए 2022 शांति मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक दोनों पक्ष क्रीमिया को संधि से बाहर करने पर सहमत हुए, जिससे वह रूसी कब्जे में रहेगा और यूक्रेन उस पर रूसी संप्रभुता को मान्यता नहीं देगा.

अन्य रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों की स्थिति का निर्णय बाद में राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की और पुतिन के बीच होने वाली वार्ता में किया जाना था. इस संधि के तहत यूक्रेन कथित तौर पर नाटो या किसी अन्य सैन्य गठबंधन में शामिल होने की आकांक्षाओं को त्याग देगा, लेकिन यूरोपीय संघ में प्रवेश की अनुमति देगा. रूस ने सभी प्रतिबंधों को हटाने, कीव के भाषा और राष्ट्रीय पहचान से संबंधित कानूनों को निरस्त करने और यूक्रेन की सशस्त्र सेनाओं को सीमित करने की भी मांग की थी.

India Edge News Desk

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