ओंकारेश्वर नगर में सनातन का नया सूर्य उदय, आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण
ओंकारेश्वर: गुरुवार को भारत की धरती पर मानो दो सूरज उग आए. एक सूर्य आकाश में उदित हुआ और दूसरा, सनातन नव सूर्य, मध्य प्रदेश में स्थित ज्योतिर्लिंग नगर ओंकारेश्वर में उदित हुआ।

खंडवा: गुरुवार को भारत की धरती पर मानो दो सूरज उग आए. एक सूर्य आकाश में उदित हुआ और दूसरा, सनातन नव सूर्य, मध्य प्रदेश में स्थित ज्योतिर्लिंग नगर ओंकारेश्वर में उदित हुआ। यहां मां नर्मदा के तट पर स्थित मांधाता पर्वत पर आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देशभर से आमंत्रित हजारों साधु-संतों, संन्यासियों और विद्वानों की मौजूदगी में वेद मंत्रों के उच्चारण के बीच यज्ञ किया और आदि गुरु की पूजा की |
आचार्यों ने मंत्रोच्चारण के साथ पंचायतन पूजन कराया
इसके बाद मूर्ति का अनावरण हुआ और आदि गुरु शंकराचार्य के जयकारे से ओंकार धारा गूंज उठी। उपस्थित सभी लोगों ने पुष्प वर्षा की और उसी समय संयोगवश बादलों से वर्षा होने लगी। ऐसा लग रहा था मानों स्वर्ग लोक से देवता भी बूंदों के रूप में अपनी पुष्पांजलि अर्पित कर रहे हों और प्रकृति भी आदि गुरु शंकराचार्य का जलाभिषेक कर रही हो।
बारिश के बीच भी संत और श्रद्धालु आदि गुरु की प्रतिमा को निहारते रहे और उन्हें नमन करते रहे
एकता का संदेश देती चारों वेदों की पवित्र ध्वनि से मांधाता पर्वत गूंज उठा। आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के दौरान चारों वेदों की ऋचाओं का पाठ किया गया. जब 101 विद्वान आचार्यों और उनके शिष्यों ने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की 11 विभिन्न शाखाओं की ऋचाओं का पाठ किया तो ओंकार नगरी का मान्धाता पर्वत अभिभूत हो उठा।
मुख्यमंत्री को मिठाई खिलाकर बधाई दी
याद कीजिए, काशी, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक के कुंभ प्रतिमा के अनावरण के समय जब हजारों साधु-संतों, संन्यासियों, विद्वानों और आम लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आदि शंकराचार्य की जय-जयकार की थी, तब कुंभ काशी, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित मूर्तियों का स्मरण किया गया। कुम्भ-सिंहस्थ जैसा दृश्य निर्मित हो गया। ओंकार पर्वत के चारों ओर भगवा वस्त्रधारी साधु-संन्यासी और धार्मिक लोग ही दिखाई दे रहे थे। साधु-संत इतने अभिभूत दिखे कि उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से सवाल पूछ लियाचौहान को इस मंगल कार्य के लिए हृदय से धन्यवाद दिया और मिष्ठान खिलाकर बधाई व आशीर्वाद दिए।
इतनी विशाल है प्रतिमा
आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा 108 फीट ऊंची है। यह मूर्ति 11 वर्ष की आयु के एक जिज्ञासु बालक के रूप में है। यह मूर्ति 25000 पंचायतों से एकत्रित की गई है।
सभी विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये
सभी विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये, पद्मश्री डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम ने नृत्य के माध्यम से आराधना की, जबकि अन्य समूहों ने शिवोहम नाटक के माध्यम से आचार्य शंकर के अद्वैत सिद्धांत को समझाया। इसी सत्र में विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए ओंकारेश्वर में शंकर प्रतिमा के अनावरण एवं भविष्य के अद्वैत वन को भारत की सांस्कृतिक चेतना में एक नया अध्याय बताया।
ये साधु संत हुये शामिल
इन संतों से सुशोभित हुआ समारोह आयोजन में जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, गोकर्ण पीठाधीश्वर महामंडेलश्वर कपिल महाराज, सद्गुरु चारुदत्त प्रभाकर पिंगले, अरुण गिरि अवधूत, स्वामी चिद़्प्रकाशानंद, स्वामी चिदंबरानंद महाराज, स्वामी चिदरूपानंद, स्वामी जितेंद्रानंद, स्वामी नानानंद तीर्थ महाराज, महामंडलेश्वर ज्ञानीपुरी महाराज, ज्योर्तिमयानंद सरस्वती, परमानंद सरस्वती महाराज, यतीन्द्रानंद गिरि महाराज व आदि गुरु शंकराचार्य के परिवारजन शंकरनारायणन नंबूदरीपाद, केप्पिली उन्नीकृष्ण नंबूदरी की उपस्थिति से सुशोभित हुआ। विद्वतजनों में पद्मभूषण विश्वमोहन भट्ट, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सुरेश भय्याजी जोशी, सुरेश सोनी सहित कई महानुभाव उपस्थित रहे।