वैज्ञानिकों ने एक अजीब घटना की खोज, समुद्र ताल में सूरज की रौशनी के बगैर बन रही ऑक्सीजन

वॉशिंगटन
वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र में 'डार्क ऑक्सीजन' की खोज की है। रिसर्च कहती है कि प्रशांत महासागर के निचले भाग में बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन पंप कर रही है। ये इतनी गहराई ज्यादा में है कि यहां सूरज की रोशनी का ना होना फोटोसिंथेसिस (प्रकाश संश्लेषण) को असंभव बना देता है। नेचर जियोसाइंस पत्रिका में सोमवार को पब्लिश इस रिसर्च में पाया गया कि समुद्र की सतह से करीब 4,000 मीटर (13,100 फीट) नीचे पूर्ण अंधेरे में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, इसे डार्क ऑक्सीजन का नाम दिया गया है। वैज्ञानिक मानते रहे हैं कि बिना सूरज की रोशनी के ऑक्सीजन नहीं बन सकती है। ऐसे में इस खोज ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है क्योंकि यह प्रकाश संश्लेषण के जरिए ऑक्सीजन के पैदा होने की समझ को चुनौती देती है।

डार्क ऑक्सीजन के बारे में नेचर जियोसाइंस पत्रिका में पब्लिश रिसर्च कहती है कि इतनी गहराई पर ऑक्सीजन का उत्पादन असंभव माना जाता है क्योंकि यहां पौधों के लिए प्रकाश संश्लेषण करने के लिए पर्याप्त सूर्य का प्रकाश नहीं होता है। इस खोज को इतना अजीब बनाती है, वह यह है कि यहां ऑक्सीजन पौधें नहीं बना रहे हैं। रिसर्च के सहलेखक एंड्रयू स्वीटमैन का कहना है कि इस रिसर्च से पता चलता है कि हमारे ग्रह पर ऑक्सीजन का प्रकाश संश्लेषण के अलावा भी एक और स्रोत है। वह कहते हैं कि इससे पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत को लेकर भी एक नई बहस छिड़ सकती है।
रिसर्च से खड़े हो गए हैं कई नए सवाल

रिसर्च में कहा गया है कि ऑक्सीजन धातु के 'नोड्यूल्स' से निकलती है जो कोयले के ढेर के समान होते हैं। वे H2O अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बांटते हैं। रिसर्च के सहलेखक एंड्रयू स्वीटमैन का कहना है कि ग्रह पर एरोबिक जीवन की शुरुआत के लिए ऑक्सीजन होना जरूरी था। हमारी समझ यह रही है कि पृथ्वी की ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रकाश संश्लेषक जीवों से शुरू हुई। अब नई रिसर्च कहती है कि गहरे समुद्र में ऑक्सीजन बन रही है, जहां कोई रोशनी नहीं है। अब इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है कि जीवन की शुरुआत कहां से हुई। उन्होंने कहा कि ये इसलिए भी चौंकाती है क्योंकि महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन के अनुसार पृथ्वी की आधी ऑक्सीजन समुद्र से आती है।

स्वीटमैन ने कहा कि 2013 में फील्डवर्क के दौरान एक ऐसी ही घटना देखी गई थी। उस समय शोधकर्ता क्लेरियन क्लिपर्टन समुद्र तल के पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन कर रहे थे। मुझे इसे याद करते हुए अचानक एहसास हुआ कि आठ साल से मैं समुद्र तल पर 4,000 मीटर नीचे आश्चर्यजनक नई प्रक्रिया को अनदेखा कर रहा था।

ओडेंस में यूनिवर्सिटी ऑफ़ सदर्न डेनमार्क के बायोजियोकेमिस्ट डोनाल्ड कैनफील्ड ने कहा कि उन्हें यह ओवरव्यू आकर्षक लगा है लेकिन यह निराशाजनक भी है क्योंकि यह बहुत सारे सवाल तो उठाता है लेकिन जवाब एक भी नहीं देता है।

जीवन की उत्पत्ति

स्वीटमैन ने बताया कि समुद्र तल पर ऑक्सीजन उत्पादन को समझने से जीवन की उत्पत्ति के बारे में जानकारी मिल सकती है। उन्होंने कहा कि जीवन गहरे समुद्र में हाइड्रोथर्मल वेंट पर विकसित हुआ हो सकता है। सीएनएन ने उनके हवाले से कहा कि यह पता लगाना कि समुद्री जल इलेक्ट्रोलिसिस गहरे समुद्र में ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकता है, इस बारे में नए दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है कि पृथ्वी पर जीवन कैसे शुरू हुआ।

उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह किसी अद्भुत चीज की शुरुआत होगी।"

डार्क ऑक्सीजन

यह अच्छी तरह से स्थापित है कि हरे पौधे, शैवाल और प्लवक जैसे जीव प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया का उपयोग करके ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए सूर्य के प्रकाश का उपयोग करते हैं। यह उत्पादित ऑक्सीजन ही ग्रह पर मनुष्यों सहित कई जीवों का जीवन-स्रोत बन जाती है। ऐसे मामलों में जहां प्रकाश संश्लेषक जीव समुद्र के अंदर मौजूद होते हैं, इस प्रकार उत्पादित ऑक्सीजन समुद्र की गहराई में चक्रित होती है।

गहरे समुद्र में किए गए पहले के अध्ययनों से पता चला है कि वहां के जीव ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं करते हैं। वे केवल उसका उपभोग करते हैं।

हालांकि, एंड्रयू स्वीटमैन और उनकी टीम द्वारा प्राप्त परिणाम अलग थे क्योंकि उन्होंने इस विश्वास को चुनौती दी थी। उन्होंने जो खोजा वह प्रकाश संश्लेषण के बिना ऑक्सीजन के उत्पादन की संभावना थी। समुद्री वैज्ञानिक ने आगे कहा कि इस तरह के अप्रत्याशित निष्कर्षों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।

इसके अतिरिक्त, समुद्र वैज्ञानिक ने कहा कि ऑक्सीजन के उत्पादन को समझना महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि इससे ग्रह पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में जानकारी मिल सकती है।

India Edge News Desk

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