सेबी ने अडानी ग्रुप की छह कंपनियों को भेजा कारण बताओ नोटिस, जानिए क्या हैं आरोप

नई दिल्ली
 अडानी ग्रुप (Adani Group) की छह कंपनियों को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इन कंपनियों पर संबंधित पक्ष लेनदेन के कथित उल्लंघन, लिस्टिंग नियमों का पालन न करने और ऑडिटर सर्टिफिकेट्स की वैधता के संबंध में आरोप हैं। इन कंपनियों ने स्टॉक एक्सचेंजेज को दी गई रेगुलेटरी फाइलिंग में यह जानकारी दी है। भारत और एशिया के दूसरे सबसे बड़े रईस गौतम अडानी की अगुवाई वाले इस ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) ने गुरुवार को कहा कि उसे 31 मार्च को समाप्त तिमाही में दो कारण बताओ नोटिस मिले हैं। साथ ही ग्रुप की अन्य कंपनियों अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडानी पावर, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस, अडानी विल्मर और अडानी टोटल गैस को भी कारण बताओ नोटिस मिले हैं।

इन कंपनियों का कहना है कि उन्हें जो कानूनी राय मिली है, उसके मुताबिक सेबी के नोटिस का उन पर कोई असर होने की संभावना नहीं है। हालांकि, अडानी विल्मर और अडानी टोटल गैस को छोड़कर बाकी सभी कंपनियों के ऑडिटर्स ने एक क्वालीफाइड ओपिनियन जारी किया है। इसके मुताबिक सेबी की जांच के नतीजे भविष्य में इन कंपनियों के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स को प्रभावित कर सकते हैं। ये नोटिस अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों पर सेबी की जांच के बाद जारी किए गए। कारण बताओ नोटिस कोई अभियोग नहीं है। सेबी ने इन कंपनियों से पूछा है कि क्यों उनके खिलाफ मॉनिटरी और कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए?

अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड ने बताया कि आरोप है कि कंपनी ने अपेक्षित मंजूरी नहीं ली है और वित्तीय विवरणों/वार्षिक रिपोर्ट में अपेक्षित खुलासा नहीं किया है। समाप्त किए गए अनुबंधों के लिए सुरक्षा जमा को वापस नहीं लेने के कारण कंपनी के मुख्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए धन का उपयोग नहीं किया गया और इस प्रकार कंपनी की आचार संहिता का अनुपालन नहीं किया गया। अडानी पावर ने कहा कि उसने सेबी के नोटिस का जवाब दे दिया है। सेबी ने कंपनी पर आरोप लगाया है कि कुछ लेन-देन को संबंधित वर्षों के वित्तीय विवरणों में रिपोर्ट नहीं किया गया था और ऐसे लेन-देन के लिए अपेक्षित मंजूरी नहीं ली गई थी।

सेबी ने अगस्त में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसने 13 रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन की पहचान की है, जिसकी जांच की जा रही है। जनवरी 2023 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में 6,000 से अधिक संबंधित पक्ष लेनदेन पर सवाल उठाए थे। इसके बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। हालांकि ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया था। हाल के दिनों में ग्रुप के शेयरों में तेजी आई है और उसने हिंडनबर्ग ग्रुप की रिपोर्ट के कारण हुए अधिकांश नुकसान की भरपाई कर ली है। अडानी अभी 99.1 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 13वें नंबर पर हैं। इस साल उनकी नेटवर्थ 14.8 अरब डॉलर की तेजी आई है।

 

India Edge News Desk

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