एसएस कॉलेज में बौद्धिक संपदा अधिकार के वैधानिक पक्ष पर संगोष्ठी का आयोजन

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

शाहजहांपुर : एसएस कॉलेज के वाणिज्य विभाग में बौद्धिक संपदा अधिकार के वैधानिक पक्ष पर दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष डा अनुराग अग्रवाल और मुख्य अतिथि ने स्वामी शुकदेवानंद सरस्वती जी के चित्र पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलित करके किया । सेमिनार में बोलते हुए मुख्य वक्ता, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के डॉ मनीष कुमार ने कहा की बौद्धिक क्षमता के द्वारा जो नवीन खोज की जाती है उसे बौद्धिक संपदा कहते हैं। इस संपदा पर खोजकर्ता का अधिकार होता है। कोई अन्य उसके अविष्कार का दुरुपयोग या नकल न कर सके इसके लिए कानून बनाया गया है। इस कानून के अनुसार खोज करने वाले विद्वान को अपनी खोज को पेटेंट कराने का तथा उसके प्रयोग पर रॉयल्टी लेने का अधिकार होता है। मुख्य अतिथि दयानंद महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय कानपुर की प्राचार्य प्रोफेसर रत्ना गुप्ता ने कहा की भारत प्राचीन काल से ही बौद्धिक संपदा की दृष्टि सेअत्यंत सम्पन्न है । भारतीयों ने ही चिकित्सा की आयुर्वेदिक पद्धति खोजी थी। आयुर्वेद में प्रयोग किए जाने वाले अनेक घरेलू जड़ी- बूटियों जैसे तुलसी, हल्दी, पीपल आदि का पेटेंट अमेरिका ने करा लिया था जो बौद्धिक संपदा कानून के अंतर्गत भारत को वापस प्राप्त हुआ । यह कानून किसी देश को अपनी खोजों को सुरक्षित रखने तथा उससे आय अर्जित करने का अधिकार देता है। विशिष्ट अतिथि जनपद की वरिष्ठ अधिवक्ता रिचा सक्सेना ने कहा कि कानून कार्य करने का अधिकार देता है और अधिकार की सीमाओं को निश्चित करता है। आज अनेक वैज्ञानिक और विद्वान नए-नए आविष्कार कर रहे हैं । उनके द्वारा किए गए आविष्कार को कोई चुरा कर प्रयोग न कर सके अथवा उसकी नकल न कर सके इसके लिए बौद्धिक संपदा अधिकार का कानून बनाया गया है जो राष्ट्र के अंदर आंतरिक कानून के रूप में और राष्ट्रों के बीच अंतरराष्ट्रीय कानून के रूप में लागू है । इस कानून के अनुसार आविष्कारक को अपने आविष्कार का पंजीकरण कराने अथवा पेटेंट कराने का अधिकार है ।यदि कोई व्यक्ति उनके आविष्कार की नकल करता है तो वह गैर कानूनी होता है। यदि कोई व्यक्ति उसकी अनुमति से खोजी गई तकनीकी का प्रयोग करता है तो उसे उसके लिए अधिकार शुल्क देना होता है। इससे पूर्व सेमिनार के प्रारंभ में बी कॉम फाइनेंस की छात्रा सौम्या गोयल , निधि गौतम , पलक गुप्ता, गुनगुन सिंह आदि ने चंदन तिलक एवं पुष्प गुच्छ से अतिथियों का स्वागत किया इस अवसर पर डी एल एड विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अभिषेक बाजपेई द्वारा लिखित शोधपत्र का विमोचन भी किया गया। डा रूपक श्रीवास्तव के संचालन में संपन्न हुए सेमिनार में के अंत में संयोजक डॉ देवेंद्र सिंह ने सभी का आभार ज्ञापित किया । आयोजन में डा संतोष प्रताप सिंह, डा अजय वर्मा ,डा जागृति गुप्ता , डा विजय तिवारी, डा के के वर्मा,डा डॉ प्रकाश कुमार, अंकुर अवस्थी , मनीष तथा तुषार आदि का विशेष सहयोग रहा ।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

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