फैशन के नाम पर, नग्नता का प्रदर्शन

पिंकी सिंघल

दोस्तों, परिवर्तन जीवन का नियम है। 10 साल पहले जैसे हम थे वैसे अब नहीं हैं और 10 साल बाद भी हम वैसे नहीं रहेंगे जैसे हम आज हैं ।कहने का अर्थ यह है कि समय के साथ-साथ हमारे विचार,खानपान ,शिक्षा, बोलचाल, रहन-सहन एवं पहनने ओढ़ने के तरीकों में बदलाव आता है। समय के अनुसार चलने में ही समझदारी मानी जाती है, यह बात नितांत सही है ।समय के अनुसार स्वयं को ना बदलने वाले लोग अक्सर शिकायती प्रवृत्ति के बन जाते हैं और दुखी रहने लगते हैं।चूंकि वे समय के अनुसार अपने आप को नहीं ढाल सके इस बात की उन्हें खासा परेशानी रहती है और इसी परेशानी के चलते वे किसी अन्य को भी बदलते देखना स्वीकार नहीं कर पाते हैं जिसके कारण उनके विचारों में मतभेद होता है और धीरे-धीरे वह मतभेद मनभेद में परिवर्तित होने लगता है।

बात बदलते समय के अनुसार स्वयं को बदलने तक ही है तो उचित है, किंतु आज की वर्तमान पीढ़ी समय बदलाव की आड़ में अपनी मनमानी करने पर आमादा दिखाई देती है जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि उनकी इस प्रवृत्ति से हमारी संस्कृति और सभ्यता निश्चित रूप से प्रभावित होती है। बढ़ते फैशन की बात की जाए तो फैशन से हमारा तात्पर्य केवल बदलाव से होना चाहिए। किंतु युवा पीढ़ी फैशन के अर्थ को किसी दूसरी दिशा में ले जाकर सोचती है । उनके अनुसार फैशन के नाम पर कुछ भी पहनना ही फैशन है। यह बात सही है कि अपने मन मुताबिक कपड़े पहनना घूमना फिरना खाना पीना रहना सहना हमारे मौलिक अधिकारों में से एक है किंतु, फैशन के नाम पर कुछ भी पहनकर अपने को आधुनिक कहलाना एक सीमा तक ही सही माना जा सकता है।निसंदेह प्रत्येक जनरेशन कुछ बदलावों के साथ आगे आती है, जो कि एक विकासशील समाज की पहचान भी है।

फैशन की इस अंधाधुंध दौड़ में आज की जनरेशन पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति को अपनाने में लगी है।अगर यह कहा जाए कि युवा पीढ़ी भौतिकवादी सभ्यता के पीछे क्रेजी(उन्मादी)हो रही है तो कोई अतिशयोक्ति ना होगी ।फैशन के नाम पर अंग प्रदर्शन करना एवं इस प्रकार के वस्त्र पहनना जो देखने में अजीब लगें एवं हम पर बिल्कुल न फब रहे हों, किसी भी दृष्टि से सही नहीं कहे जा सकते। अब बात यह उठेगी कि वस्त्रों के अजीब लगने का क्या मापदंड या क्राइटेरिया है ।हो सकता है किसी एक को एक पहनावा अजीब लगता हो वहीं दूसरी ओर,वही पहनावा किसी अन्य के लिए सामान्य हो। हां, यह बिल्कुल सही है ,ऐसा हो सकता है ।परंतु एक आयु के पश्चात प्रत्येक व्यक्ति को इस बात की समझ आ ही जाती है कि जो वस्त्र उसने पहने हैं वे वाकई में उस पर फब भी रहे हैं अथवा नहीं ,अथवा कहीं उसने कुछ ऐसे वस्त्र तो धारण नहीं कर लिए हैं जो फैशन के नाम पर सिर्फ़ नग्नता का ही प्रदर्शन कर रहे हैं।

उन्नति ,प्रगति, विकास और आगे बढ़ने से तात्पर्य यह कदापि नहीं होता कि हम फैशन को अपना मोहरा बनाएं और कुछ भी ऐसा पहनावा धारण करें जो एक सभ्य समाज में पहनने लायक ना होता हो ।यहां इस बात पर कुछ लोगों का यह तर्क होगा कि कमी कभी हमारे वस्त्रों में नहीं होती ,अपितु उन लोगों की नजरों में होती है जो उन वस्तुओं पर भद्दे कमेंट करते हैं। काफी हद तक यह बात सही है किंतु बात जब हमारे संस्कारों की आती है तो हमें यह सोचना और समझना चाहिए कि अश्लीलता का प्रदर्शन करने वाले कपड़े कभी भी किसी के लिए स्टाइलिश नहीं कहे जा सकते। बात यहां स्त्री या पुरुष की बिलकुल नहीं है ।जिन वस्त्रों को पहनकर हम असहज महसूस करें वे वस्त्र हमारे लिए कदापि पहनावे योग्य नहीं हो सकते ।जिन वस्त्रों को धारण करने के पश्चात हमारे मन में संशय और डर की स्थिति बनी रहे उन्हें पहनने की आखिर आवश्यकता ही क्यों है।हम जो भी पहने सबसे पहले वह हमें स्वयं को हर दृष्टि से उचित एवं आरामदेह लगने चाहिएं, उसके पश्चात ही हमें दूसरों की दृष्टि से अपने पहनावे का विश्लेषण करना चाहिए।यहां यह बात स्पष्ट कर देनी भी अत्यंत आवश्यक है कि हम हर चीज के लिए समाज के दूसरे लोगों की सोच पर निर्भर नहीं कर सकते और ना ही हमें यह करने की आवश्यकता है, क्योंकि वही बात है कि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना, परंतु कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके लिए जब तक हमारा दिल और दिमाग गवाही ना दें हमें उन चीजों पर अमल नहीं करना चाहिए ।यह सत्य है कि हम जो भी कार्य करते हैं हमारी अंतरात्मा सबसे पहले हमें बताती है कि क्या ऐसा करना हमारे लिए सही है अथवा नहीं।खुद को सौम्य,सुंदर, आकर्षक एवं सुरक्षित महसूस कराने के लिए ही वस्त्रों का धारण किया जाता है इसमें संदेह नहीं ,किंतु यदि हमारे वही वस्त्र हमें असुरक्षा के घेरे में लाकर खड़ा कर दें, तो हमें अपने पहनावे पर गौर फरमाने की आवश्यकता है।

वर्तमान युग में कुछ लोग बढ़ते फैशन के चलते अपने संस्कारों की तिलांजलि देने से भी पीछे नहीं हटते।अपने माता पिता अथवा पुरानी पीढ़ी को दकियानूसी सोच का टैग लगाने वाला यह वर्ग अपनी मनमानी कर कुछ भी पहनने के लिए तैयार रहता है क्योंकि उनके अनुसार तन पर जितने कम वस्त्र होंगें,उतने ही वे अधिक आधुनिक कहलाएंगे।अर्थात आधुनिक दिखने की उनकी इस चाह में अपने बदन को दूसरों की निगाहों का निशाना बनते देखने में वे तनिक भी असहज महसूस नहीं करते। वहीं दूसरी तरफ जब उनके माता-पिता अथवा अभिभावक उन्हें समझाते हैं कि तन पर फबने वाले कपड़े ही पहनने चाहिएं तो वे पलटकर उनको जवाब देने से भी नहीं चूकते,अपितु उनका विरोध भी करते हैं और कभी-कभी तो स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि वे अपने बड़े बुजुर्गों की आयु तक का ख्याल नहीं रखते और उनकी हर बात को काटना शुरू कर देते हैं।कभी-कभी कुछ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने से भी उन्हें गुरेज नहीं होता क्योंकि वे हर कीमत पर सिर्फ और सिर्फ अपनी इच्छाओं को पूरा करना चाहते हैं बिना यह सोचे कि उनके बड़े अपने अनुभवों के आधार पर ही उन्हें समझा रहे हैं ,उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।

कभी-कभी बदलते फैशन के साथ-साथ सोच भी बदलने लगती है व चीजों और रिश्तों के प्रति लोगों का नजरिया भी बदलने लगता है ।यह बदलाव अगर अच्छे के लिए हो, अपनों को करीब लाने या उनके करीब जाने के लिए हो ,चीजों में सुधार लाने के लिए हो तो कोई परेशानी नहीं, किंतु ,यदि यह बदलाव अपनों से अपनों को दूर करने लगे,संबंधों में खटास पैदा करने लगे और मनों में दूरियां उत्पन्न करने लगे तो इस दिशा में सोचने की अत्यंत आवश्यकता है।

फैशन और संस्कारों की जब बात चल ही रही है तो इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि बढ़ते फैशन के हिसाब से खुद को चलाने के लिए लोग अक्सर गलत आदतों का शिकार भी होते देखे गए हैं ।अपनी पहुंच के बाहर बाजार में बिकने वाली चीजों के प्रति आकर्षण का पैदा होना स्वाभाविक है ,किंतु यदि जेब में इतने पैसे ना हों कि अपने मन मुताबिक चीजों को क्रय किया जा सके तो मन में असंतोष उत्पन्न होता है ,मानसिक उथल-पुथल होती है और इस उथल-पुथल में कुछ गलत एवं अनैतिक करने की सोच भी स्वत: ही विकसित होती है।

आजकल एक नई बात और ट्रेंड में देखी जा रही है कि पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति के साथ साथ हमारे युवा और या यूं कहें प्रत्येक आयु वर्ग के लोग फिल्मी जगत की हस्तियों को अपना आदर्श मानते हैं और उनके खान पान, रहन सहन , आदतों और पहनावे को ज्यों का त्यों अपनाना फैशन समझते हैं ।फिल्मी जगत और सेलिब्रिटीज के ग्लैमर की चकाचौंध में अंधे होकर वे यह तक भूल जाते हैं कि पर्दे पर दिखाई जाने वाली फिल्मों का वास्तविकता से बहुत ज्यादा लेना देना नहीं होता है ।रियल और रील लाइफ में आकाश पाताल का अंतर होता है।फिल्मी हस्तियां तो केवल मनोरंजन और पैसा कमाने की मंशा से ही रुपहले पर्दे पर छाए रहते हैं ।उनका अंधानुकरण करना मूर्खता ही कहलाएगा ।बिना यह जाने समझे कि दूसरों की हूबहू नकल करने का क्या परिणाम होगा, हमें किसी के पीछे नहीं भागना चाहिए, उनकी नकल नहीं करनी चाहिए ।आप जैसे हैं,सदा वैसे ही रहें क्योंकि आप की मौलिकता एवम स्वाभाविकता ही आप की असली पहचान होती है और उसे गंवाने का अर्थ यह है है कि हम अपने आप से ही दूर होते जा रहे हैं।

अपने मूलभूत संस्कारों से दूरी बनाना भला कहां की समझदारी है। फैशन के नाम पर यदि हमें अपने आप और अपनों से दूरी बनाने पड़े तो इससे दुखद और कुछ नहीं हो सकता अक्सर देखने को मिलता है कि चीज़ों का फैशन हर छोटे अंतराल के बाद बदल जाता है।पुरानी चीजों का स्थान एक अवधि के बाद नई चीजें लेने लगती हैं।फैशन के नाम पर यदि हम भी इसी प्रकार अपने को थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद बदलते रहे ,तो वह दिन दूर नहीं जब हम स्वयं ही यह भूल जाएंगे कि वस्तुत: हम हैं कौन,हमारा असली अस्तित्व क्या है।

यहां मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि फैशन करना गलत नहीं है ।समय के अनुसार चलना ही समझदारी कहलाती है और जो व्यक्ति समय के अनुसार नहीं चलता वह पिछड़ जाता है, यह भी सत्य है।परंतु, फैशन के नाम पर हमें क्या खरीदना है क्या नहीं ,क्या अपनाना है क्या नहीं ,इसकी समझ भी बहुत मायने रखती है ।दूसरों के महलों को देखकर अपनी झोपड़ी में आग लगाना कतई सही नहीं है। समाज में विभिन्न प्रकार के वर्गों के लोग रहते हैं ,परंतु सभी का आर्थिक स्तर तो एक जैसा नहीं हो सकता ।इसलिए हमें सदैव उतने ही पैर पसारने चाहिएं जितनी हमारी चादर हो।

कहने का मतलब यह है कि हमें अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करना आना चाहिए। अपने मस्तिष्क में एक बात हमें बिठा लेनी चाहिए कि बाहरी सुंदरता कभी भी आंतरिक सुंदरता की बराबरी नहीं कर सकती। फैशन अपनाकर निसंदेह आप स्वयं को बाहरी तरीके से बहुत सुंदर बना सकते हैं। किंतु यदि आंतरिक सुंदरता का अभाव है तो बहुत जल्द वह बाहरी सुंदरता भी आपके आस पास के सभी लोगों को अखरने लगती है। अपने रीति-रिवाजों, परंपराओं, नैतिक मूल्यों एवं संस्कारों को महत्व देते हुए ही हमें समय के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।ये संस्कार तो हमारी धरोहर होते हैं,हमारी पहचान होते हैं,हमारी शान होते हैं।

कहने का तात्पर्य यह है कि खुद को आधुनिक दिखाने की चाह में हम यह कदाचित नहीं भूल सकते कि हमारी संस्कृति अत्यधिक समृद्ध एवं पुरातन है। अपनी सांस्कृतिक विरासत को हमें अपने साथ लेकर चलना होगा। साथ ही साथ आगे आने वाली अपनी पीढ़ियों को भी इस विरासत को सौंपना होगा, उन्हें इसका सांस्कृतिक महत्व समझाना होगा ताकि वे भी इसे अमूल्य पूंजी समझकर सदैव संजो कर रखें और समय आने पर नेक्स्ट जेनरेशन को सादर प्रेषित करें।

भारत की तो संस्कृति ही सादा जीवन उच्च विचार वाली रही है।बाह्य आडंबर ,चकाचौंध,ढोंग और दिखावे से दूर हमारी संस्कृति की विश्व में अपनी एक अलग और विशिष्ट पहचान है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। अपनी संस्कृति को हमें बिल्कुल वैसे ही हीरे की तरह तराशना होगा जिस प्रकार हमारे पूर्वजों ने इसे तराशा कर समृद्ध बनाया और सुरक्षित तरीके से हम तक पहुंचाया।

संस्कारों को भूलकर कभी भी किसी भी प्रकार के फैशन की वकालत नहीं की जा सकती ।संस्कारों ने हमें सदियों से बांधकर रखा है ।रोज बदलते फैशन के वशीभूत होकर हमें अपने संस्कारों को कदापि नहीं भूलना चाहिए और अपनी संस्कृति और सभ्यता का मान और सम्मान सदैव बनाए रखना चाहिए।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button
https://yogeshwariscience.org/ Istanapetir Link Alternatif Istanapetir https://mataerdigital.com/ https://skywalker.link/ https://surgicalimaging.com/ https://www.sudutpayakumbuh.com/ https://pesantrenalkahfi.com/ https://apjatin.or.id/ https://ojs.staisdharma.ac.id/ https://smpit.alhikmahmp.sch.id/ https://darululumponcol.com/ https://www.miftahululum.net/data/ https://www.miftahululum.net/ https://xlcarsgroup.co.uk/sbobet/ https://xlcarsgroup.co.uk/sababet/ https://smalabunpatti.sch.id/agencasino/ https://smalabunpatti.sch.id/bandarcasino/ https://zakatydsf.or.id/bolaparlay/ https://zakatydsf.or.id/parlaybola/ https://desabululawang.com/application/ https://nkspt.org/sms/ https://idtrack.co.id/sbo/ https://staisdharma.ac.id/ca/ Bocoran Situs Terbaru Tiksujp Slot TOtot 4D Slot Hongkong Gacor Maxwin Istanapetir Live Casino Terpercaya https://desategalsari.id/pelayanan/ https://mindfuledgeconsulting.com/sbobeterbaik/ https://mindfuledgeconsulting.com/sbobeterpercaya/ https://maldendentistryimplants.com/ Bandar Togel Resmi Situs Slot Gacor 777 Bandar Slot Gacor Maxwin Link Slot Gacor https://planettel.com.br/ https://www.sufi.cat/ https://voidpump.com/ https://staimlumajang.ac.id/ Slot Thailand Gacor Maxwin Slot Thailand Gacor slot maxwin https://dharashivpharmacy.com/ https://gidohae.com/ https://srtcollege.org/ https://likein.id/ https://travelingcirebon.com/ https://kancheshwarsugar.com/ https://pemimpin.id/ Slot Gacor Gampang Menang Slot Gacor 2024 Slot Gacor 2024 Slot Gacor Hari Ini Slot Gacor 2024 Slot Gacor 2024 Slot Gacor 2024 Slot Gacor Gampang Menang https://somoybanglatv.com/ https://somoybanglatv.com/new/ https://www.preicma.com/ https://m.iktgm.ac.id/ Cheat Slot Gacor Situs Resmi Slot 777 Istanapetir Situs Slot Gacor 4D Slot Gacor Thailland Istanapetir https://binqasim.sa/ https://gym-palaik.las.sch.gr/